रंजीत कुमार, बोकारो : बोकारो के ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल हाइपरटेंशन के मरीज बढ़ते जा रहे हैं. नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी ) के सर्वे में यह बात सामने आयी है. ग्रामीण क्षेत्रों में सत्र 2023-24 में एनसीडी की ओर से सात माह (अप्रैल से अक्तूबर 23) में 173379 लोगों की स्क्रिनिंग एक अभियान चला कर की गयी. इसमें 1534 ग्रामीण महिला व पुरुषों को हाइपरटेंशन से पीड़ित पाया गया. इसमें 70 प्रतिशत संख्या युवाओं (30 से 40 वर्ष) की है. यह आंकड़ा चौकाने वाला है. एनसीडी द्वारा स्क्रीनिंग के बाद रिपोर्ट के आधार पर पीड़ितों को हाइपरटेंशन की दवा सरकार की ओर से नि:शुल्क दी जा रही है. दिनचर्या में भी बदलाव करने की सलाह दी जा रही है. चिकित्सक लगातार बढ़ते हाइपरटेंशन के मरीजों की संख्या को चिंताजनक मान रहे है. खासकर युवाओं में बढ़ रहे हाइपरटेंशन को दिनचर्या में बदलाव के मुख्य वजह बता रहे है.
130/80 से ज्यादा रक्त का दबाव हाइपरटेंशन
आइएमए चास के पूर्व अध्यक्ष डॉ रणधीर कुमार सिंह ने बताया कि उच्च रक्तचाप को हाई ब्लड प्रेशर कहा जाता है. शरीर में मौजूद रक्त नसों में लगातार दौड़ती रहती है. इसके माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक ऊर्जा व पोषण के लिए जरूरी ऑक्सीजन, ग्लूकोज, विटामिंस, मिनरल्स आदि पहुंचते हैं. ब्लड प्रेशर उस दबाव को कहते हैं, जो रक्त प्रवाह की वजह से नसों की दीवारों पर पड़ती है. बीपी इस बात पर निर्भर करता है कि हृदय कितनी गति से रक्त को पंप कर रहा है. रक्त को नसों में प्रवाहित होने में कितने अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है. गाइडलाइंस के अनुसार 130/80 से ज्यादा रक्त का दबाव हाइपरटेंशन की श्रेणी में आता है.
मांसपेशियों में संकुचन व धड़कनों के बीच की स्थिति बताता है बीपी रीडिंग : डॉ सतीश
हर व्यक्ति के ब्लड प्रेशर में दो माप सिस्टोलिक व डायस्टोलिक शामिल है. जो मांसपेशियों में संकुचन व धड़कनों के बीच की स्थिति बताता है. आराम के वक्त ऊपरी रीडिंग 100 या 140 व निचली रीडिंग 60 से 90 के बीच रहती है. किसी में रक्तचाप 140/90 लगातार कई दिनों तक बनी हुई है, तो उसे हाइ ब्लड प्रेशर की श्रेणी में रखते हैं. यह बातें कार्डियोलॉजिस्ट डॉ सतीश कुमार ने शनिवार को ‘प्रभात खबर’ से नयामोड़ वेलमार्क अस्पताल में बातचीत में कही. डॉ सतीश ने कहा कि हाइ ब्लड प्रेशर से किडनी व हार्ट संबंधी समस्या उत्पन्न होती है. इलाज नहीं मिलने पर मौत हो सकती है. नियंत्रण के लिए योग व मेडिटेशन जरूरी है. दिनचर्या में भी बदलाव होना चाहिए. हाइपरटेंशन दो तरह का होता है. प्राइमरी हाइपरटेंशन ज्यादातर युवाओं को होता है. अनियमित जीवनशैली मुख्य वजह है. सेकेंडरी हाइपरटेंशन शरीर में किसी रोग की वजह से होता है. इसके अलावा अनुवांशिक, दवा का अधिक सेवन, सिगरेट, ड्रग्स आदि का अधिक उपयोग है.
सिर के पीछे व गर्दन में दर्द
डॉ सतीश ने कहा कि बीपी के लक्षणों में सिर के पीछे व गर्दन में दर्द, तनाव होना, सिर में दर्द, सांसों का तेज चलना, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, दिखने में परिवर्तन, थकान, सुस्ती, नाक से खून निकलना, नींद नहीं आना, दिल की धड़कन बढ़ना आदि है. जो किडनी व हार्ट के लिए घातक है. दिल पर गहरा प्रभाव होता है. हृदय को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों को सख्त व मोटा करता है. इससे एन्जिनिया, हार्ट डिजिज, कोरोनेरी हार्ट होने का अंदेशा बढता है. दिल की मांसपेशियां असामान्य रूप से मोटी हो जाती हैं.
लगातार रखना चाहिए नजर
डॉ सतीश ने कहा कि बार बीपी रीडिंग ज्यादा होने पर इसका नहीं किया जाता है. लगातार नजर रखना चाहिए. दवा से सामान्य करने की कोशिश की जाती है. सामान्य ब्लड प्रेशर रीडिंग 120/80 से कम होता है. ब्लड प्रेशर की रीडिंग 130/80 से ज्यादा होने पर हाइपरटेंशन श्रेणी में रखते है. नियंत्रण में रखने के लिए लगातार निगरानी जरूरी है. मेडिटेशन व योग का सहारा ले. दिनचर्या में बदलाव करे. हरि सब्ज्यिों का प्रयोग अधिक करना चाहिए. एल्कोहल व नशा की अन्य सामग्री से दूर रहने की जरूरत है.
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