दुगदा. बीसीसीएल अपनी चार कोल वाशरियों को लीज पर निजी स्टील प्लांटों को देगी. इसमें दुगदा, मधुबन, महुदा और सुदामडीह कोल वाशरी शामिल हैं. दुगदा कोल वाशरी को लीज पर देने के लिए 20 सितंबर को टेंडर खुलेगा. मार्च माह में ही निजी कंपनियों ने इसके लिए टेंडर डाला था. बीसीसीएल वाशरी डिवीजन के महाप्रबंधक मो सोहेल इकबाल ने बताया कि कोल वाशरियों के मोनेटाइजेशन से कोल इंडिया को मुनाफा होगा. कोल इंडिया ने बंद कोल वाशरियों को निजी स्टील प्लांटों को 25 वर्षों के लिए देने की योजना बनायी है. स्टील प्लांट कोल वाशरियों का संचालन सिर्फ अपने प्लांट के लिए करेंगी. खुले बाजार में वाश कोल बेचने का अधिकार नहीं होगा. दुगदा कोल वाशरी के पीओ एस के शर्मा ने कहा कि बंद वाशरी के चालू होने से लोगों को रोजगार मिलेगा. वाशरी में कार्यरत लगभग 150 बीसीसीएल कर्मियों का स्थानांतरण किया जायेगा.
वर्ष 2019 के बाद से वाशरी की स्थिति दयनीय होती चली गयी
बेरमो़ तीन साल से ज्यादा समय से (21 मई 2021 से) दुगदा वाशरी बंद है. पहले प्रबंधन ने डीएमओ (माइनिंग चलान) के कारण वाशरी से उत्पादन बंद होने की बात कही थी. लेकिन सच्चाई है कि कोकिंग कोल (रॉ कोल) की आपूर्ति बंद हो गयी. वाशरी को जिस ग्रेड के कोयला की आवश्यकता है, वह नहीं मिल पा रहा था. दो साल पहले प्रबंधन का कहना था कि पहले इस वाशरी में रेल से जो कोयला आता था, उसमें माइनिंग चालान नहीं लगता था. लेकिन अब डीएमओ लागू कर दिया गया है. अब वाशरी के स्लरी व स्टॉक से भी रॉयल्टी की मांग की जाती है. दुगदा वाशरी को बीसीसीएल के भौंरा, एरिया नंबर-12 तथा सिजुआ से रेल मार्ग से कोकिंग कोल की आपूर्ति की जाती थी. रोजाना लगभग तीन हजार टन कोकिंग कोल यहां रेल ट्रांसपोर्टिंग के जरिये आता था. इससे लगभग 12 सौ टन वॉश कोल तथा शेष पावर कोल का उत्पादन होता था. इसे स्टील और पावर प्लांटों को भेजा जाता था. वर्ष 2019 के बाद से इस वाशरी की स्थिति दयनीय होती चली गयी. अब वाशरी को कोकिंग कोल मिलना ही बंद हो गया है. इसके अलावा सीटीओ (कंसेट टू ऑपरेट) के कारण भी कई माह तक यह वाशरी बंद रही. हालांकि बाद में सीटीओ मिल गया था.1962 से शुरू हुआ था उत्पादन
दुगदा कोकिंग कोल वाशरी से उत्पादन वर्ष 1962 में शुरू हुआ था. पहले यह वाशरी हिंदुस्तान स्टील के अधीन थी. बाद में यह सेल के तहत आ गयी. वर्ष 1983 के आसपास यह बीसीसीएल के अधीन आ आयी. यहां पहले दुगदा वन और दुगदा दो के नाम से वाशरी चलती थी. पहले दोनों वाशरी में पांच-पांच हजार टन कोयला रोजाना फीड होता था. पहले बोकारो स्टील प्लांट में डोली से यहां का कोयला जाता था. यह वाशरी वर्षों तक सालाना करोड़ों के मुनाफे में चलती रही. दुगदा-वन वाशरी कई वर्ष पहले ही बंद हो गयी. बाद में सिर्फ दुगदा-2 वाशरी चल रही थी, जो तीन साल से अधिक समय से बंद है.क्या कहते हैं यूनियन नेता
भामसं से संबद्ध धनबाद कोलियरी कर्मचारी संघ के केंद्रीय उपाध्यक्ष एस के मिश्रा का कहना है कि वाशरियों का किये जा रहे मोनेटाइजेशन का संघ विरोध करता है. इन्हीं वाशरियों ने बीसीसीएल को बीआइएफआर से बाहर निकाला था. कोल इंडिया व भारत सरकार से मांग है कि इन वाशरियों को फिर बीसीसीएल चालू करे. निजीकारण का विरोध नहीं करने वालों को आने वाली पीढ़ी कोसेगी.क्या कहते हैं विस्थापित नेता
झारखंड मूलवासी विस्थापित मोर्चा के अध्यक्ष बोढ़न यादव ने कहा कि दुगदा कोल वाशरी को मोनेटाइजेशन के तहत चालू किया जाना अच्छी खबर है. वाशरी चालू होगी तो यहां के लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. स्थानी बाजार की रौनक लौटेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है