झारखंड : बरसात में टापू बन जाता है यह गांव, ग्रामीण हो जाते हैं कैद, इमरजेंसी पड़ने पर आती है आफत

गोमिया का बरतूआ गांव बरसात में टापू में बदल जाता है. जिसके बाद लोग गांव मेें कैद हो जाते हैं. कोई इमरजेंसी आती है तो ग्रामीणों के लिए आफत आ जाती है. ग्रामीणों ने कई बार अपने श्रमदान से पुल का निर्माण कराया, लेकिन वह हर बार तेज बारिश के कारण ढह जाती है.

By Jaya Bharti | September 25, 2023 2:40 PM
an image

ललपनिया (बोकारो), नागेश्वर : बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड का बरतूआ गांव काफी पिछड़ा क्षेत्र है, यह गांव लोधी पंचायत में आता है और नदी के बीचोबीच है. इस गांव में आने-जाने के लिए चुड़वा नदी पार करना पड़ता है. ऐसे तो ग्रामीण नदी पार कर लेते हैं, लेकिन बरसात के दिनों में इन्हें खासा समस्याओं का सामना करना पड़ता है. दरअसल, बारिश के कारण चुड़वा नदी में पानी भर जाता है और गांव टापू में बदल जाता है. ऐसे में ग्रामीण गांव से बाहर जाएं तो कैसे?

टापू जैसे गांव में कैद हो जाते हैं ग्रामीण

अपनी इस समस्या से उबरने के लिए ग्रामीणों ने श्रमदान करके एक पुल बनाया था, जो पानी में ढह गया. यह समस्या हर साल आती है. ग्रामीण श्रमदान कर सूखी लकड़ी, बांस और पत्थरों से पुल का निर्माण करते हैं, लेकिन विडंबना है कि इलाके में जोरदार बारिश होती है और पुल ढह जाता है. जिसके बाद ग्रामीण अपने टापू जैसे गांव में कैद हो जाते हैं. अचानक किसी प्रकार की कोइ इमरजेंसी आ पड़ी तो वे जान जोखिम में डालकर कर नदी को पार करते हैं. जरूरत पड़ने पर कभी कभार चार-पांच की संख्या में ग्रामीण वाहन को टांग कर नदी पार करते हैं.

झारखंड : बरसात में टापू बन जाता है यह गांव, ग्रामीण हो जाते हैं कैद, इमरजेंसी पड़ने पर आती है आफत 3

ढाइ करोड़ रुपए की लागत से बन रहा पुल : विधायक

पुल की मरम्मत को लेकर पंचायत की मुखिया जुवैदा खातून का कहना है कि जब से मुखिया बनी हूं, पुल मरम्मत करने में सहयोग करती रही हूं. विशेष प्रमंडल के द्वारा चुड़वा नदी में पुल निर्माण को लेकर विधायक ने तीन माह पहले शिलान्यास किया है. इधर इस सबंध में गोमिया के विधायक डॉ लंबोदर महतो ने कहा कि चुड़वा नदी में मेरे अनुंशा से लगभग ढाइ करोड़ रुपए की लागत से स्पेशल डिवीजन से पुल का निर्माण के लिये निविदा की प्रक्रिया अंतिम दौर में है. बरसात समाप्त होते ही पुल निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा. क्षेत्र के ग्रामीण कृष्णा भोगता, द्वारका गंजू, सोहर गंजू, खींच गंजू, निर्मल, रीतलाल, जानकी देवी, देवंती देवी समेत सभी जल्द पुल निर्माण कराने की मांग कर रहे हैं.

झारखंड : बरसात में टापू बन जाता है यह गांव, ग्रामीण हो जाते हैं कैद, इमरजेंसी पड़ने पर आती है आफत 4
Also Read: झारखंड का यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित, चुआड़ी का पानी पीते हैं आदिम जनजाति परिवार
Exit mobile version