बंग समाज 14 अप्रैल को बांग्ला नववर्ष यानी पोइला बैशाख मनायेगा. पश्चिम बंगाल में पोइला बैशाख उत्साह के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बंग समाज के लोग एक-दूसरे को नववर्ष की बधाई देते हैं. प्रात: घरों की साफ-सफाई कर महिलाएं घरों में रंगोली सजाती हैं. घरों और दुकानों में गणेश और लक्ष्मी की पूजा की जाती है. पोइला वैशाख बंग समाज से जुड़े व्यवसायियों और दुकानदारों के लिए नया खाता शुरू करने का दिन होता है. घरों में लोग स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते हैं. घरों में तरह-तरह के व्यंजन, मछली की अलग-अलग वेराइटी माछेर पातुड़ी, माछेर कलिया, मुड़ी घोंतो आदि के अलावा शाकाहारी भोजन और तरह-तरह की मिठाइयों का लोग आनंद लेते हैं. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण पोइला बैशाख के उत्सव में कमी है. बंग समाज के लोग लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने-अपने घरों में परिवार के साथ पोइला बैशाख मनायेंगे. पोइला बैशाख पर कवि गुरु रवींद्र नाथ टेगौर की एक गीत काफी प्रसिद्ध है. ‘एशो हे बैशाख एशो एशो… (इस गीत का अर्थ है ‘आओ बैशाख आओ आओ…, हम सबों के लिए सुख-समृद्धि लाओ.)
क्या कहते हैं बंग समाज
पोइला बैशाख की सुबह घर में परिवार के साथ पूजा-अर्चना करेंगे. मां भगवती से वैश्विक महामारी कोरोना से क्षेत्र, राज्य और देश को मुक्ति दिलाने की कामना करेंगे. कोरोना के लॉकडाउन को देखते हुए बंग समाज के लोगों से अपील है कि लोग घरों में ही पोइला बैशाख मनायें. श्यामल कुमार सरकार, करगलीकोरोना महामारी को देखते हुए इस वर्ष परिवार के साथ घर में सादगी से पोइला बैशाख मनायेंगे. पोइला वैशाख वृहद सांस्कृतिक एकता का नमूना है. इस दिन घरों में छोटे बड़ों का पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं. ताकि पूरे साल भर नयी ऊर्जा के साथ अपने काम कर सकें.
सुजीत कुमार घोष, संडे बाजार
बांग्ला नववर्ष पर हम ईश्वर से प्रार्थना करेंगे कि कोरोना महामारी से जल्द हमारा देश मुक्त हो. बंग समाज के लोगों को इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार रहता है. इस बार हम सभी घरों में पूजा-पाठ करेंगे. परिवार और बच्चों के साथ घर में व्यंजनों का आनंद लेंगे.
एच अधिकारी, कथारा
कभी सोचा नहीं था कि पोइला बैशाख के दिन घर में ही रहना होगा. कोरोना महामारी के चलते देश विकट स्थिति से गुजर रहा है. ऐसे में हम पोइला बैशाख सादगी के साथ घरों में मनायेंगे. सुबह स्नान कर नये कपड़े पहन कर पूजा पाठ करेंगे. इसके बाद पकवानों का लुत्फ उठायेंगे.
आशीष चक्रवर्ती, कथारा
इस वर्ष पोइला बैशाख में कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होगा. लोग पहली बार वैशाख के दिन एक-दूसरे से सीधे तौर पर नहीं मिल पायेंगे. बंग समाज के लोग अपने-अपने घरों में ही रह कर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बांग्ला नववर्ष का उत्साह मनायेंगे.
पीजी सेन, बोकारो थर्मल
विशुआ और बैसाखी उत्सव भी आज अंग क्षेत्र का लोक पर्व विशुआ तथा सिख समुदाय का वैशाखी उत्सव भी 14 अप्रैल को मनाया जायेगा. विशुआ पर्व में सत्तू-गुड़ का भोजन लोग ग्रहण करते हैं. विशुआ की रात में भोजन बना कर दूसरे दिन बासी भोजन की मान्यता है. गौ पालक का रिवाज है कि विशुआ के दिन वे दूध नहीं बेचते हैं. गाय-भैंसा के संरक्षक बाबा विशु राउत को दूध चढ़ाते हैं. इसे गर्मी की शुरुआत भी माना जाता है. गांवों में भरथरी (भतृर्हरि) का गुण गाया जायेगा, जिसमें भगवान विष्णु की पूजा की जायेगी. वहीं सिख समुदाय के लोग वैसाखी उत्सव मनायेंगे. बेरमो के सिख समाज लोग अपने घरों और गुरुद्वारा में उत्साह मनायेंगे. हालांकि कोरोना के कारण गुरुद्वारों में भीड़ कम रहेगी. गुरुद्वारा में इस दिन कीर्तन होगा. बेरमो के संडे बाजार निवासी सरदार इंद्रजीत सिंह कहते हैं कि वर्ष 1699 में गुरु गोविंद सिंह ने वैशाखी के दिन देश की एकता, अखंडता और धर्म निरपेक्षता के लिए पंज प्यारे को अमृत पिला कर जीवित करने का कार्य किया था, तभी से इसे साजना दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं.