जगरनाथ महतो के निधन के बाद डुमरी विधानसभा उपचुनाव की चर्चा शुरू, परिवार का ही कोई सदस्य संभाल सकता है विरासत
झारखंड के दिवंगत शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के बाद अब उनके विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की चर्चा होने लगी है. जगरनाथ महतो डुमरी विधानसभा से लगातार चार बार जीत दर्ज की थी. उनके निधन के बाद अब परिवर का कोई सदस्य उनके विरासत को आगे बढ़ा सकता है, ऐसे भी चर्चा है.
बेरमो (बोकारो), राकेश वर्मा : बोकारो जिला अंतर्गत डुमरी विधानसभा क्षेत्र से लगातार चार बार विधायक रहे सूबे के स्कूली शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के बाद अब डुमरी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की चर्चा भी चौक-चौराहे पर शुरू हो गयी है. इतना तय है कि स्वर्गीय जगरनाथ महतो के परिवार से ही कोई उनकी राजनीतिक विरासत को संभाल सकता है. विधानसभा क्षेत्र के नावाडीह प्रखंड से जुड़े कई ग्रामीणों बातचीत के क्रम में बताया कि हमलोग चाहते हैं कि स्वर्गीय महतो के ही परिवार से कोई उपचुनाव लड़े, चाहे वो जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी हो या फिर उनके पुत्र अखिलेश महतो उर्फ राजू महतो. कई लोगों का यह भी कहना है अगर चुनाव लड़ने को लेकर पुत्र की उम्र को लेकर किसी तरह की बाधा आ रही है, तो पत्नी को चुनाव लड़ाया जाए. वे यह भी कहते हैं कि स्वर्गीय महतो के बीमार पड़ने से पूर्व से क्षेत्र में मंत्री के पुत्र अखिलेश महतो सक्रिय रहे तथा लोगों का विश्वास जितने में सफल भी हुए हैं. अगर उनके चुनाव लड़ने में उम्र को लेकर किसी तरह का बाधा नहीं आती है, तो वे अपने पिता की राजनीतिक विरासत को बखूबी संभाल सकते हैं.
पिता के श्राद्ध कर्म के बाद खुल सकता है पत्ता
इधर, विश्वस्त सूत्रों की मानें तो स्वर्गीय महतो के पुत्र अखिलेश महतो चुनाव लड़ने के लिए उम्र कम होने की चर्चा के बीच बिलकुल खामोश हैं तथा पिता के श्राद्ध कर्म के बाद अपना पत्ता खोल सकते हैं. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जिस तरह जगरनाथ महतो की बीमारी के बाद से उनके प्रति जो श्रद्धा, स्नेह एवं प्रेम दिखाया है, उससे इतना तो साफ है कि मुख्यमंत्री स्वर्गीय महतो के ही परिवार में से किसी को राजनीतिक बागडोर संभालने की जिम्मेदारी दे सकते हैं. कुछ लोग तो इस बात की भी चर्चा कर रहे हैं कि विपक्ष जगरनाथ महतो के खाली सीट पर होने वाले उपचुनाव में उम्मीदवार नहीं दे, तो देश में झारखंड की राजनीति की नयी पहचान बनेगी.
1969 में डुमरी विधानसभा में हुआ था मध्यावधि चुनाव
डुमरी विधानसभा में जब डुमरी व पीरटांड़ प्रखंड शामिल था. उस समय वर्ष 1969 में मध्यावधि चुनाव हुआ था, जिसमें राजा पार्टी के केपी सिंह ने जीते थे. केपी सिंह एकीकृत बिहार में पीडब्ल्यूडी मंत्री भी बने थे.
