24.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

…जब सैकड़ों समर्थकों के साथ बीच सड़क पर बैठ गए थे बिनोद बाबू, CCL से कोल इंडिया तक मच गया था हड़कंप

बिनोद बाबू ने जिस शोषण मुक्त झारखंड अलग राज्य का सपना देखा था, वह आज भी अधूरा है. 90 के दशक में ही विनोद बाबू ने बेरमो अंतर्गत सीसीएल के कथारा ढोरी और बीएंडके एरिया सहित डीवीसी के बीटीपीएस, सीटीपीएस में वस्थिापितों की लड़ाई करने का नेतृत्व किया.

राकेश वर्मा, बेरमो : बिनोद बाबू के बहुप्रतिक्षित झारखंड अलग राज्य का सपना आज जरूर साकार हो गया. किन्तु बिनोद बाबू ने जिस शोषण मुक्त झारखंड अलग राज्य का सपना देखा था, वह आज भी अधूरा है. पूरे झारखंड में बिनोद बाबू की अगुवाई में अलग राज्य का जो आंदोलन छेड़ा गया था, उसमें दरअसल अलग राज्य के साथ-साथ आत्मसम्मान, अस्मिता, अस्तित्व व मुक्ति की बातें भी निहित थीं. उस लड़ाई में झारखंड के दबे-कुचले अवाम को एहसास करा दिया था कि शोषण की जड़ें कहां हैं और उनके वर्ग दुश्मन कौन हैं. ऊंचाई पर रहने के बावजूद बिनोद बाबू ने हमेशा उन दुश्मनों के साथ दूरी बनाकर रखी. उनके आक्रमक तेवर, अदम्य साहस, कुशल नेतृत्व एवं जूझारुपन के आगे कोयलांचल के तमाम माफियाओं एवं नौकरशाहों की बोलती बंद हो गयी थी. नि:संदेह उस आंदोलन ने यहां के शोषित व उत्पीड़ित लोगों को पहचान प्रदान की. पढ़ो व लड़ो का नारा देनेवाले बिनोद बिहारी महतो झारखंड की जागृत आत्मा के प्रतीक, शोषितों, पीड़ितों व उपेक्षितों के मसीहा व झारखंड आंदोलन के प्रकाश स्तंभ थे.

सैकड़ों समर्थकों के साथ बीच सड़क पर बैठ गए थे बिनोद बाबू

24 अप्रैल 1970 को झारखंड केसरी विनोद बिहारी महतो ने बेरमो कोयलांचल के लोगों को धीरे-धीरे संगठित व जागृत करने का काम शुरू किया. वह यहां एके राय के साथ बराबर आते रहते थे. ढोरी स्थित रामरतन उच्च वद्यिालय में शिवाजी समाज की स्थापना को लेकर उन्होंने अपने समर्थकों के साथ बैठक की थी. 25 मई 1970 को नावाडीह स्थित भूषण उच्च वद्यिालय में आयोजित बैठक में हस्सिा लिया. 1978 में गोमिया से सेट कोनार व चिलगो में ग्रामीणों के साथ सभा की. 1980 में जब वह टुंडी के विधायक हुए थे, उस वक्त करगली में सभा की. वर्ष 1991 में जब गिरिडीह के सांसद बने तो बेरमो के श्रमिक नेता शफीक खान (अब मरहूम) व बटोही सरदार के आग्रह पर बेरमो में माफिया के विरुद्ध संघर्ष का शंखनाद किया और ढोरी के कल्याणी में अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ बीच सड़क पर दो दिनों तक बगैर कुछ खाए पिए बैठे रह गए थे.

सीसीएल से लेकर कोल इंडिया तक मच गया था हड़कंप

फिर क्या था, सीसीएल से लेकर कोल इंडिया तक में हड़कंप मच गया था. वह कोयलांचल को माफिया मुक्त बनाना चाहते थे उनका सपना था कि अलग झारखंड राज्य नर्मिाण हो, जो शोषण मुक्त हो. विनोद बाबू का बेरमो कोयलांचल के पुराने लोगों में शफीक खान, पूर्व विधायक स्व शिव महतो, पूर्व मंत्री स्व जगन्नाथ महतो, बेनीलाल महतो, विनोद महतो, केशव सिंह यादव, संतोष आस, एके बनर्जी, भूली मियां, वरुण शर्मा, बैजनाथ केवट, काशीनाथ केवट, धनेश्वर महतो, मोहर महतो, काली ठाकुर, छठु महतो, बालदेव महतो, रतनलाल गौड़, बटोही सरदार, अक्षयवर शर्मा, स्व युगल किशोर महतो, हृदयनाथ भारती, रामेश्वर भुइयां, घनश्याम सिंह, खगपत महतो, दशरथ महतो, इंद्रदेव राम, सहित कई लोगों के साथ काफी गहरा जुड़ा था. रतनलाल गौड़ पर 50 से ज्यादा मुकदमा आंदोलन के दौरान दर्ज हुआ था.

