ब्रम्हदेव दुबे, पिंड्राजोरा, पिंड्राजोरा के डाबर, टुपरा, कुर्रा, कांड्रा, चितामी, सोनाबाद, नारायणपुर, चाकुलिया, घटियाली, कुमारदागा सहित क्षेत्र के अन्य गांवों में दुर्गा पूजा को लेकर ग्रामीणों में उत्साह है. क्षेत्र में दुर्गा पूजा प्रारंभ करने में हर शहर, गांव में मां जगदंबा की पौराणिक कथा रही है. वैसे ही पौराणिक कथा व परंपरा चास प्रखंड अंतर्गत चाकुलिया गांव की भी है. 174 वर्ष पूर्व दुबे परिवार के पूर्वज कालीचरण दुबे ने पुत्री प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ की थी. ग्रामीणों एवं दुबे परिवार का मानना है कि जो भी मां सिद्धिदात्री के यहां पूजा सच्चे मन से करते है, उसकी मनोकामना पूर्ण होती है. दुबे परिवार के अग्रज एवं पुजारी मनोहर दुबे ने बताया कि मां सिद्धिदात्री सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है. मेरी पितामह द्वारा 174 वर्ष पूर्व पुत्री प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की स्थापना मिट्टी के घर में की गयी थी. इसके बाद हमारे घर में पुत्री हुई. जिसका नाम मां दुर्गा के नाम से ही भवानी रखा गया. ग्रामीण सूर्यकांत सिंह, दिनेश महतो, कात्यानी दिव्या, अतुल चंद्र सिंह , सुधीर रजवार सहित अन्य लोगों ने बताया कि मां मनोकामना पूरी करती है .
174 वर्ष पुराने तांबे के लोटे से आज भी होती है घट स्थापना
मनोहर दुबे ने बताया की 174 वर्ष पूर्व जिस तांबे के लोटे से घट स्थापना की गयी थी. उसी तांबे के लोटे से आज भी हम घट स्थापना कर पूजा प्रारंभ करते हैं. कहा कि मां सिद्धिदात्री के मंदिर की स्थापना 15 साल पूर्व की गयी है. मां सिद्धिदात्री की शिला मूर्ति भी स्थापित की गयी है. जिसकी प्रतिदिन पूजा की जाती है.
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