1977 के बाद से एक ही जाति के लोग करते रहे हैं डुमरी विधानसभा का प्रतिनिधित्व
वर्ष 1972 में बेरमो विधानसभा से नावाडीह प्रखंड को काट कर डुमरी विधानसभा में शामिल कर नये विधानसभा का सृजन किया गया था. 1972 में इस सीट से कांग्रेस के मुरली भगत चुनाव जीत कर विधायक बने थे. इसके बाद 1977 में लालचंद महतो ने डुमरी विधानसभा सीट से पहला चुनाव जनता पार्टी के टिकट पर लड़ा था. 1977 के पहले डुमरी विस में डुमरी और पीरटांड़ प्रखंड शामिल था. उस वक्त कुरमी जाति के अलावा बाहर के लोग भी इस विस क्षेत्र से विधायक रहे, लेकिन 1977 से लगातार एक ही जाति के लोग इस विस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आ रहे हैं.
नावाडीह और डुमरी प्रखंड को मिलाकर बना डुमरी विधानसभा
नावाडीह प्रखंड और डुमरी प्रखंड को मिलाकर बने डुमरी विधानसभा में वर्ष 1977 से लेकर 2019 तक जितने भी विधानसभा चुनाव हुए, उसमें मुख्य रूप से जगरनाथ महतो, शिवा महतो एवं लालचंद महतो ने ही इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. इसमें सर्वाधिक चार दफा जगरनाथ महतो ने ही इस विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया. वर्ष 2005 के चुनाव में झामुमो के युवा नेता जगरनाथ महतो ने लालचंद महतो को करीब 18 हजार मतों के अंतर से, वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में दूसरी बार झामुमो के जगरनाथ महतो ने लालचंद महतो को करीब 13 हजार वोट से, वर्ष 2014 के चुनाव में लालचंद महतो भाजपा के उम्मीदवार बने, लेकिन वह झामुमो के जगरनाथ महतो से लगातार तीसरी बार करीब 33 हजार मतों के अंतर से हार गये. 2019 के विस चुनाव में जगरनाथ महतो को रिकार्ड 71,128 मत मिला. जबकि आजसू की यशोदा देवी 36,840 मत लाकर दूसरे स्थान पर तथा भाजपा के प्रदीप साहू 36,013 मत लाकर तीसरे स्थान पर रहे हैंं. इस चुनाव में जदयू से खड़े लालचंद महतो को मात्र 5219 मत मिले थे.
चुनाव में जीत के बाद क्षेत्र के विकास को ले रहते थे तत्पर
डुमरी विस सीट से जगरनाथ महतो (अब स्वर्गीय) का लगातार चार बार जीत दर्ज करने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह था कि वे हर चुनाव में जीतने के बाद क्षेत्र के विकास को लेकर काफी तत्पर रहते थे. उन्होंने अपने विस क्षेत्र खासकर नावाडीह प्रखंड में विकास की कई बड़ी योजनाओं को धरातल पर उतारा. सड़क, पुल-पुलिया, सब स्टेशन, स्कूल-कॉलेज, पेयजल सहित अन्य क्षेत्र में विकास के अनेकों काम किये. चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र को कभी नहीं छोड़ा.
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एक नजर में डुुमरी विधानसभा क्षेत्र से अब तक जीतने वाले प्रत्याशी
(जब पीरटांड़ प्रखंड शामिल था)
वर्ष : विजयी प्रत्याशी : पार्टी
1952 : केबी सहाय : कांग्रेस
1957 : हेमलाल परगनैत : राजा पार्टी
1962 : हेमलाल परगनैत : राजा पार्टी
1967- : राजामाता एस मंजरी देवी : राजा पार्टी
1969 : केपी सिंह : राजा पार्टी
1972 : मुरली भगत : कांग्रेस
जब डुमरी विधानसभा क्षेत्र में नावाडीह प्रखंड हुआ शामिल
वर्ष : विजयी प्रत्याशी : पार्टी
1977 : लालचंद महतो : जनता पार्टी
1980 : शिवा महतो : झामुमो
1985 : शिवा महतो : झामुमो
1990 : लालचंद महतो : जनता दल
1995 : शिवा महतो : झामुमो
2000: लालचंद महतो : जदयू
2005 : जगरनाथ महतो : झामुमो
2009 : जगरनाथ महतो : झामुमो
2014 : जगरनाथ महतो : झामुमो
2019 : जगरनाथ महतो : झामुमो