संजय मिश्रा, बोकारो थर्मल : सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम डीवीसी (दामोदर घाटी निगम) का 77वां स्थापना दिवस रविवार को मनाया जायेगा. पिछले 76 वर्षों के दौरान देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में डीवीसी ने विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में कई उतार-चढ़ाव देखे. बोकारो थर्मल में डीवीसी ने एशिया का पहला 225 मेगावाट वाले ””””ए”””” पावर प्लांट का निर्माण वर्ष 1952 में किया गया था. बाद में यहीं 630 मेगावाट वाले ””””बी”””” पावर प्लांट का भी निर्माण 550 करोड़ रुपये की लागत से किया गया. पर्यावरण के बदलते मापदंडों व कठोर नियमों, कोयला की ज्यादा खपत, प्लांट का 30 वर्ष से ज्यादा पुराना होना, उत्पादन लागत ज्यादा होने के कारण बोकारो थर्मल के ””””ए”””” पावर प्लांट को 13 जुलाई 2000 को तथा 630 मेगावाट वाले ””””बी”””” पावर प्लांट को जून 2021 को बंद कर दिया गया. इस तरह बोकारो थर्मल के दोनों पावर प्लांट इतिहास के गर्त में समा गये. ””””बी”””” पावर प्लांट की कटिंग का कार्य हो रहा है. यह कार्य मार्च 2025 तक पूरा हो जायेगा. ””””ए”””” पावर प्लांट के ढांचे को बतौर धरोहर सुरक्षित रखा गया है. आने वाले दिनों में बोकारो थर्मल में ””””बी”””” पावर प्लांट के स्थान पर बैट्री स्टोरेज प्लांट, नयी तकनीक का ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट या सोलर प्लांट लगाने की योजना डीवीसी की है. डीवीसी ने बंद ””””ए”””” पावर प्लांट के स्थान पर 500 मेगावाट के पावर प्लांट का निर्माण 2500 करोड़ रुपये की लागत से सितंबर 2008 में शुरू किया था. नौ वर्ष बाद अप्रैल 2017 में लगभग 4000 करोड़ रुपये की लागत के साथ इसका काम पूरा किया गया. उदघाटन के बाद से सात वर्ष से इस प्लांट से लगातार फुल लोड पर बिजली का उत्पादन किया जाता रहा है. इसके कारण विगत सात वर्षाों से पूरे देश के पीएसयू के दस थर्मल पावर प्लांटों में इस प्लांट ने अपना दबदबा बरकरार रखा है.
सभी का सकारात्मक प्रयास रहा तो बोकारो थर्मल में नया पावर प्लांट लगने की संभावना : आनंद मोहन प्रसाद
डीवीसी बोकारो थर्मल के वरीय जीएम सह एचओपी आनंद मोहन प्रसाद ने कहा कि सभी का सकारात्मक प्रयास रहा तो बोकारो थर्मल में बंद 630 मेगावाट वाले पावर प्लांट के स्थान पर नया पावर प्लांट लगाया जा सकता है. फिलहाल मुख्यालय द्वारा यहां सोलर प्लांट लगाने की योजना पर अमल किया जा रहा है. नावाडीह प्रखंड के कंजकिरो में डीवीसी की 116 एकड़ भूमि पर सोलर प्लांट लगाने की योजना पर कार्य शुरू किया जायेगा. जमीन मापी का कार्य शुरू कर दिया गया है. इसके अलावा छिलका पुल के पास व नरकी में भी डीवीसी की जमीन पर सोलर प्लांट लगाया जायेगा. लुगू पहाड़ पर प्रस्तावित 15 सौ मेगावाट के पंप स्टोरेज प्लांट का निर्माण हो जाने से पूरे क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा. इसके अलावा हजारीबाग जिला के नरकी स्थित बोरोनाला में भी 15 सौ मेगावाट के पंप स्टोरेज प्लांट निर्माण होगा. आने वाला समय पावर प्लांट के स्थान पर पंप स्टोरेज, सोलर, बैट्री आदि प्लांटों का ही है.प्रतिदिन होती है 65 सौ से सात हजार एमटी कोयला की खपत
एचओपी ने कहा कि ए पावर प्लांट को फुल लोड पर प्रतिदिन चलाने पर साढ़े छह से सात हजार एमटी कोयला की खपत होती है. प्लांट से दो तरह की ऐश की निकासी होती है. प्रतिदिन 12-14 हजार एमटी ड्राइ फ्लाई ऐश बोकारो की डालमिया सीमेंट फैक्ट्री ले जायी जाती है. नूरी नगर स्थित ऐश पौंड में प्रतिदिन तीन से साढ़े तीन हजार एमटी जल मिश्रित छाई जमा की जाती है. इस छाई का उपयोग निर्माणाधीन भारतमाला प्रोजेक्ट में किया जा रहा है. एनएचएआइ के उक्त निर्माण कार्य में एक वर्ष में 15 लाख एमटी छाई का डिस्पोजल किया जायेगा.छह माह में ओवरब्रिज का निर्माण होगा पूरा
एचओपी ने कहा कि बोकारो थर्मल में डीवीसी के अधूरे ओवरब्रिज का निर्माण पूरा करने को लेकर धनबाद डीआरएम कार्यालय में एग्रीमेंट करने के बाद कार्य आरंभ कर दिया गया है. कार्य छह माह में पूरा कर लिया जायेगा. इसके बाद लोगों को रेलवे क्रॉसिंग पर लगने वाले जाम से निजात मिल जायेगी. कॉलोनी में सिवरेज को लेकर निर्माणाधीन दोनों एसटीपी का निर्माण मार्च 2025 में पूरा कर लिया जायेगा.सीएसआर के तहत सोशल वर्क भी करती है डीवीसी
एचओपी ने कहा कि डीवीसी बिजली उत्पादन के साथ आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में सीएसआर के तहत सोशल वर्क भी करती रही है. महिलाओं व युवतियों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. इसके अलावा सीएसआर की परिधि क्षेत्र में आने वाले गांवों में मछली पालन, मुर्गी पालन आदि का प्रशिक्षण सहित विभिन्न विकास कार्य किये जा रहे हैं. डीवीसी हॉस्पिटल के माध्यम से स्वास्थ्य जांच शिविर भी लगाया जाता है.एफजीडी प्लांट से हो रहा जिप्सम का निर्माण : एसएन प्रसाद
बोकारो थर्मल स्थित 500 मेगावाट वाले ए प्लांट में लगभग 400 करोड़ रुपये की लागत से एफजीडी प्लांट का निर्माण किया गया है. 22 जून को इस प्लांट का सीओडी हो जाने के बाद से कोयला से सल्फर को अलग किया जा रहा है. इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं हो रहा है. दूसरी ओर जिप्सम का भी निर्माण किया जा रहा है, जिससे डीवीसी को आर्थिक लाभ हो रहा है. सीओडी होने के बाद से प्रति यूनिट एपीसी भी बढ़ गया है. यह बातें एफजीडी प्लांट के वरीय जीएम एसएन प्रसाद ने कही. कहा कि एफजीडी के प्लांट को फुल लोड पर चलाने पर प्रतिदिन 160 एमटी लाइम स्टोन की खपत होगी, वहीं दूसरी ओर प्रतिदिन 210 एमटी जिप्सम भी तैयार किया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है