कृष्णकांत सिंह
Bokaro news: बोकारो पुलिस की कार्यशैली पर अक्सर सवाल उठते आये हैं. इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है. बीएस सिटी थाना के हाजत में विश्वनाथ सहिस (39) नामक एक शख्स को चोरी के आरोप में चार दिनों तक बंद रखने और फिर थाना प्रभारी दुलड़ चौड़े के घर ले जाकर पीटने और अंत में जेल भेजने का मामला सामने आया है. हैरत यह है कि चोरी के इल्जाम में जिस व्यक्ति को हिरासत में लिया गया, उसके खिलाफ चार दिन तक कोई केस दर्ज नहीं किया गया. पांचवें दिन शुक्रवार को आनन-फानन में कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.
एसपी को आवेदन देकर न्याय की लगाई गुहार
थाना के हाजत में बंद करने की पुष्टि थाना परिसर में लगे सीसीटीवी से भी की जा सकती है. पुलिस की इस करतूत से एक परिवार की जान न केवल सांसत में है, बल्कि डर सता रहा है कि कहीं पुलिस की पिटाई से मौत न हो जाये. क्योंकि कुछ दिनों पहले इसी केस में एक और आरोपी महिला के पति की मौत हो चुकी है. आरोप है कि पुलिस ने उसे भी उठाकर पिटाई की थी. लिहाजा, लॉकअप में बंद विश्वनाथ की सास सुशीला देवी ने आइजी, डीआइजी व एसपी को आवेदन देकर न्याय की फरियाद की है. इस मामले में सिटी थाना प्रभारी से उनका पक्ष जानने के लिए प्रभात खबर ने चार बार फोन किया लेकिन रिसीव नहीं किया.
दो घरेलू मेड पर चोरी का आरोप
दरअसल, सेक्टर वन क्वार्टर संख्या- 054 में रहनेवाले बीपीसीएल के महाप्रबंधक राकेश रंजन सिन्हा पिता स्व. सतीश चंद्र सिन्हा के घर में सात नवंबर 2021 को 10 हजार रुपये की चोरी हुई थी. उन्हें शक है कि उनके घर में काम करनेवाली दो महिलाएं आनंदी देवी उर्फ रानी (38)और रेखा देवी उर्फ सुभद्रा ने चोरी की थी. उन्होंने दोनों से पूछताछ की, लेकिन जवाब नहीं मिला. राकेश के अनुसार 13.10.2021 को उनकी पत्नी डॉ देव्यानी (सिटी कॉलेज में प्रोफेसर) व बच्चे बेंगलुरू चले गये थे. सात नंवबर घटना वाले दिने पत्नी व बच्चे के लौटने के बाद जब राकेश ने घर में छानबीन की तो बेडरूम से सोने, चांदी व हीरे के जेवरात भी गायब मिले.
शक के आधार पर उठा ले गयी पुलिस
गौर करनेवाली बात यह है कि चोरी पिछले साल नवंबर में हुई थी, जबकि राकेश के आवेदन पर दो जनवरी 2022 को सिटी थाना में केस दर्ज हुआ था. अब इसी मामले में आठ अगस्त 2022 को सिटी पुलिस आनंदी देवी के पति विश्वनाथ सहिस को दिन के करीब 12 बजे बिना केस या वारंट के पुलिस उठा ले गयी और हाजत में बंद कर दिया. सुशीला का आरोप है कि इस दौरान उसके दामाद की पिटाई भी की गयी. इधर आनंदी का कहना है कि जब वह गुरुवार को पति को चाय देने थाना गयी थी तो उसे भी हिरासत में ले लिया गया और पिटाई की गयी.
सुभद्रा के पति की हुई थी पुलिस की पिटाई से मौत
सुशीला ने आइजी को दिये आवेदन में लिखा है कि राकेश रंजन के दिये आवेदन के आधार पर पुलिस ने पूर्व में सुभद्रा के पति दीपक बाउरी को भी चोरी के झूठे आरोप में थाना हाजत में बंद कर बुरी तरह पिटाई की थी. उसकी स्थिति इतनी नाजुक हो गयी थी कि थाना से छूटने के बीस दिन बाद ही उसकी मौत हो गयी. ऐसे में सुशीला को यह डर सता रहा है कि कहीं उसके दामाद के साथ भी ऐसी ही घटना नहीं हो जाये. राकेश सिन्हा द्वारा धमकी दी जा रही है कि उसकी बात नहीं मानी तो विश्वनाथ का हाल भी वैसा ही होगा, जैसा सुभद्रा के पति दीपक का हुआ था.
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क्या कहते हैं कानूनविद
बिना केस दर्ज हुए किसी भी महिला या पुरुष को थाना बुलाकर पूछताछ करना या हाजत में बंद करना गलत है़ सुप्रीम कोर्ट के साथ ही अन्य राज्य के कोर्ट में भी इस बात को कहा गया है कि बिना केस दर्ज हुए किसी को थाना नहीं बुला सकते हैं. पुलिस किसी को हाजत में बंद करती है तो 24 घंटे बाद उसे जेल भेजने का प्रावधान है.
इलाहाबाद हाइकोर्ट ने ऐसे मामले में क्या कहा है
हाल ही में इलाहाबाद हाइकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए पुलिस द्वारा किसी भी व्यक्ति को बिना एफआइआर दर्ज हुए थाना में बुलाने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता के तहत नोटिस जारी करने के उपरांत ही किसी को थाना बुलाया जाये. कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि अधीनस्थ पुलिसकर्मी वरीय अधिकारियों की अनुमति से ही नोटिस जारी कर सकते हैं.