कसमार : देशव्यापी लॉकडाउन के बाद दूसरे राज्यों में फंसे लोग अपने घर आने को बेताब हैं. इसके लिए कई तरह के जतन किये जा रहे हैं. कुछ लोग कोई उपाय न देखकर पैदल ही अपने घर पहुंच रहे हैं. सोमवार को कसमार में इसी तरह से 12 श्रमिक अपने घर पहुंचे. ये सभी अपने घर आने के लिए ओड़िशा से पैदल ही चल पड़े थे. राउरकेला से करीब 80 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर झारखंड बॉर्डर (सिमडेगा) पहुंचे. यहां स्थानीय प्रशासन द्वारा भोजन करवाकर सभी को एक मालवाहक गाड़ी से रांची तक भेजा गया. रांची में कोई साधन नहीं मिलने के बाद पुनः पैदल चल पड़े. करीब 20 किमी पैदल चलने के बाद रास्ते में कसमार के एक मालवाहक वाहन ने लिफ्ट दिया. तब जाकर सभी मजदूर किसी तरह कसमार पहुंचे.
सोमवार सुबह सभी मजदूर कसमार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, जहां चिकित्सक ने सभी की स्वास्थ्य जांच की. सभी श्रमिक कसमार प्रखंड की दुर्गापुर पंचायत के कुरको, मुरहुलसुदी पंचायत के पिरगुल और मुरहुल तथा सिंहपुर पंचायत के करमा के निवासी हैं. चिकित्सकीय जांच में किसी को सर्दी, बुखार, खांसी या कोई लक्षण नहीं रहने की स्थिति में स्थानीय प्रशासन द्वारा सभी को होम क्वारांटाइन में भेज दिया गया है. मजदूरों ने बताया कि वे सभी राउरकेला के सामने राजगमपुर स्थित डालमिया सीमेंट की कंपनी में गाड़ी चलाते थे. लॉकडाउन होने के बाद जब काम बंद हो गया, तो घर लौटने के लिए दो दिन गाड़ी या अन्य साधन का काफी इंतजार किया. लाचार होकर रविवार की सुबह सभी पैदल चल पड़े.
कसमार प्रखंड में 235 लोग होम क्वारंटाइन में : कसमार प्रखंड में अलग अलग राज्यों से लौटे 235 मजदूर को होम क्वारंटाइन में रखा गया है. बताया गया कि जो भी युवक काम करके बाहर के प्रांत से कसमार प्रखंड में आये हैं, उन्हें स्वास्थ्य जांच के बाद 14 दिनों के लिए होम क्वारंटाइन में रखा गया है. प्रत्येक गांव, पंचायत से लेकर प्रखंड स्तर पर कमेटी बनाकर स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है. इधर , लॉकडाउन के बाद गरीबों को भूख से निजात दिलाने के लिए स्थानीय प्रशासन की देखरेख में कसमार प्रखंड के पांच स्थानों में दांतू, ओरमो, कसमार चौक, खैराचातर व पिरगुल चौक में दाल भात केंद्र संचालित किया जा रहा है. इसके अलावा प्रखंड प्रशासन के द्वारा निःशुल्क भोजन केंद्र का भी संचालन भी शुरू किया गया है.