झारखंड: परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद को शहादत दिवस पर श्रद्धांजलि, बोकारो के बेरमो से क्या था कनेक्शन?

परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के 58वें शहादत दिवस के अवसर पर रांची स्थित कांटाटोली चौक पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. इस मौके पर मंत्री चंपई सोरेन, सांसद विजय हांसदा, राज्यसभा सांसद महुआ माजी, वरिष्ठ नेता विनोद पांडेय समेत अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

By Guru Swarup Mishra | September 10, 2023 5:44 PM

रांची/बेरमो(बोकारो), राकेश वर्मा: झारखंड की राजधानी रांची के कांटाटोली समेत बोकारो के जरीडीह में परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का शहादत दिवस मनाया गया. 58वें शहादत दिवस पर रांची में झारखंड के मंत्री चंपई सोरेन, सांसद महुआ माजी व सांसद विजय हांसदा समेत कई नेताओं ने इन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. शोषण मुक्ति वाहिनी द्वारा बोकारो जिले के जरीडीह में अब्दुल हमीद चौक के समक्ष परमवीर अब्दुल हमीद का शहादत दिवस मनाया गया.

रांची में परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद को श्रद्धांजलि

परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद के 58वें शहादत दिवस के अवसर पर रांची स्थित कांटाटोली चौक पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. इस मौके पर मंत्री चंपई सोरेन, सांसद विजय हांसदा, राज्यसभा सांसद महुआ माजी, वरिष्ठ नेता विनोद पांडेय समेत अन्य नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.

Also Read: झारखंड: लालू प्रसाद यादव व राबड़ी देवी का देवघर एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत, RJD सुप्रीमो ने बीजेपी पर साधा निशाना

बोकारो के जरीडीह में अब्दुल हमीद का मनाया गया शहादत दिवस

सामाजिक संगठन शोषण मुक्ति वाहिनी द्वारा 10 सितंबर को जरीडीह में अब्दुल हमीद चौक के समक्ष परमवीर अब्दुल हमीद का शहादत दिवस मनाया गया. संगठन के अध्यक्ष मुन्ना सिंह ने बताया कि इस वर्ष कार्यक्रम नफरत की सियासत के खिलाफ एक आवाज के तहत श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में क्षेत्र के जन प्रतिनिधि के अलावा कई गणमान्य लोगों ने शिरकत की. उन्होंने कहा कि देश में नफरत का जो बीज बोया जा रहा है, उसी का परिणाम है मणिपुर की घटना व हरियाणा जैसी घटना. हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई सहित अन्य संप्रदाय के अमन पसंद और प्रगतिशील विचारधारा के लोग आगे आकर एक दूसरे से मिलकर मोहब्बत के पैगाम को घर-घर तक फैलाएंगे, तभी देश का संविधान और गौरव सुरक्षित रह पाएगा.

Also Read: Jharkhand Breaking News LIVE: परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद को शहादत दिवस पर झामुमो नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद को जानिए

वर्ष 1965 का 10 सितंबर. भारतीय इतिहास के पन्ने में एक ऐसा दिन है, जिससे आने वाली पीढ़ियां राष्ट्रभक्ति के तूफानी जज्बे की हमेशा प्रेरणा लेती रहेंगी. यह दिन परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद की शहादत का दिन था. वीर अब्दुल हमीद की शहादत के आगे पूरा भारत नतमस्तक है. लोग उस माटी को नमन करना नहीं भूलते, जहां वीर हमीद का जन्म हुआ था. परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का जन्म उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले के धामुपूरा गांव में 1 जुलाई 1933 को हुआ था. पिता उस्मान व मां सकीना के दो बेटों में वह सबसे बड़े थे. हमीद के पराक्रम एवं उनकी शहादत की खबर गांव वालों के लिए मात्र सिर्फ एक खबर नहीं थी बल्कि उनके सामने गर्व एवं गम की धूप-छांव का मिलाजुला एक आलम था. समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया वीर हमीद की धर्मपत्नी रसूलन बीबी से मिलने उनके गांव धामुपूरा गांव पहुंचे थे और उस मिट्टी को नमन किया था. ग्रामीणों के लगातार दबाब के बाद 5 मार्च 1999 को इस गांव का नाम हमीद धाम किए जाने की औपचारिकताएं पूरी की गयीं.

