BOKARO NEWS : सीएम भी दिया है बेरमो ने, मजदूर नेताओं के लिए रही है प्रतिष्ठा की सीट

BOKARO NEWS : मुख्यमंत्री और कई मंत्री देने वाली बेरमो विधानसभा सीट मजदूर नेताओं के लिए प्रतिष्ठा की सीट रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 8, 2024 10:36 PM
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राकेश वर्मा, बेरमो : वर्ष 1957 में बेरमो विधानसभा क्षेत्र का गठन हुआ था. इसके बाद से सबसे ज्यादा इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है. कांग्रेस सह इंटक नेता व पूर्व मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे ने वर्ष 1962, 1967, 1969 तथा 1972 के चुनावों में यहां यहां से जीत दर्ज की थी. इसके बाद कांग्रेस व इंटक नेता राजेंद्र प्रसाद सिंह वर्ष 1985, 1990, 1995, 2000,2009 एवं 2019 में यहां से विधायक बने. 2020 में हुए उप चुनाव में राजेंद्र सिंह के पुत्र कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह बेरमो के विधायक बने. वर्ष 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर समाजवादी नेता मिथिलेश सिन्हा ने बिंदेश्वरी दुबे को पराजित किया था. 1980 में भाजपा के टिकट पर मजदूर नेता रामदास सिंह ने चुनाव जीता. कांग्रेस के विधायक रहे स्व बिंदेश्वरी दुबे इंटक व राकोमंस के दिग्गज नेता भी रहे. इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे. बिहार के मुख्यमंत्री से लेकर राजीव गांधी की सरकार में केंद्रीय श्रम व कानून मंत्री भी रहे. स्व दुबे के उत्तराधिकारी के रूप में रिकार्ड छह बार बेरमो से कांग्रेस के टिकट पर राजेंद्र प्रसाद जीते. स्व सिंह भी इंटक व राकोमंस की श्रमिक राजनीति में शिखर पर रहे. लगातार कई वर्षों तक वे इंटक के राष्ट्रीय महामंत्री के अलावा राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन के अध्यक्ष व राकोमसं के अध्यक्ष रहे. स्व सिंह एकीकृत बिहार व झारखंड में मंत्री रहे. इसके अलावा कांग्रेस विधायक दल के नेता व विपक्ष के नेता भी रहे. वर्ष 2005 में उन्हें झारखंड विधानसभा द्वारा उत्कृष्ट विधायक से सम्मानित किया गया था. उनके पुत्र बेरमो विधायक कुमार जयमंगल फिलहाल राकोमयू के अध्यक्ष व राष्ट्रीय खान मजदूर फेडरेशन के अध्यक्ष हैं. इसके अलावा गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से दो बार सांसद व बेरमो विस क्षेत्र से एक बार विधायक रहे स्व रामदास सिंह बेरमो के दिग्गज मजदूर नेता के रूप में शुमार रहे. वह एचएमएस से संबंध राकोमयू के महामंत्री सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. वहीं जनता पार्टी के टिकट पर 1977 में बेरमो विस से चुनाव जीतने वाले स्व मिथिलेश सिन्हा भी एचएमएस की मजदूर राजनीति में सक्रिय रहे. भाकपा व एटक के दिग्गज नेता स्व चतुरानन मिश्र ने भी बेरमो विस का चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं मिली थी. बाद के वर्षों में वह केद्रीय कृषि मंत्री बनाये गये थे. भाकपा व एटक के ही एक अन्य नेता शफीक खान ने भाकपा के टिकट पर बेरमो से कई चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली.

क्षेत्र में विस्थापन व पलायन है बड़ा मुद्दा

बेरमो विस में विस्थापन व पलायन बड़ा मुद्दा है. इसके अलावा बेरमो को जिला बनाना व जैनामोड़ को अनुमंडल का दर्जा दिलाना भी बड़ा मुद्दा है. बेरमो में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना नहीं हो सकी. बेरमो के ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई की माकूल व्यवस्था नहीं है. बेहतर चिकित्सीय व्यवस्था का भी अभाव है. बेरमो से कहीं के लिए सीधा रेल संपर्क नहीं है. हटिया-पटना एक्सप्रेस से बरकाकाना कोच को कई साल पहले बंद कर दिया गया. बेरमो में वायु प्रदूषण एक विकराल समस्या है.

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