अकेले एकेके पर सात मिलियन टन उत्पादन का भार
बीएंडके एरिया. शिफ्टिंग की समस्या में उलझा कारो ओसीपी, उत्पादन लक्ष्य है नौ मिलियन टन
राकेश वर्मा, बेरमो.
बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल के बीएंडके एरिया की कारो ओसीपी शिफ्टिंग समस्या के दंश से निकल नहीं पा रहा है, जबकि बोकारो कोलियरी सालाना करोड़ों के घाटे में चल रही है. ऐसी स्थिति में बीएंडके एरिया की एकेके (अमलगमेटेड कोनार-खासमहल)परियोजना पर चालू वित्तीय वर्ष में भी पूरे बीएंडके एरिया का 70 फीसदी भार अकेले ढोना है. एरिया का चालू वित्तीय वर्ष में कोयला उत्पादन लक्ष्य 90 लाख टन है, जिसमें अकेले एकेके का लक्ष्य 70 लाख टन है. पिछले कुछ वर्षों से बीएंडके एरिया के उत्पादन पटरी पर अकेले एकेके (अमलगमेटेड कोनार-खासमहल) परियोजना ही तेज गति से चल रही है. मिली जानकारी के अनुसार एकेके परियोजना रिकार्ड कोयला उत्पादन कर लगभग 700 करोड़ के मुनाफा में चल रहा है. यहां बता दें कि एकेके परियोजना देश के टॉप 25 कोयला खदानों में शामिल है.वित्त वर्ष 2023-24 में 53.60 लाख टन कोयला उत्पादन :
मालूम हो कि गत वित्तीय वर्ष 2023-24 में एकेके परियोजना ने 53.60 लाख टन कोयला उत्पादन किया था. इसमें विभागीय 10 लाख टन के अलावा आउटसोर्स से 43 लाख टन कोयला उत्पादन किया गया था. इसमें आउटसोर्स कंपनी केएसएमएल ने 32 लाख टन तथा बीकेबी ने 10 लाख टन उत्पादन किया था. चालू वित्तीय वर्ष में एकेके का कोयला उत्पादन लक्ष्य 70 लाख टन तथा ओबी निस्तारण का लक्ष्य 75 लाख घन मीटर टन है. चालू वित्तीय वर्ष के एक अप्रैल से लेकर 8 जुलाई 2024 तक एकेके ने 8.5 लाख टन कोयला उत्पादन कर लिया है. फिलहाल रोजाना 10 हजार टन कोयला उत्पादन हो रहा है. फिलहाल माॅनसून के कारण उत्पादन में जहां थोड़ी कमी आयी है वहीं लैंड इश्यू के कारण भी उत्पादन प्रभावित हो रहा है. एकेके परियोजना के विस्तार के लिए अब बरवाबेड़ा गांव की शिफ्टिंग जरूरी है. प्रबंधन शिफ्टिंग को लेकर लगातार प्रयासरत है, लेकिन विस्थापित अपने हक अधिकार के मिले बगैर किसी भी कीमत पर शिफ्टिंग कार्य को आगे बढ़ने नहीं दे रहे हैं.एकेके परियोजना में है 87.04 मिलियन टन कोल रिजर्व :
एकेके परियोजना का कोल रिजर्व मार्च 2021 के प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार 87.04 मिलियन टन है. फिलहाल इस माइंस का 15 साल लाइफ का प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाया गया है. इस परियोजना से सालाना न्यूनतम 8 मिलियन टन तथा अधिकतम 11 मिलियन टन तक उत्पादन करने का इनवायरमेंटल क्लीयरेंस मिला है. फिलहाल इस परियोजना में आउटसोर्स के तहत 6 साल के लिए कोल प्रोडक्शन व ओबी रिमूवल का काम केएसएमएल कंपनी कर रही है. इसके अलावा बीकेबी कंपनी भी यहां आउटसोर्स के तहत कोल प्रोडक्शन व ओबी रिमूवल का काम कर रही है. प्रबंधन के अनुसार इस परियोजना से कोयला खनन के लिए फिलहाल पांच साल का इनवायरमेंटल क्लीयरेंस मिला हुआ है, जो गत वर्ष समाप्त होने के बाद पुन: पांच साल के लिए इनवायरमेंटल क्लीयरेंस के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से दिया गया है.रैयतों के विरोध के कारण नये पुनर्वास स्थल पर शिफ्टिंग में परेशानी :
बरवाबेड़ा गांव को गोविंदपुर फेज दो परियोजना स्थित जिस नये पुनर्वास स्थल पर शिफ्ट किया जाना है, वहां शिफ्टिंग का रैयत विरोध कर रहे हैं. गोविंदपुर के विस्थापित रैयतों का कहना है कि उनकी जमीन 80 के दशक में सीसीएल ने अधिग्रहीत की थी, जिसके तहत 84 विस्थापितों को नौकरी दिये जाने का एग्रीमेंट हुआ था. इसमें से शुरुआती दौर में 63 लोगों को नौकरी दी गयी, जबकि 21 लोगों का नियोजन अभी तक बाकी है. ऐसे में पुनर्वास स्थल की जमीन हमारी है और बगैर बकाया नियोजन के वे लोग यहां बरवाबेड़ा गांव के लोगों को प्लॉटिंग नहीं करने दे रहे हैं.कोयला संप्रेषण के लिए बनायी गयी है रेलवे साइडिंग :
एकेके परियोजना में तेज गति से कोल डिस्पैच के लिए परियोजना के निकट कोनार साइडिंग बनायी गयी है. जहां से फिलहाल रोजाना 10 हजार टन उत्पादन में 8 हजार टन कोयला रेलवे रेक कोयले से संप्रेषण कर पावर प्लांटों का भेजा जा रहा है. आने वाले समय में कोनार रेलवे साइडिंग से रोजाना 4-5 रेलवे रैक (करीब 20 हजार टन रोजाना) कोयला देश के विभिन्न पावर प्लांटों में संप्रेषित किये जाने की योजना है. इसके अलावा एकेके परियोजना में करोड़ों की लागत से सीएचपी का भी निर्माण किया जा रहा है. दो साल के अंदर सीएचपी बनकर तैयार हो जायेगा. सीएचपी के निर्माण के बाद पेलोडर से कोयला लोड नहीं करके सीधे हॉपर में कोयला भेजा जायेगा, जिसके कोयला लोडिंग तेजी से होगी.‘जमीन के मुद्दे का हल है जरूरी’ :
एकेके के पीओ केएस गैवाल कहते हैं कि एकेके परियोजना सीसीएल की मेगा परियोजना है. आने वाले समय में यहां से सालाना 11 मिलियन टन कोयला उत्पादन होगा. यहां से फिलहाल 10-15 साल काफी तेज गति से उत्पादन होगा तथा देश के पावर प्लांटों को समुचित मात्रा में कोयला उपलब्ध हो पायेगा. कोनार साइडिंग से कोयला संप्रेषण तेज होगा. सीएचपी निर्माण के बाद फास्ट लोडिंग शुरू होगी. फिलहाल रोजाना 10 हजार टन कोयला उत्पादन हो रहा है, जिसमें 8 हजार टन रेलवे साइडिंग से भेजा जा रहा है तथा 2 हजार टन स्टॉक में भेजा रहा है. फिलहाल मॉनसून के कारण उत्पादन में थोड़ी कमी आयी है. साथ ही लैंड इश्यू का निराकरण माइंस विस्तारीकरण के लिए जरूरी हो गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है