Also Read: VIDEO: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ईडी के समन पर निर्णय लेंगे सीएम हेमंत सोरेन

एक प्रेरक महिला रहीं हमीद की पत्नी रसूलन बीबी

शहीद हमीद की पत्नी रसूलन बीबी एक प्रेरक महिला रहीं. 2 अगस्त 2019 को अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली. वीर अब्दुल हमीद के चार बेटे हैं. बड़े बेटे का नाम जैनुल हसन, मंझले का नाम अली हसन, संझले का नाम जैनुद आलम तथा सबसे छोटे बेटे का नाम तहत महमूद है. उनकी एक बेटी भी है, जिनका नाम नाजबून निंशा है. शहीद हमीद के छोटे बेटे तलत महमूद बेरमो स्थित सीसीएल के बीएंडके एरिया से वर्ष 2018 में सुरक्षा गार्ड के पद से सेवानिवृत हुए. वर्ष 1999 में शहीद हमीद की पत्नी रसूलन बीबी को बेरमो में उस वक्त अपमान का सामना करना पड़ा था, जब वे अपने छोटे बेटे तलत महमूद जिन पर अपने ही साथी सुरक्षा प्रहरी की हत्या के षडयंत्र में लिप्त होने का आरोप लगाया गया था. वह उनसे मिलने तेनुघाट उपकारा गयी थीं. एक परमवीर चक्र विजेता की पत्नी के साथ तेनुघाट में जो व्यवहार किया गया, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. तेनुघाट उपकारा के मुख्य द्वार पर चिलचिलाती धूप में खड़ी रसूलन बीबी को तब तक उनके बेटे से मिलने नहीं दिया गया, जब तक बतौर नजराना वह दस रुपये देने को तैयार नहीं हुईं. बाद में पत्रकार सह सामाजिक संगठन शोषित मुक्ति वाहिनी के संरक्षक सुबोध सिंह पवार ने उन्हें बेरमो लाकर सम्मानित किया. उसी समय से हर वर्ष 10 सितंबर को शोमुवा रसूलन बीबी के साथ उपकारा में हुए अपमान के प्रायश्चित के लिए एक समारोह का आयोजन कर शहीद अब्दुल हमीद को श्रद्धा के साथ याद किया जाता है.

Also Read: झारखंड: गरीबी को मात देकर कैसे लखपति किसान बन गयीं नारो देवी? ड्राइवर पति के साथ जी रहीं खुशहाल जिंदगी

इन्फैंट्री इंडिया आर्मी के फोर्थ बटालियन में हवलदार थे अब्दुल हमीद

वर्ष 1954 से 1965 तक इन्फैंट्री इंडिया आर्मी के फोर्थ बटालियन में हवलदार के पद पर अब्दुल हमीद सेवारत रहे. वर्ष 1966 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर उनके मृत्युपरांत हमीद को परमवीर चक्र के सम्मान से नवाजते हुए उनकी पत्नी रसूलन बीबी को यह पुरस्कार दिया था. वर्ष 1988 में फिल्म निर्देशक चेतन आनंद ने परमवीर चक्र सीरियल बनाया था, जिसमें अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने परमीर अब्दुल हमीद की भूमिका अदा की थी.

Also Read: बैंक वाली दीदी: झारखंड में घर बैठे बैंकिंग सेवाएं दे रहीं बीसी सखियां, बैंकों का चक्कर लगाने से मिली मुक्ति

भारत-पाक युद्ध में वीरता से दुश्मनों के दांत कर दिए थे खट्टे

देश की सरहद की सुरक्षा में तैनात अब्दुल हमीद ने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान न सिर्फ दुश्मन देश के 7 पैटर्न टैंकों के परखच्चे उड़ा कर पाक सेना के दांत खट्टे कर दिए थे, बल्कि वतन की रक्षा करते हुए अपनी जान की कुर्बानी देकर देश के वीर सैनिकों की सूची में अपना और जिले का नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित करा दिया था. वर्ष 1965 के भारत-पाक जंग के दौरान दुश्मन देश की फौज ने अभेद्य पैटर्न टैंको के साथ 10 सितंबर को पंजाब प्रांत के खेमकरन सेक्टर में हमला बोला. देश की रक्षा का संकल्प लिए भारतीय थलसेना की चौथी बटालियन की ग्रेनेडियर यूनिट में तैनात कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद अपनी जीप मे सवार दुश्मन फौज को रोकने के लिए आगे बढ़े. उन्होंने अकेले ही अभेद्य पैटर्न टैंकों का ग्रेनेड के जरिये सामना करना शुरू कर दिया. दुश्मन फौज हैरत में पड़ गई और भीषण गोलाबारी के बीच पलक झपकते ही अब्दुल हमीद के अचूक निशाने ने पाक सेना के पहले पैटर्न टैंक के परखच्चे उड़ा दिए.

Also Read: पीवीटीजी छात्रों के लिए मुफ्त आवासीय कोचिंग शुरू करने वाला झारखंड देश का पहला राज्य, बोले सीएम हेमंत सोरेन

Next Article

Exit mobile version