Bokaro News: सीसीएल ढोरी, बीएंडके और कथारा में विस्थापित संघर्ष समन्वय समिति बेरमो के दूसरे गुट की ओर से शुक्रवार को अनिश्चितकालीन चक्का जाम आंदोलन शुरू किया गया. पहले दिन आंदोलन का आंशिक असर दिखा. समिति के नेताओं ने तीनों एरिया की विभिन्न परियोजनाओं में कोयला ट्रांसपोर्टिंग कार्य रोकने का प्रयास किया. लेकिन सीआइएसएफ व सीसीएल सुरक्षा गार्ड की तैनाती के कारण ट्रांसपोर्टिंग पर खास असर नहीं पड़ा. कुछ घंटों के बाद ट्रांसपोर्टिंग कार्य सुचारू रूप से चला.
मांग में सकारात्मक पहल नहीं होने पर जारी रहेगा आंदोलन
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे समिति के अध्यक्ष सूरज महतो ने कहा कि विस्थापितों के मुद्दों पर ढोरी, बीएंडके व कथारा प्रबंधन को अलग-अलग मांग पत्र दिया गया है. जब तक इस सकारात्मक पहल नहीं होगी आंदोलन चलता रहेगा. पहले दिन के आंदोलन को ट्रांसपोर्टरों ने भी सहयोग करते हुए ट्रांसपोर्टिंग कार्य बंद रखा. शनिवार को विश्वकर्मा पूजा होने के कारण थोड़ी ढील दी जायेगी. दोपहर से ट्रांसपोर्टिंग कार्य बंद रखा जायेगा. महामंत्री कमलेश महतो ने कहा कि प्रबंधन बिना नौकरी व मुआवजा दिये रैयतों की जमीन पर कोयला उत्पादन करना चाहती है. समिति के मांगों पर तीनों एरिया प्रबंधन गंभीरता से पहल करें अन्यथा उग्र आंदोलन किया जायेगा. आंदोलन में दशरथ महतो, मुकेश महतो, किशोर महतो, सुखदेव रवि, रोहित कुमार, परमेश्वर कुमार, टिंकू कुमार रविदास, चितरंजन महतो, विकास कुमार, सूरज कुमार महतो, अरुण कुमार, संदीप कुमार, बिनोद रवि, अजय मुर्म, किशोर महतो, विकास रजवार, रोहित भारती, अजहर, इम्तियाज अंसारी, सौकत आदि शामिल थे.
कथारा एरिया में उतरे आंदोलनकारी
कथारा. कथारा एरिया की जारंगडीह परियोजना में आउटसोर्सिंग का कार्य सुबह से ही ठप रखा गया. घंटों तक माइंस में ट्रांसपोर्टिंग के हाइवा खड़े रहे. समिति के नौशाद अंसारी, सज्जाद अंसारी, दशरथ महतो, इरशाद अंसारी, शमशाद अंसारी, मो हासिम उद्दीन अंसारी, जाफर अंसारी, मो कुर्बान अंसारी आदि सदस्यों ने बताया कि प्रबंधन के पास कई बार मांगें रखी गयी, लेकिन इस पर गंभीरता नहीं दिखायी गयी. इधर, सूचना मिलने पर बोकारो थर्मल थाना की पुलिस पहुंची और समझा-बुझा कर ट्रांसपोर्टिंग कार्य चालू कराया. मौके पर प्रबंधन की ओर से ओपेन कास्ट के खान प्रबंधक डीके सिंह, सुरक्षा प्रभारी मनोज सुंडी सहित कई अधिकारी भी थे.
तीनों एरिया में हैं अलग-अलग मांगें
समिति की मांगें तीनों एरिया में अलग-अलग हैं. बीएंडके एरिया में कारो मौजा की अधिग्रहीत जमीन के एवज में बकाया नौकरी, मुआवजा व पुनर्वास, कारो में 50 फलदार पेड़ों को काटे जाने पर रैयतों को मुआवजा, कारो के विस्थापितों को बिजली, पानी व शिक्षा सुविधा, खासमहल व कोनार परियोजनाओं के विस्थापितों को अधिकार, डीआरएंडआरडी के विस्थापितों को जमीन का बकाया मुआवजा, लोकल सेल में कोयला बिक्री के लिए कोटा, आउटसोर्सिंग में 75 प्रतिशत रोजगार, सीएसआर फंड से स्वीकृत योजनाओं को विस्थापित गांवों में धरातल पर उतारने सहित 20 सूत्री मांगें शामिल हैं. ढोरी एरिया में पिछरी कोलियरी के रैयतों को जमीन का सत्यापन कर नौकरी मुआवजा व पुनर्वास देने, अमलो व तुरियो के विस्थापितों को अधिकार देने, विस्थापितों को पेप कार्ड देने, बंद अंगवाली खदान को चालू कर रैयतों काे बकाया नौकरी देने, आउटसोर्सिंग कंपनियों में रोजगार देने, सीएसआर से बिजली, पानी, सडङक, शिक्षा, चिकित्सा आदि सुविधाएं गांवों में मुहैया कराने, ढोरी मौजा के 999 वर्ष के लीज को रद्द करने, पिछरी के रैयतों पर किया गया केस वापस लेने सहित 17 सूत्री मांगें शामिल हैं.
यह है 17 सूत्री मांग
कथारा एरिया में बांध मौजा की जमीन का अधिग्रहण कर मुआवजा के विरोध के बावजूद सरकारी खजाना में जमा किये जाने को अविलंब रद्द करने, कथारा कोलियरी के लिए अधिग्रहीत लगभग 2400 एकड़ जमीन के बदले नौकरी व मुआवजा देने, बंद खदान को समतल कर खेती लायक जमीन बना कर रैयतों को वापस करने, अनियंत्रित ब्लास्टिंग से क्षतिग्रस्त मकानों का मरम्मत कराने, हटाये गये मजदूर व विस्थापितों को रोजगार देने, तीन नंबर खदान में लगी आग के कारण हो रहे नुकसान को रोकने, गोविंदपुर में 1112 एकड़ व 265 एकड़ अधिग्रहीत जमीन के एवज में बकाया नौकरी व मुआवजा देने सहित 11 सूत्री मांगें शामिल हैं.