BOKARO NEWS : सीपी सिंह, बोकारो. संगठन के दृष्टिकोण से भारतीय जनता पार्टी को बहुत मजबूत माना जाता रहा है. महिला मोर्चा, युवा मोर्चा, ओबीसी मोर्चा, एससी-एसटी मोर्चा व अल्पसंख्यक मोर्चा के साथ भाजपा दूसरे राजनीतिक दल से सांगठनिक रूप से मजबूत दिखती है. बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत बनाने के लिए विभिन्न स्तर पर कार्यक्रम होता रहा है. कार्यकर्ता के मामले में बोकारो समेत देश में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ही है. बावजूद इसके भाजपा बोकारो जिला में खाता तक नहीं खोल पायी. जिले के सभी विधानसभा में भाजपा-एनडीए गठबंधन की हार हुई.
अति आत्मविश्वास बना हार का बड़ा कारण :
बोकारो में भाजपा-एनडीए की हार का सबसे बड़ा कारण अति आत्मविश्वास बना. अति आत्मविश्वास के कारण कार्यकर्ताओं को समेटे रखने में भाजपा असफल रही. नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने की जगह, सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ जमकर भड़ास निकाला गया. इससे नाराज कार्यकर्ता या तो चुनाव से दूर हुए या फिर विरोधी दल के लिए काम करने लगे. कुछेक मौका को छोड़ दें, तो भाजपा के जिलाध्यक्ष जयदेव राय व भाजयुमो के जिलाध्यक्ष विनोद कुमार महतो की सक्रियता कम दिखी. दोनों के गृहजिला में भाजपा चुनाव में तीसरे स्थान पर रही. दूसरे राज्य के नेता को क्लस्टर प्रभारी बनाया गया है, जो जिला की आबोहवा को भांप नहीं पाये.धनबाद सांसद ढुलू महतो चुनावी सीजन में बोकारो से गायब रहे. वहीं पूर्व सांसद पीएन सिंह भी सिर्फ चंदनकियारी में ही एक बार दिखे. जानकारों की माने तो वर्तमान सांसद ढुलू महतो बाघमारा विस चुनाव में व्यस्त रहे, वहीं पूर्व सांसद पीएन सिंह संगठन की ओर से महत्व नहीं मिलने के कारण क्षेत्र से दूर रहे. इसका असर दोनों नेताओं के समर्थकों पर हुआ. समर्थक बंटे दिखाई दिये. यहां तक की सोशल मीडिया में प्रत्याशी के खिलाफ पोस्ट भी लिखा गया.
बड़े नेताओं के ईदगिर्द घूमते रह गये कार्यकर्ता :
भाजपा ने चुनाव को मेगा शो बनाया. कार्यकर्ता उस मेगा शो का हिस्सा बनकर रह गये. तमाम विधानसभा क्षेत्र में बड़े नेताओं का ताबड़तोड़ कार्यक्रम हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा चंदनकियारी में हुई. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की सभा बेरमो व बोकारो में हुई. असम के सीएम हिमंता विश्वा सरमा ने बेरमो व चंदनकियारी में सभा की तो बोकारो में रोड शो किया गया. शिवराज सिंह चौहान बोकारो में रोड शो में शामिल हुए. गोमिया में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की सभा हुई. इसके अलावा भाजपा के दर्जनों नेता विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में रहे. इस कारण कार्यकर्ता उनके आगे-पीछे ही करते रह गये. जबकि, दूसरी तरफ महागठबंधन ने क्षेत्र के हिसाब से अपने दल के नेताओं को बुलाया, जो वोट में बदला.लोकसभा चुनाव से पार्टी ने हिसाब लगाया, लेकिन जमीन को नहीं पहचाना :
लोकसभा चुनाव परिणाम को भाजपा ने राज्य में विधानसभा से जोड़कर देखा. इस कारण पार्टी 55 सीट जीतने का अनुमान लगायी थी. लेकिन, लोकसभा चुनाव व विधानसभा के अंतर को नहीं आंक पायी. इस कारण लोकसभा की बढ़त को विधानसभा चुनाव में गवां दिया. लोकसभा चुनाव में बोकारो विस में भाजपा को 1,67,044 वोट मिला था, जबकि कांग्रेस को 1,02,141 वोट मिला था. वहीं चंदनकियारी विस में भाजपा को 100177 वोट मिला था, वहीं कांग्रेस (इंडिया) को मात्र 43,717 वोट मिला था. बेरमो विधानसभा में एनडीए को 8,4651 मत मिला, जबकि इंडिया को 59,183 वोट मिला था. इसी तरह गोमिया विस में एनडीए को 66,488 वोट व इंडिया को 58,828 वोट मिला था. लोस चुनाव के अनुसार सभी सीट पर एनडीए गठबंधन ने जीत हासिल की थी, लेकिन विस चुनाव में बाजी पलट गयी.2019 के मुकाबले धनबाद लोस में एनडीए को भारी झटका :
2019 चुनाव में भले ही भाजपा सत्ता से बाहर हो गयी थी, लेकिन धनबाद लोकसभा क्षेत्र में भाजपा को नुकसान नहीं झेलना पड़ा था. 2019 में लोकसभा क्षेत्र के 06 में से 05 विधानसभा सीट पर भाजपा को जीत मिली थी. पहली बार निरसा में पार्टी को जीत मिली थी. लेकिन, 2024 में स्थिति बिल्कुल उलट हो गयी. धनबाद लोकसभा के धनबाद व झरिया छोड़कर सभी चार सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. जबकि 2014 में सिर्फ झरिया में भाजपा को हार मिली थी.महिला वोट हुई शिफ्ट :
भाजपा के वोटर को साइलेंट माना जाता है. माना जाता है कि भाजपा समर्थक बिना हल्ला किये पार्टी के लिए वोटिंग करते हैं. महिला वोटर को भी भाजपा का साइलेंट वोटर माना जाता है. लेकिन, इस बार मंईंयां योजना का असर ऐसा हुआ कि महिला वोटर एनडीए को छोड़ कर इंडिया की ओर शिफ्ट हो गयी. इसका असर हर विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिला.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है