अमीन सयानी स्मृति शेष| राकेश वर्मा, बेरमो : 24 सितंबर 1980 की शाम चार बजे रामदेव मुंडा के घर पर रेडियो श्रोताओं की बैठकी जमी थी. कुछ लोग अपने-अपने ग्रुप में फरमाइशी गाने का बोल लिखकर पोस्ट करने की तैयारी में थे. उसी वक्त डाकिया पत्र लेकर रामदेव मुंडा के पास पहुंचा. पत्र खोलते ही वह अचानक उछल पड़े.
पत्र अमीन सयानी का था. उसमें सयानी ने लिखा था कि टाइम्स ग्रुप की फिल्मी पत्रिका माधुरी के संपादक विनोद पांडेय बेरमो के फरमाइशी श्रोताओं से काफी प्रभावित है. सयानी के शब्द थे-‘मुंडा जी, आपकी बेरमो टीम ने कोडरमा जिले के झुमरीतिलैया और बंबई के श्रोताओं को काफी पीछे छोड़ दिया है. देवघर के प्रशांत कुमार सिन्हा आप सभी का इंटरव्यू करेंगे.’ जब 11 महीने के बाद माधुरी में इंटरव्यू प्रकाशित हुआ, तो बेरमो टीम के उक्त सभी युवा श्रोता माधुरी के आवरण पृष्ठ के किरदार थे. अमीन सयानी ने एकबार रामदेव मुंडा को श्रोताओं का गुरु कहते हुए बिनाका गीतमाला में उनकी फरमाइश पूरी की थी.
रेडियो श्रोताओं के मामले में 80 के दशक में सुर्खियों में था बेरमो
‘जी हां बहनों और भाइयों, मैं हूं आपका दोस्त अमीन सयानी और आप सुन रहे हैं बिनाका गीतमाला.’ 42 साल तक अपने इस शानदार अंदाज और खनकती आवाज से लोगों को रेडियो का दीवाना बनाने वाले अमीन सयानी के 80 के दशक में बेरमो में कई दीवाने थे. एक समय था जब रेडियो सुनते वक्त आपने ध्यान दिया होगा कि किसी एक स्थान से अनेकों फरमाइश करनेवालों के नामों की उद्घोषणा गीतों के साथ की जाती थी.
उस वक्त रेडियो श्रोता संघों के नाम से भी लोग अपरिचित नहीं होंगे. ऐसी ही जगहों में एकीकृत बिहार (अब झारखंड) के कोयला क्षेत्र में पड़नेवाले कस्बाई शहर बेरमो का नाम तब सुर्खियों में था. संडे बाजार निवासी रामदेव मुंडा (बेहतरीन फुटबॉलर), मनजीत छाबड़ा, सुबोध सिंह पवार, असलम नवाब, दीपक अकेला, इसरार परवाना, अमरीक सिंह दीवाना, इंद्रजीत चंचल, उमेश सकूजा प्यासा आदि अनेक नाम काफी चर्चित थे.
अमीन सयानी स्मृतिशेष
- साल 1980 में सयानी साहब के कहने पर टाइम्स ग्रुप की फिल्मी पत्रिका माधुरी में छपा था बेरमो के कई लोगों का इंटरव्यू
- देवघर के प्रशांत कुमार सिन्हा ने लिया था सभी का साक्षात्कार
- सयानी ने पत्र लिख कहा था-‘मुंडा जी, आपकी बेरमो टीम ने झुमरीतिलैया और बंबई के श्रोताओं को काफी पीछे छोड़ दिया है’
चर्चित होने के कारण था फिल्मी गीतों के प्रति इनकी दीवानगी. ये लोग फिल्मी पत्रिका माधुरी के आवरण पृष्ठ के किरदार में शामिल रहे. तब के स्टेज पर अभिनय के शौकीन 25 वर्षीय दीपक सिंह अकेला ने दिये इंटरव्यू में कहा था कि गीतों के प्रति लगाव है, इसलिए फरमाइशें भेजते हैं. पंसदीदा गाने तो रिकाॅर्डो, कैसेटों आदि से सुने ही जा सकते हैं. फरमाइशें भेजना तो एक हॉबी है. इस हॉबी के चलते वह एक माह में करीब 85 फरमाइशी कार्ड भेजते थे.
