झारखंड राज्य में बोकारो पेट्रोलियम खनन पट्टा का लीज देने वाला पहला जिला बना
ओएनजीसी-सीआइएल कंसोर्टियम को मिला पेट्रोलियम खनन पट्टा, जिले के झरिया सीबीएम ब्लाक के 39.48 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है दायरा
बोकारो. बोकारो जिला के लिए बुधवार का दिन विशेष रहा. बोकारो झारखंड राज्य में पेट्रोलियम खनन पट्टा संविदा करने वाला पहला जिला बन गया है. वहीं देश में दूसरा जिला बना, इससे पहले असम में ऐसा हुआ है. समाहरणालय स्थित कार्यालय कक्ष में बुधवार को ओएनजीसी – सीआइएल कंसोर्टियम को झरिया सीबीएम ब्लॉक बोकारो जिला के 39.48 वर्ग किमी क्षेत्र के लिए पेट्रोलियम खनन पट्टा की स्वीकृति मिली. उपायुक्त विजय जाधव ने बताया कि उक्त पेट्रोलियम खनन पट्टा कोल बेड मिथेन गैस के दोहन के लिए ओएनजीसी-सीआइएल कंसोर्टियम को 20 वर्षों के लिए लीज मिला है.
मौके पर अपर समाहर्त्ता मुमताज अंसारी, जिला खनन पदाधिकारी रवि कुमार सिंह, ओएनजीसी के बोकारो जिला के सीबीएम ऐसेट मैनेजर ओएनजीसी, सीआइएल के प्रतिनिधि व अन्य उपस्थित थे.क्या है सीबीएम गतिविधि
मिथेन जो कोयला निर्माण प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होती है और ‘सोखना’ द्वारा अपनी आणविक संरचना के भीतर बरकरार रहती है, उसे ‘कोल बेड मिथेन’ कहा जाता है. इस कोल बेड मिथेन (सीबीएम) को डिवाटरिंग के माध्यम से जलाशय (कोयला सीम) के दबाव को धीरे-धीरे कम करके नियंत्रित तरीके से छोड़ा व एकत्र किया जा सकता है. पारंपरिक गैस क्षेत्रों की तुलना में कोयला परतों में 6-7 गुना गैस धारण क्षमता होती है. सीबीएम ऊर्जा का एक स्वच्छ रूप है. इसे औद्योगिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पाइपलाइनों के माध्यम से उपभोक्ताओं को आसानी से आपूर्ति की जा सकती है. सीबीएम निष्कर्षण के लिए, लक्ष्य गहराई 1000-1200 मीटर के साथ कुओं को ड्रिल किया जाना चाहिए, इसके बाद संभावित लक्ष्य क्षेत्रों, छिद्रण और हाइड्रो फ्रैक्चरिंग के आकलन के लिए लॉगिंग ऑपरेशन किया जाना चाहिए, ताकि फ्रैक्चर बनाया जा सके जो कोयले की परतों में फैलता है और निकट कुएं की पारगम्यता को बढ़ाता है. कोयला परतों से वेलबोर तक पानी और गैस प्रवाहित करने के लिए. सामान्य तौर पर सीबीएम कुएं शुरू में पानी का उत्पादन करते हैं, फिर पानी के साथ गैस का भी उत्पादन होता है. यदि गैस का सतत प्रवाह देखा जाता है, तो नियामक अधिकारियों की अनुमति से पूरे क्षेत्र के लिए एक विकास योजना तैयार और कार्यान्वित की जाती है. राज्य सरकार, एमओपी और एनजी आदि जिसमें बड़ी संख्या में सीबीएम कुओं की ड्रिलिंग, पाइपलाइन (गैस और पानी) बिछाने, परिवहन और खरीदार को पाइपलाइन के माध्यम से बिक्री के लिए प्रतिष्ठानों पर सीबीएम गैस का संग्रह शामिल है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है