बोकारो स्टील प्लांट के कर्मियों को बड़ा झटका, फरवरी के वेतन में नहीं मिलेगा 3 फीसद इंक्रीमेंट का लाभ
बोकारो स्टील प्लांट के कर्मचारियों को फरवरी महीने से मिलने वाले वेतन में इंक्रीमेंट नहीं मिल सकेगा. क्यों कि पे-स्केल को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है. कर्मियों के लिए 2017 से लंबित वेतन समझौते पर अक्टूबर-2021 में सहमति बनी थी.
बोकारो : बोकारो स्टील प्लांट के कर्मियों को फरवरी माह में मिलने वाले वेतन में पूरे तीन फीसद इंक्रीमेंट का लाभ नहीं मिल पायेगा. इसकी बड़ी वजह कर्मियों के पे-स्केल पर अब तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है. दिसंबर-2021 में एनजेसीएस सब कमेटी की दो दिवसीय बेनतिजा रहा. लेकिन इसके बाद न ही बैठक हो पाया न ही इसकी तारीख जारी हुई. इस कारण पे-स्ट्रक्चर सहित अन्य मामला लटका रहा.
बोकारो स्टील प्लांट सहित सेल के कर्मियों के लिए 2017 से लंबित वेतन समझौते पर अक्टूबर-2021 में सहमति बनी थी. पे-स्ट्रक्चर सहित अन्य मामलों को लेकर एनजेसीएस उप समिति की बैठक में निर्णय होना था. लेकिन, अब तक पे-स्ट्रक्चर तय नहीं हो पाया है. पे-स्केल सीमित होने की वजह से वास्तविक तौर पर लाभ 2.4 फीसद से 2.7 फीसद तक बताया जा रहा है. बता दें कि कर्मियों को सालाना वेतन वृद्धि जनवरी व जुलाई से प्राप्त होती है.
पे-स्ट्रक्चर तय नहीं होने का नुकसान कर्मियों को पूरे सेवाकाल तक
पे-स्ट्रक्चर तय नहीं होने का नुकसान कर्मियों को पूरे सेवाकाल तक भुगतना पड़ता है. क्यों कि ये न सिर्फ सीपीएफ, भविष्य निधि, महंगाई भत्ते, पेंशन व प्रतिशत पक्ष पर प्रभाव डालता है बल्कि अगले वेतन समझौते में भी मिलने वाले लाभ को काफी कम कर देता है. कर्मियों का आरोप है कि प्रबंधन ने एक योजना के तहत लगातार तीसरे वेतन समझौते में कर्मियों के लाभ को सीमित करने पे-स्केल पर कैपिंग का प्रावधान करने का मन बना रखा है.
कर्मियों के लिए वेतन समझौते में पे-स्ट्रक्चर तय नहीं हुआ है
बीएसएल-सेल में कर्मियों के लिए वेतन समझौते में पे-स्ट्रक्चर तय नहीं हुआ है. वहीं, प्रबंधन ने सभी कैलकुलेशन के लिए एक पे-स्केल तय कर रखा है, जिसमें कर्मचारियों के अधिकतम बेसिक को काफी कम स्तर पर सीमित किया गया है. पहले की तरह पर्सनल-पे के प्रावधान को हटाते हुए फिक्स्ड इंक्रीमेंट का प्रावधान किया है. कर्मियों को मिलने वाले एरियर्स से लेकर इंक्रीमेंट तक इसी पे-स्ट्रक्चर के आधार पर कैलकुलेट किये जा रहे हैं.
रिपोर्ट – सुनील तिवारी