सुख अनुभूति था रेडियो पर नाम प्रसारित होना
बीएससी के छात्र 20 वर्षीय सुबोध सिंह पवार ने इंटरव्यू में कहा था कि सिर्फ नाम प्रसारण की भावना रहती है. सभी प्रसारित नाम सुन पाना न तो संभव है, न ही व्यावहारिक. लोगों के कानों तक नाम पहुंच जाता है, बहुत है. 25 वर्षीय ग्रेज्युट असलम नवाब (अब दिवंगत) ने कहा था कि रेडियो पर नाम प्रसारित होना ही अपने आप में एक सुखद अनुभूति है. कितने लोग मेरे नाम से परिचित होंगे, ऐसी कुछ भावना मन को सुख देते हैं.
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28 वर्षीय आदिवासी युवक रामदेव मुंडा ने दिये इंटरव्यू में कहा था कि लाउडस्पीकर पर प्यारा दुश्मन का हरि ओम हरि… बज रहा था. यह गीत हमें बेहद पंसद है, पर दिन में चार-पांच या इससे अधिक दफे भी इसे बिना रेडियो के सुन लेता हूं. काफी पहले एक मित्र ने आदिवासी होने के नाते हीनभावना से कहा था कि आदिवासियों के नाम रेडियो पर नहीं आते. इस चैलेंज से वशीभूत होकर रेडियो पर फरमाइशें भेजनी शुरू की. जो भी हो, रेडियो पर नाम आना काफी सुखकर लगता है. कई बार ऐसा हुआ कि जिस गीत की फरमाइश की ही नहीं थी, वह भी मेरे नाम से बजा.
इंद्रजीत सिंह चंचल, साइनिंग स्टार ऑर्केस्ट्रा के संचालक रहे अमरीक सिंह दीवाना ने कहा था कि हमलोग वैसे ही गीतों की फरमाइश भेजते हैं, जो आसानी से तथा धुआंधार बजता हो. उस वक्त संडे बाजार निवासी निर्मल नाग, हरिवंश सिंह, फुसरो के मंजीत कुमार छाबड़ा, विजय कुमार छाबड़ा, रामाधार विश्वकर्मा, कुमारी वीणा छाबड़ा, कुमारी पीमी छाबड़ा, कुमारी रीना छाबड़ा, सुनीता गुप्ता, मो नौशाद परवाना, महेंद्र प्रसाद गुप्ता के इंटरव्यू भी माधुरी पत्रिका के किरदार के रूप में छपे थे. 30 अक्टूबर 1981 को यह इंटरव्यू प्रकाशित हुआ था.
शोक संदेश में बोले श्रोता- खनकती आवाज से कई पीढ़ियों को जोड़े रखा
बिनाका गीतमाला के फरमाइशों गीतों के हिस्सेदार रहे श्रोता अमरीक सिंह, सुबोध सिंह, इंद्रजीत सिंह, निर्मल नाग आदि ने अमीन सयानी के निधन पर गहरी शोक संवेदना प्रकट की है. कहा कि अमीन सयानी की खनकती आवाज में वो खूबसूरती और गर्मजोशी थी, जिसने कई पीढ़ियों को जोड़े रखा. उन्होंने अपने काम के जरिए भारतीय ब्रॉडकास्टिंग की दुनिया में क्रांति लायी और अपने श्रोताओं के साथ खास बॉन्ड बनाया. उनका शो बिनाका गीतमाला के हमलोग हिस्सेदार रहे, यह हम सभी के लिए गर्व की बात है.
गोमिया के शिवनाथ भंडारी की आवाज सुन स्तब्ध रह गये थे अमीन सयानी
गोमिया के साडम निवासी दिवंगत शिवनाथ भंडारी मशहूर कलाकार थे. वह रेडियो प्रस्तोता अमीन सयानी के बड़े फैन थे. शिवनाथ को गोमिया क्षेत्र में लोग अमीन सयानी के रूप में जानते-पहचानते थे. किसी भी स्टेज शो प्रोग्राम में शिवनाथ अमीन का नाम लेकर हाथ हिलाते और अपनी सुरीली आवाज में कार्यक्रम प्रस्तुत करते. जब शिवनाथ ‘मैं अमीन सयानी बोल रहा हूं’ कहते, तो लोग वाह-वाह कह उठते थे. एकबार दिल्ली में शिवनाथ की मुलाकात अमीन सयानी से हुई. उन्होंने सयानी की आवाज निकालकर उन्हें स्तब्ध कर दिया था.