राकेश वर्मा, बेरमो : वर्ष 1977 के विधानसभा चुनाव में बेरमो सीट पर मुकाबला रोमांचक हुआ था. एक तरफ कांग्रेस व इंटक नेता बिंदेश्वरी दुबे प्रत्याशी बनाये गये थे. दूसरी तरफ मजदूर संगठन एचएमएस नेता मिथिलेश सिन्हा जनता पार्टी के टिकट पर खड़े थे. बिंदेश्वरी दुबे इसके पहले बेरमो से 1962, 1967, 1969 तथा 1972 का चुनाव लगातार जीत चुके थे. मिथिलेश सिन्हा एचएमएस से संबद्ध कोलफिल्ड मजदूर यूनियन के जेनरल सेक्रेटरी थे. चुनाव में बिंदेश्वरी दुबे के समर्थन में कांग्रेस व मजदूर संगठन आरसीएमएस के लोगों के अलावा अन्य कई लोग थे, तो मिथिलेश सिन्हा के समर्थन में कांग्रेस के खिलाफ में खड़े लोगों के अलावा समाजवादियों का पूरा कुनबा था. रोमांचक मुकाबले में अंतत: इस सीट से मिथिलेश सिन्हा की जीत हुई और कांग्रेस को अपनी परपंरागत सीट से हाथ धोना पड़ा था. कहते हैं मिथिलेश सिन्हा की जीत के बाद पूरे बेरमो विस में लोगों का उत्साह व जुनून देखते बन रहा था. लोगों ने खुशी में हजारों बैलगाड़ियों के साथ जुलूस निकाला था. जुलूस में मिथिलेश सिन्हा के अलावा जनता पार्टी के सांसद व मजदूर नेता रामदास सिंह, रामनारायण शर्मा, कामेश्वर शर्मा सहित समाजवादी नेता इस्मदार खान, जियाउद्दीन कादरी, ढिबरु लाल शर्मा, ललन सिंह, संतन सिंह, नरसिंह बाबू, मथुरा प्रसाद केशरी, रामप्रसाद सिंह, ध्रुव सिंह, जीबी राघवन, इम्तियाज हुसैनी, जेपी सिंह आजाद, प्रमोद सिंह, केदार सिंह, मधुसूदन प्रसाद सिंह, डॉ प्रह्लाद वर्णवाल आदि थे. 1980 में भाजपा के विधायक बने थे रामदास सिंह 1977 में जनता पार्टी से मिथिलेश सिन्हा ने जब चुनाव जीता था तो उस वक्त गिरिडीह लोकसभा सीट से जनता पार्टी के सांसद बेरमो के समाजवादी मजदूर नेता रमदास सिंह हुआ करते थे. 1980 में बेरमो विस से भाजपा के टिकट पर रामदास सिंह ने चुनाव लड़ा तथा कांग्रेस के केपी सिंह को पराजित किया था. जबकि बिंदेश्वरी दुबे ने 1977 का विस चुनाव हारने के बाद 1980 में गिरिडीह से लोकसभा का चुनाव लड़ा तथा जीत दर्ज की थी. भाजपा विधायक रामदास सिंह वर्ष 1989 में दूसरी बार गिरिडीह से सांसद बने थे.
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