बोकारो. बोकारो का नाम रोशन करने वालों की सूची में एक और नाम है रिया केजरीवाल. रिया ने यूपीएससी परीक्षा 2016 में 176वां स्थान प्राप्त किया है. रिया की सफलता से घरवाले खुश हैं. पिता मनोज केजरीवाल ने बताया : रिया के मित्रों की सूची छोटी थी. सिर्फ किताब व कॉपी के साथ ही समय बिताना रिया का शौक था. रिया ने पहले ही एटेंम्पट में यूपीएससी क्रैक किया.
दो साल से हो गयी थी अंडरग्राउंड : श्री केजरीवाल ने बताया : रिया पिछले दो साल से अंडरग्राउंड लाइफ जी रही थी. ना सोशल मीडिया की दोस्ती, ना ही मोबाइल की संगत. पढ़ाई के दौरान समय का अंदाजा लगाना भी रिया के लिए मुश्किल था. मां सुमन केजरीवाल ने बताया : शुरुआत से ही रिया की सफलता के प्रति आश्वस्त थी. बताती है : कैरियर के रूप में रिया ने यूपीएससी का चयन समाजसेवा के लिए किया गया था.
आरबीआई रिसर्च ऑफिसर की परीक्षा में भी क्वालिफाई : रिया ने यूपीएससी परीक्षा के पहले आरबीआइ रिसर्च ऑफिसर की परीक्षा भी क्वालिफाइ की थी. ट्रेनिंग के लिए चेन्नई जाना था. इसी बीच यूपीएससी का परिणाम आ गया. रिया किसी भी कैडर में काम कर समाज के प्रति जिम्मेदारी का निर्वहण करना चाहती है.
मारवाड़ी सम्मेलन ने दी बधाई. चास. बोकारो जिला मारवाड़ी सम्मेलन की बैठक गुरुवार को चास में हुई. इसमें सिविल सर्विस परीक्षा में रिया केजरीवाल को 174वां स्थान प्राप्त करने पर बधाई दी. साथ ही बैठक में मौजूद लोगों ने कहा : रिया की सफलता समाज के लिए गौरव की बात है. अध्यक्षता शिव कुमार मेहरिया ने की. सम्मेलन के मंत्री संजय वैद्य ने कहा : रिया की सफलता से परिवार को ही नहीं बल्कि समाज व चास बोकारो की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनी है. मौके पर शिवहरि बंका, सुभाष केजरीवाल, जगदीश जगनानी, ओम प्रकाश जाजोरिया, ज्ञानचंद शर्मा, राजेंद्र चौधरी, देव कुमार पोद्दार, विनोद चोपड़ा सहित अन्य लोग मौजूद थे.
यूपीएससी 2016 में अनिल कुमार को 301 रैंक : अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए लिया था आइपीएस बनने का संकल्प
बोकारो. भारतीय इकोनॉमी वर्तमान में बेहतर है. सरकार के स्पष्ट निर्णय के कारण अर्थव्यवस्था सुचारू हुई है. अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए ही आइपीएस बनने का सपना देखा है. यह बातें यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाने वाले अनिल कुमार ने कही. अनिल ने यूपीएससी में 301वां रैंक प्राप्त किया है. बताया : देश की तरक्की के लिए युवाओं को योगदान बहुत जरूरी है. अगर युवा देशहित में योगदान देना शुरू कर दें, तो देश को फिर से सोने की चिड़िया बनने से कोई नहीं रोक सकता. भारत में संसाधनों की कमी नहीं है. जरूरत है संसाधनों के सही इस्तेमाल की. वर्तमान में यह काम हो भी रहा है.
प्राइवेट, राज्य सरकार, फिर केंद्र सरकार : अनिल ने यूपीएससी में सफलता का परचम लहरा दिया है. लेकिन, अनिल ने सफलता की बुनियाद एकेडमिक शिक्षा के दौरान ही रख दी थी. 2007 में अनिल श्री अयप्पा पब्लिक स्कूल-05 के क्लास 10 के टॉपर बने थे. इसके बाद बीटेक की पढ़ाई के तुरंत बाद ही एसीसी सीमेंट में डेप्युटी मैनेजर की नौकरी मिली. लगभग दो साल के बाद फिर झारखंड सचिवालय में सहायक की नौकरी मिली. इसके बाद अनिल यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली चले गये. कड़ी मेहनत व लगन के बाद अनिल ने तीसरे अटेम्प्ट में यूपीसीएससी परीक्षा में सफलता प्राप्त की. अनिल ने झारखंड कैडर को वरीयता दी है.
विस्थापित के बेटे ने बुलंद किया झंडा : अनिल के पिता सुखदेव महतो बीएसएल के ईएमडी विभाग में ऑपरेटर हैं. श्री महतो ने बताया : बीएसएल निर्माण के लिए जमीन दी थी. विस्थापन के बदले 1991 में नौकरी मिली. बच्चों की पढ़ाई सुचारु रूप से हो सके, इसलिए शुरू से ही योजना बनाया. अनिल का छोटा भाई (रंजीत कुमार) ओडिशा में बीटेक की पढ़ाई कर रहा है, जबकि बहन (रीना कुमारी)बेंगलुरु में डेल कंपनी में कार्यरत है. अनिल मूल रूप से चौफान गांव (बैदमारा) का रहने वाला है.
