बोकारो, बीएसएल एलएच स्ट्रीट नौ में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान बोकारो की ओर से आयोजित श्री रामचरितमानस व गीता ज्ञान यज्ञ के पांचवें व अंतिम दिन शनिवार को सर्वश्री आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी अमृता भारती ने कहा कि जर्रे-जर्रे में है झांकी भगवान की, किसी सूझ वाली आंख ने पहचान की. भगवान दिव्य है तो उसके दर्शन के लिए दिव्य दृष्टि चाहिए. अर्जुन भगवान श्री कृष्ण के समक्ष खड़े थे, फिर भी उसे तत्वदर्शी गुरु की शरण में जाने को प्रेरित करते हैं. ये घटना बताती है कि यदि ईश्वर को प्राप्त करना है तो तत्वदर्शी गुरु के सानिध्य में जाना होगा. ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के लिये गुरु का शरण जरूरी है. साध्वी ने कहा कि पूर्ण गुरु नर रूप में श्री हरि होते हैं. ऐसे गुरु का आह्वान होता है उत्तिष्ठत, जाग्रत, प्राप्य वरान्नि बोधत. अर्थात उठो, जागो और लक्ष्य को प्राप्त करो. शिष्य स्वामी धनंजयानंद ने कहा कि साधारण गुरु कान फूंकते है, परंतु पूर्ण गुरु प्राण फूंकते है. दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के संस्थापक व संचालक श्री आशुतोष महाराज के पावन सानिध्य व अलौकिक मार्गदर्शन ने सहस्त्रों निष्काम आत्मज्ञानियों का निर्माण किया, जो विश्व के कोने-कोने में पहुंचकर ब्रह्मज्ञान का प्रचार-प्रसार करने में निरंतर संलग्न है. संस्थान का नारा है : मानव में क्रांति व विश्व में शांति आयेगी.
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