डीवीसी प्रबंधन के साथ किया एग्रीमेंट आज भी है जीवित

90 के दशक में ही विनोद बाबू ने बेरमो अंतर्गत सीसीएल के कथारा ढोरी और बीएंडके एरिया सहित डीवीसी के बीटीपीएस, सीटीपीएस में वस्थिापितों की लड़ाई करने का नेतृत्व किया. बीएंडके एरिया के कारो परियोजना में अपने पुराने शार्गिद स्व सागर महतो के साथ 84 वस्थिापितों को अपने हाथ से नियुक्ति पत्र बांटा था, जिसमें 45 वस्थिापित करगली घुटियाटांड़ के थे. सांसद बनने के बाद विनोद बाबू ने डीवीसी के बाद बोकारो थर्मल पावर स्टेशन में वस्थिापितों के आंदोलन का नेतृत्व करते हुए 788 वस्थिापितों का पैनल बनवाया. आज भी डीवीसी प्रबंधन के साथ उनका किया गया एग्रीमेंट जीवित है. वर्ष 88-89 में बीएंडके एरिया के डीआरएंडआरडी में प्रबंधन ने 19 वस्थिापितों को यह कह कर नौकरी से बैठा दिया था कि वह अपनी जमीन का समतलीकरण करा प्रबंधन को दें. इसके बाद विनोद बाबू के आंदोलन का ही परिणाम था कि तत्कालीन जीएम बी अकला को सभी वस्थिापितों को पुनः बुलाकर नियुक्ति पत्र देना पड़ा था.

Also Read: बिनोद बिहारी महतो ने झारखंड आंदोलन के लिए कलम को बनाया हथियार, जानें उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातें

शिवचरण मांझी के डस्मिसिल केस को कराया वापस

80 के दशक में पूर्व भंडारीदह स्थित एसआरयू के एक कमी सह राजाबेड़ा निवासी शिवचरण मांझी को प्रबंधन ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया था. इसकी सूचना मिलने के बाद एके राय (अब स्वर्गीय) वहां पहुंचे चूंकि उक्त मजदूर उन्हीं का यूनियन करता था. बाद में एके राय ने इस मामले को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी से एक पत्र लिखवा दिया था. विनोद बाबू भंडारीदह के एसआरयू पहुंचे तथा तत्कालीन डीजीएम जेपी सुल्तानिया से सर्फि एक ही सवाल किया कि शिवचरण का डस्मिसिल वापस होगा या नहीं ? कहते हैं कि श्री सुल्तानिया ने विनोद बाबू से आग्रह करते हुए कहा कि तत्काल इसका डिसमिस वापस करते हुए स्थानांतरण हजारीबाग स्थित इकाई में कर देते हैं, लेकिन हाजिरी यहीं बन जाएगी.

क्या कहते हैं नेतागण

विनोद बाबू की सोच की कोई नकल नहीं: अखिलेश महतो

मंत्री पुत्र व झामुमो नेता अखिलेश महतो उर्फ राजू महतो कहते है कि विनोद बाबू ने सदैव निचले तबके के उत्थान के बारे में सोचा. ग्रामीणों के बीच पढ़ो व लड़ो का नारा दिया. झारखंड अलग राज्य में विनोद बाबू की बड़ी भूमिका रही. 1972 में जब विनोद बिहारी महतो ने झामुमो का गठन किया तो इस क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की सोच में बदलाव आना शुरू हुआ. विनोद बाबू की सोच का कोई नकल नहीं कर सकता. आंदोलन का नेतृत्व करने की उनमें गजब की क्षमता थी.

जो ठान लेते थे, उससे कभी पीछे नहीं हटते थे: बाटुल

बेरमो के पूर्व विधायक योगेश्वर महतो बाटुल कहते है कि राजनीति के क्षेत्र में विनोद बाबू का मार्गदर्शन मुझे प्राप्त हुआ. मैंने 23 वर्ष झामुमो की राजनीति की. शिबू सोरेन को विनोद बाबू के साथ मिलाने में मेरे अलावा सुखलाल महतो एवं दुर्गा चरण महतो ने अहम भूमिका निभाई थी. विनोद बाबू ने सामाजिक व शक्षिा के क्षेत्र में पूरे झारखंड में काफी कुछ किया है. उनमें एक विशेषता थी कि जो ठान लेते थे उससे कभी पीछे नहीं हटते.

पिछड़े समाज को आगे बढ़ाने का देखा था सपना: बेनीलाल

झामुमो उलगुलान के महासचिव बेनीलाल महतो कहते हैं कि स्व विनोद बाबू ने शक्षिण संस्थानों के माध्यम से पिछडे समाज को आगे बढ़ाने का सपना देखा था, उनकी यह सोच थी कि तमाम सामाजिक बुराइयों की जड़ अशक्षिा है. वह जीवन पर्यंत गरीब, किसान, मजदूर के लिए संघर्ष करते रहे. झारखंड अलग राज्य का नर्मिाण स्व विनोद बाबू के आंदोलन का परिणाम है. यदि आज वे जीवित होते तो झारखंड का स्वरूप ही कुछ और होता.

विनोद बाबू के विचार आज भी प्रासंगिक: काशीनाथ

वस्थिापित संघर्ष समन्वय समिति के महासचिव काशीनाथ केवट ने कहा कि विनोद बिहारी महतो ने झारखंड आंदोलन को एक नई दिशा दी थी. उनके विचारों की प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी. विनोद बाबू व्यवस्था परिवर्तन के पैरोकार थे.

जीवन में कभी हार स्वीकार नहीं की: विनोद

वस्थिापित संघर्ष समन्वय समिति के कार्यकारी अध्यक्ष विनोद महतो का कहना है कि विनोद बाबू की हमेशा शोषणमुक्त समाज नर्मिाण की सोच रही. झारखंड के दबे कुचले लोगों का आर्थिक शोषण बंद हो और उन्हें न्याय मिले, इसके लिए उन्होंने लोगों को जागरूक किया. वस्थिापितों रैयतों को हक दिलाया और जीवन में कभी हार स्वीकार नहीं की.

Also Read: झारखंड के लोकगीतों में रचे-बसे हैं बिनोद बिहारी महतो

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें