बोकारो, चंदनकियारी को झारखंड की हॉट व शुरुआती दौर में भाजपा के लिए सेफ सीट माना जा रहा था. लेकिन, झामुमो ने चंदनकियारी में खेला किया. आजसू नेता उमाकांत रजक को पार्टी में शामिल कराकर उम्मीदवार बनाया. इसके बाद यहां चुनावी लड़ाई हर दिन दिलचस्प बनते चला गया. भाजपा की जमीन लगातार कमजोर होती चली गयी. जेकेएलएम प्रत्याशी अर्जुन रजवार ने भाजपा के वोट में सेंधमारी की. लेकिन, भाजपा को इसकी भनक तक नहीं लगी. भाजपा लगातार बड़े नेताओं की सभा व कार्यक्रम कराते रही, लेकिन जमीन की सच्चाई पर गौर नहीं फरमा सकी. अमर कुमार बाउरी को भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था. इस कारण श्री बाउरी लगातार रांची व अन्य जगहों का दौरा करते रहे. क्षेत्र में उनकी उपलब्धता पिछले दिनों के मुकाबले बहुत कम हो गयी. वहीं दूसरी ओर झामुमो प्रत्याशी उमाकांत रजक दो चुनाव हारने के बाद भी मैदान पर बने रहे. लोकसभा चुनाव के दौरान क्षेत्र में लगातार दौरा किया. जबकि, श्री बाउरी दूसरे लोकसभा सीट में भी व्यस्त रहें. यानी क्षेत्र से उनका गैप बढ़ा.
कल्पना सोरेन की सभा ने कार्यकर्ताओं को किया एकजुट
भाजपा चंदनकियारी में गलतफहमी की शिकार हुई. भाजपा सोचते रही कि दूसरे दल से झामुमो में आने के कारण पुराने झामुमो कार्यकर्ता उमाकांत रजक को स्वीकार नहीं करेंगे. भाजपा ने यह माहौल भी बनाने की भी कोशिश की. लेकिन, जमीन पर कुछ और ही था. भाजपा कार्यकर्ता सिर्फ चंदनकियारी विस को लेकर इस चुनाव को देख रही थी, जबकि झामुमो के कार्यकर्ता हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर एकजुट हुए. कल्पना सोरेन की सभा के बाद एकजुटता बढ़ते चली गयी.
पीएम मोदी की सभा नहीं आयी काम
पीएम नरेंद्र मोदी की सभा में लाखों-लाख की भीड़ जुटी थी. इससे भाजपा अति आत्मविश्वास में आयी. भाजपा ने पीएम नरेंद्र मोदी की सभा में उमड़ी. भीड़ को अपना वोट समझने की गलती की. जबकि, दूसरी ओर झामुमो-कांग्रेस इस भीड़ को चैलेंज के रूप में ली. भले ही बूथ मैनेजमेंट का उस्ताद मानी जाती है, लेकिन बूथ मैनेजमेंट में इस बार झामुमो-कांग्रेस ने ताकत दिखायी. घर-घर से वोट निकाल कर काम किया.
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