मां खुशी में बोलना भूल गयी : बुधवार को अनिल ने सफलता की सूचना सबसे पहले मां (शकुंतला देवी) को दी. मां ने फोन रिसीव करते ही आशीर्वाद दिया. इसके बाद मां कुछ बोल नहीं पायी. लगभग पांच मिनट तक शांत अवस्था में बेटे की सफलता की खुशी महसूस करती रही. बेटे की ओर से लगातार बोलने के बाद ही मां दोबारा बोलने की स्थिति में आयी.
मां बताती है : यह जीवन की असीम सुख में से एक खुशी का क्षण था.
यूपीएससी 2016 में कुमार गौरव को 134 वां रैंक : घंटों पढ़ाई नहीं की, जो पढ़ा मन से पढ़ा
बोकारो. आइएएस बनने के लिए सपना ही नहीं लक्ष्य भी तय करना जरूरी है. मैंने यूपीएससी की तैयारी के लिए कुछ खास नहीं किया. इंटरनेट, एसाइसमेंट व पुस्तकों का सहारा लिया. कभी घंटो-घंटो पढ़ाई नहीं की. जब भी समय मिला, जो भी पढ़ा. मन से पढ़ा. पूरी तन्मयता से अध्ययन किया. यह बातें ‘प्रभात खबर’ से यूपीएससी परीक्षाफल में 134वां रैंक हासिल करने वाले कुमार गौरव ने गुरुवार को दूरभाष पर बातचीत में कही. श्री गौरव ने कहा : आज के युवाओं को खुद से सवाल करना होगा कि उनका सपना व लक्ष्य क्या है. चमक-दमक फीकी पड़ जाती है. संतुष्टि की चमक कभी फीकी नहीं पड़ती है. इसी के आधार पर आप खुद अपनी दिशा तय करते हैं. चूंकि मैं कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत हूं. इस स्थिति में कार्य अवधि के बाद ही पढ़ाई के लिए समय मिलता था. मेरी सफलता में माता-पिता का त्याग, दोनों बहन व बहनोई का हौसला अफजाई अधिक रहा है. खुद की सफलता का श्रेय पूरे परिवार को देना चाहूंगा. मैं सदैव ही समाज का अंग रहूंगा.
कुमार गौरव के पिता अवध किशोर सिंह सेक्टर 12 स्थित आरवीएस इंटर कॉलेज में रसायन विज्ञान के व्याख्याता हैं. माता गृहिणी हैं. श्री गौरव से एक बड़ी व एक छोटी बहन है. बड़ी बहन मुंबई में नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं, जबकि बड़े बहनोई डॉ धनंजय कुमार बिहार के सासाराम में एमडी फिजिशियन हैं. छोटी बहन मुंबई में ही आइडिया कंपनी में इंजीनियर है. साथ ही यूपीएससी की तैयारी कर रही है. इस बार की परीक्षाफल में चूक गयी. माता-पिता ने बताया कि गौरव ने कभी ट्यूशन नहीं ली. मेधावी छात्र रहे हैं. मित्र मंडली में भी गिने चुने युवा ही शामिल हैं.
इससे आप खुद अपनी दिशा तय कर सकते हैं. मैं यूपीएससी की परीक्षा में पास हुआ. खुशी है, परंतु अधिक खुशी तब होगी, जब मैं समाज की सेवा करने में सफल पाऊंगा. मैंने जीवन का आधार तय किया. जीवन को सफल तभी माना जा सकता है. जब लोग आपसे खुश हों. आप समाज को कुछ दे पायें. समाज को एक नयी पहचान व गति देना ही सबसे बड़ी चुनौती है.
प्रोफाइल
नाम : कुमार गौरव
पिता : अवध किशोर सिंह (व्याख्याता – आरवीएस इंटर कॉलेज बोकारो)
मां : रंजना सिंह (गृहिणी)
शैक्षणिक गतिविधि : कक्षा एक से पांच तक – एमजीएम, बोकारो. कक्षा छह से 12 वीं (साइंस) तक डीपीएस, बोकारो. 10वीं : वर्ष 2003 में 96 प्रतिशत अंक, डीपीएस, बोकारो. 12वीं इंटर साइंस : वर्ष 2005 में नौ प्रतिशत अंक, डीपीएस, बोकारो
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आइआइटी रूरकी से वर्ष 2006-10. मैनेजमेंट डिग्री, एक्सएलआरआइ जमशेदपुर, वर्ष 2010-12.
वर्तमान में : मैनेजर, केपीएमजी कंपनी, मुंबई, महाराष्ट्र
छोटी बहन : स्वाति, इंजीनियर, आइडिया कंपनी, मुंबई में पदस्थापित
वर्तमान पता : सेक्टर चार जी/ आवास संख्या -1304, बोकारो.
स्थायी पता : ग्राम – सादपुर, जिला – बांका, बिहार.