BOKARO NEWS : बेरमो विस : 1969 के चुनाव में मात्र 368 वोट से हारे थे यमुना सिंह
BOKARO NEWS : बेरमो विधानसभा सीट से 1969 के चुनाव में जेएपी प्रत्याशी यमुना सिंह मात्र 368 वोट के अंतर से बिंदेश्वरी दुबे से हार गये थे.
राकेश वर्मा, बेरमो : वर्ष 1957 से लेकर 1977 तक बेरमो विधानसभा के चुनाव दिलचस्प रहे. कांग्रेस प्रत्याशी बिंदेश्वरी दुबे को दूसरे दलों के प्रत्याशी जबरदस्त मुकाबला देते रहे. 1969 के चुनाव में जेएपी प्रत्याशी यमुना सिंह मात्र 368 वोट के अंतर से बिंदेश्वरी दुबे से हार गये थे. बिंदेश्वरी दुबे को 15446 तथा यमुना सिंह को 15078 मत मिले थे. पीएसपी के मिथिलेश कुमार सिन्हा तीसरे, सीपीआइ के कैलाश महतो चौथे और भारतीय जनसंघ के रामलखन प्रसाद पांचवे स्थान पर रहे थे.
1967 के चुनाव में निर्दलीय एनपी सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी बिंदेश्वरी दुबे को कड़ी टक्कर दी और मात्र 1113 मतों के अंतर से पराजित हुए थे. बिंदेश्वरी दुबे को 16639 तथा एनपी सिंह को 15526 मत मिले थे. पीएसपी उम्मीदवार बिंदेश्वरी सिंह 6110 मत लाकर तीसरे, सीपीआइ प्रत्याशी शफीक खान 4815 मत लाकर चौथे और बीजेएस के जी प्रसाद 2089 मत लाकर पांचवे स्थान पर रहे.बेरमो सीट से दो बार शिवा महतो ने भी लड़ा चुनाव
नावाडीह को बेरमो से काट कर डुमरी विस में जोड़ने से पहले डुमरी विस क्षेत्र से झामुमो के टिकट पर तीन बार विधायक रहे शिवा महतो ने भी बेरमो विस से भी दो बार अपना भाग्य आजमाया है. 1972 के चुनाव में निर्दलीय मैदान में उतरे तथा 2519 मत लाकर चौथे स्थान पर रहे. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बिंदेश्वरी दुबे ने जीत दर्ज की थी. 1977 में पुनः शिवा महतो निर्दलीय चुनाव लड़े तथा 3728 मत लाकर तीसरा स्थान प्राप्त किया. इस चुनाव में जनता पार्टी के मिथिलेश सिन्हा ने कांग्रेस प्रत्याशी बिंदेश्वरी दुवे को पराजित किया था.1980 से लगातार चुनाव लड़ते रहे निर्दलीय कैलाश चंद महतो
बेरमो सीट से वर्ष 1980 से लगातार कैलाश चंद्र महतो निर्दलीय चुनाव लड़ते रहे. 2019 के उप चुनाव में भी वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े थे. उन्हें 1980 में 3079, 1995 में 988 और 2009 के चुनाव में 453 मत मिले थे. 1977 में जैकब चेरियन ने भी चुनाव लड़ा था और उन्हें 588 वोट मिले थे. जरीडीह बाजार निवासी सरदार खदान सिंह ने 1980 में चुनाव लड़ा और वह अंतिम 11वें स्थान पर रहे थे तथा 184 मत मिले थे. 1985 में ललन कुमार सिंह अकेला भी निर्दलीय चुनाव लड़े तथा 142 वोट लाकर अंतिम 14वें स्थान पर रहे. 1990 में विनय पाठक ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ा तथा मात्र 98 मत लाकर अंतिम 24वें स्थान पर रहे थे. इसी चुनाव में जरीडीह बाजार निवासी मदन मोहन अग्रवाल जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े तथा 1256 वोट प्राप्त किया था. 1995 में उधेश दुबे ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और उन्हें 527 मत मिले. फुसरो निवासी नंदू को 379 मत मिले थे.समाजवादी नेता बिंदेश्वरी सिंह भी लगातार लड़ते रहे चुनाव
40 के दशक के मजदूर नेता बिंदेश्वरी सिंह भी बेरमो विस क्षेत्र से लगातार चुनाव लड़ते रहे हैं. बेरमो विस बनने के पूर्व जब बेरमो जरीडीह-पेटरवार में शामिल था तो उस चुनाव में भी बिंदेश्वरी सिंह ने चुनाव लड़ कर तीसरा स्थान प्राप्त किया था. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बिंदेश्वरी दुबे को जीत मिली थी. दूसरे स्थान पर राजा पार्टी के कामख्या नारायण सिंह रहे थे. जब जरीडीह-पेटरवार विस से अगल होकर बेरमो विस बना तो इसके बाद 1957 के चुनाव में पुनः निर्दलीय बिंदेश्वरी सिंह मैदान में उतरे तथा चौथा स्थान प्राप्त किया. इस चुनाव में राजा पार्टी के ब्रजेश्वर प्रसाद सिंह जीते थे. कांग्रेस के बिंदेश्वरी दुबे दूसरे स्थान पर थे. 1962 के चुनाव में पुनः पीएसपी प्रत्याशी के रूप में बिंदेश्वरी सिंह चुनाव लड़े तथा तीसरा स्थान प्राप्त किया. इस चुनाव में कांग्रेस के बिंदेश्ररी दुबे ने जीत दर्ज की थी. दूसरे स्थान पर राजा पार्टी के ठाकुर ब्रजेश्वर प्रसाद सिंह रहे थे. 1967 के चुनाव में पीएसपी उम्मीदवार बिंदेश्वरी सिंह ने तीसरा स्थान प्राप्त किया. इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बिंदेश्वरी दुबे ने निर्दलीय प्रत्याशी एनपी सिंह को हराया था.
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