Loading election data...

बिनोद बिहारी महतो जन्मशताब्दी: आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो बोले, बिनोद बाबू के सपनों का बनाएंगे झारखंड

आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो ने कहा कि शिक्षित समाज ही देश व राज्य का निर्माण कर सकता है. बिनोद बिहारी महतो की 100वीं जयंती पर बलियापुर पहुंचे सुदेश महतो ने बिनोद बाबू को श्रद्धांजलि अर्पित की. आजसू पार्टी ने बिनोद बिहारी महतो की 100वीं जयंती पर 100 सभाओं का आयोजन किया.

By Guru Swarup Mishra | September 23, 2023 9:19 PM

रांची: झारखंड आंदोलन के पुरोधा बिनोद बिहारी महतो की 100वीं जयन्ती के अवसर पर आजसू पार्टी के अध्यक्ष सह पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने बोकारो जिले के रामडीह मोड़ और धनबाद में बिनोद बिहारी महतो के बलियापुर स्थित समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की. बोकारो जिले के चंदनकियारी में दिवंगत बिनोद बिहारी महतो की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सुदेश कुमार महतो ने झारखंड के लिए उनके किए गए संघर्षों को याद करते हुए कहा कि बिनोद बिहारी महतो एक महान समाज सुधारक और सशक्त झारखंडी दर्शन से पूर्ण नेता थे. बिनोद बाबू के दर्शन और सोच से ही झारखंड आगे बढ़ेगा और झारखंडियों को उनका हक मिलेगा. वह कहते थे पढ़ो और लड़ो. एक शिक्षित समाज ही देश व राज्य का निर्माण कर सकता है. बिनोद बाबू ने इस राज्य और समाज के बारे में जो सपना देखा था वो अभी तक पूरा नहीं हो पाया. उनके सपनों में राज्य एवं राज्यवासियों की प्रगति की छाप थी, वो सपना जिसे उन्होंने समाज की कुरीतियों के खिलाफ गढ़ा था. झारखंड की नई पीढ़ी पर बड़ी जिम्मेदारी छोड़ गए बिनोद बिहारी महतो. नई पीढ़ी को राजनीतिक प्लेटफॉर्म पर काम करना पड़ेगा. उनके सपनों का झारखंड बनाना ही हमारा लक्ष्य है.

शिक्षित समाज ही कर सकता है देश व राज्य का निर्माण

आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश महतो ने कहा कि शिक्षित समाज ही देश व राज्य का निर्माण कर सकता है. बिनोद बिहारी महतो की 100वीं जयंती पर बलियापुर पहुंचे सुदेश महतो ने बिनोद बाबू को श्रद्धांजलि अर्पित की. आजसू पार्टी ने बिनोद बिहारी महतो की 100वीं जयंती पर 100 सभाओं का आयोजन किया.

Also Read: बिनोद बिहारी महतो जन्मशती: झामुमो ने झारखंड के लिए संघर्षों को किया याद, संगठन की मजबूती का दिया निर्देश

बिनोद बिहारी महतो की जयंती पर 100 सभाएं हुईं आयोजित

आजसू पार्टी ने बिनोद बाबू की 100वीं जयंती के अवसर पर पूरे प्रदेश में 100 सभाएं आयोजित करने का निर्णय लिया था. इसके तहत आज सभी विधानसभाओं व सभी जिलों में बिनोद बाबू की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उनके द्वारा बताए गए रास्तों पर चलने का संकल्प लिया गया. इसके साथ ही साथ केंद्रीय महाअधिवेशन में सभी विधानसभा और जिला क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए चिंतन और मंथन भी किया गया. इस दौरान महाधिवेशन में भाग लेने वाले कार्यकर्ताओं को 9990599905 के माध्यम से निबंधन करने का निर्देश दिया गया.

Also Read: बिनोद बिहारी महतो की जन्मशती: झारखंड के उपेक्षित व शोषित लोगों के लिए न्योछावर हुई इनकी हर सांस

जननेता थे बिनोद बाबू

झारखंड आंदोलन के प्रणेता बिनोद बिहारी महतो की जन्मशताब्दी पर आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने बिनोद बाबू के संघर्ष को याद करते हुए कहा कि झारखंड आंदोलन, समाज की बुराइयों को दूर करने, लोगों को शिक्षित करने और विस्थापितों को न्याय दिलाने के लिए वे अजीवन संघर्षशील रहे. उनके अगुवाई में ही झारखंड अलग राज्य आंदोलन मजबूत हुआ, जिसे आजसू पार्टी ने मुकाम तक पहुंचाने का काम किया. वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने सभी वर्ग व समुदाय को एकत्र कर झारखंड आंदोलन मजबूत करने का काम किया. वो किसी खास समाज के नहीं बल्कि जन-जन के नेता थे.

Also Read: बिनोद बिहारी महतो की जन्मशती: झारखंड आंदोलन के पुरोधा थे बिनोद बाबू

सरकार के कार्यों से ठगा महसूस कर रहा आम आदमी

झारखंड में बिनोद बाबू के विचारों के विपरीत गरीबों और शोषितों को भ्रष्टाचार के दलदल में धकेलने का काम सरकार ने किया है. आज कोई भी सरकारी काम बिना पैसा खिलाए नहीं हो रहा है. हर टेबल का एक रेट तय है. सुदेश महतो ने कहा कि आम जनता त्रस्त है. अगर आपके पास पैसे हैं तो आपके सारे काम बिना किसी रुकावट के समय से पहले भी हो सकते हैं, लेकिन एक गरीब इंसान बस सरकारी कार्यालयों के चक्कर ही लगता रह जाता है. सरकार के काम करने के रवैये से राज्य के सभी वर्ग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है. बड़े-बड़े झूठे वादे कर के सत्ता में आई इस सरकार को जनता आने वाले चुनावों में सत्ता से उखाड़ फेंकेगी.

Also Read: बिनोद बिहारी महतो जन्मशती: हमेशा रहे मुखर, बिहार विधानसभा में उठाया था कुड़मी को एनेक्सर-1 में लाने का मामला

झारखंड उनके योगदानों को कभी नहीं भूल सकता

सुदेश महतो ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि बिनोद बाबू ने सिर्फ पढ़ो और लड़ो का नारा ही नहीं दिया था, बल्कि उन्होंने आज से 50 साल पहले स्कूल और कॉलेज को संचालित करने एवं नए विद्यालय, महाविद्यालय खोलने के लिए पांच लाख रुपए तक की सहायता राशि दी थी, ताकि समाज के सभी वर्गों के बच्चे वहां पढ़ सकें और झारखंड के सुनहरे भविष्य की नींव मजबूत हो सके. उनका यह नारा मौजूदा हालात में भी प्रासंगिक है. शिक्षा के साथ-साथ झारखंड की सांस्कृतिक विरासत, लोकगीत-नृत्य को आगे बढ़ने के लिए वे सदैव प्रयासरत रहे और आर्थिक सहायता भी की. झारखंड उनके योगदानों को कभी नहीं भूल सकता.

Also Read: बिनोद बिहारी महतो की जन्मशती: कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष के लिए की थी शिवाजी समाज की स्थापना

Next Article

Exit mobile version