चास, प्रधानमंत्री अमृत योजना के तहत चास के कालापत्थर गांव में दो एकड़ भूमि पर लगभग 11 करोड़ की लागत से सेप्टेज प्रबंधन प्लांट का निर्माण होगा. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही लोगों को आसानी से उच्च क्वालिटी का खाद्य भी मिलेगा, जिससे खेती करने में सुविधा होगी. प्लांट के निर्माण से किसी भी प्रकार का कोई प्रदूषण नहीं होगा, लेकिन स्थानीय लोग दिग्भ्रमित हो गये हैं. ये कहना है चास नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त जयपाल सिंह का. वे गुरुवार को निगम कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे.
सहायक नगर आयुक्त श्री सिंह ने कहा कि सेप्टेज प्रबंधन प्लांट स्वच्छ भारत मिशन का महत्वाकांक्षी योजना है. गिरिडीह, हजारीबाग, देवघर, बुंडू, चिरकुंडा सहित अन्य जगह पर इस प्लांट का निर्माण हो चुका है. लेकिन कहीं कोई समस्या नहीं है. निर्माण कार्य करने वाली एजेंसी सीमा लैब प्राइवेट लिमिटेड के कार्य करने के गलत तरीके और जानकारी के अभाव में लोग प्लांट निर्माण का विरोध कर रहे हैं. इसलिए ग्रामीणों को निगम की ओर से 21 दिसंबर को गिरिडीह जिला में बने सेप्टेज प्रबंधन प्लांट का भ्रमण कराया जायेगा, जिससे लोग प्लांट के वास्तविकता को जान सके. कहा कि प्लांट निर्माण के बाद आम नागरिकों के घरों का सैप्टिक टैंक के पानी का साइंटिफिक तरीके से निस्तारण किया जायेगा, जो पूरी तरह इको फ्रेंडली एवं पर्यावरण के अनुकूल रहेगा. प्लांट बनने से दर्जनों लोगों को रोजगार मिलेगा साथ ही प्लांट में बनने वाले खाद से क्षेत्र में उपज बढ़ेगी .प्लांट निर्माण का लोगों ने किया था विरोध
बता दें कि यह योजना पहले से प्रस्तावित है. प्लांट निर्माण शुरू होते ही स्थानीय लोगों ने विरोध किया था, जिसके कारण अभी तक निर्माण कार्य रूका हुआ है. लोगों ने प्लांट निर्माण को रोकने के लिए डीसी व स्थानीय जनप्रतिनिधि को आवेदन भी दिया था. अब फिर से निगम प्रशासन प्लांट लगाने का प्रयास में लगा है. निगम प्रशासन लगातार स्थानीय लोगों को समझा रहा है. प्लांट से होने वाले लाभ के बारे में बता रहा है. जानकारी के अनुसार सेप्टेज प्रबंधन प्लांट की बगल में आयुष्मान योजना के तहत अस्पताल, ऑक्सीजन प्लांट व कॉलेज निर्माण करने की योजना तैयार की जा रही है.कचरा निस्तारण प्लांट की जगह पर बना आवास
कालापत्थर मौजा के गोचर भूमि में पिछले 10 वर्षों से निगम कचरा निस्तारण प्लांट निर्माण के लिए प्रयासरत था, लेकिन स्थानीय लोगों व जनप्रतिनिधि के विरोध के कारण निगम को अपना फैसला बदलना पड़ा और उक्त जमीन में आवास योजना द्वारा शहरी गरीब के लिए भवन बनाया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है