सीपी सिंह, बोकारो, बोकारो विधानसभा राजनीतिक रूप से प्रदेश में अलग पहचान रखती है. बोकारो विधानसभा ने अविभाजित बिहार से लेकर झारखंड को मंत्री दिया है. बावजूद इसके अब तक किसी दल व प्रत्याशी ने इस विधानसभा सीट से जीत की हैट्रिक नहीं लगायी है. दिवंगत समरेश सिंह बोकारो विधानसभा से पांच बार चुनाव जरूर जीते, लेकिन वह भी जीत की हैट्रिक नहीं लगा पाये. स्व सिंह व वर्तमान विधायक बिरंची नारायण लगातार दो बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं. बोकारो विधानसभा 1977 में अस्तित्व में आया. पहले चुनाव में मजदूर नेता दिवंगत इमामुल हई खान को समरेश सिंह (स्वतंत्र) ने 205 वोट से पराजित कर पहली बार विधायक बनने का इतिहास रचा. 1977 के चुनाव में समरेश सिंह को 10356 वोट मिले थे, वहीं स्व इमामुल हई खान को 10151 वोट. इस चुनाव में कांग्रेस के वनमाली सिंह को 7,163, स्वतंत्र प्रत्याशी अकलू राम महतो को 6,088, कामेश्वर झा को 2,088, गोविंद महतो को 1,980, बलराम मांझी को 1,627, एचआर बखला को 1,593, वीरेंद्र सिंह को 948, रमता प्रसाद सिंह को 772, एपी सिंह को 527 व लाल बाबू अंसारी 3,965 वोट मिले थे. 1980 के चुनाव में समरेश सिंह को हार का सामना करना पड़ा. समरेश सिंह इस चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े. 1980 में अकलूराम महतो (जेएनपी एससी) को 32969 वोट मिला, जबकि स्व सिंह को 23145 वोट से संतोष करना पड़ा.
1985 व 1990 में लगातार दो बार विधायक बने समरेश सिंह
इसके बाद 1985 के चुनाव में समरेश सिंह ने फिर से वापसी की. स्व सिंह ने बीजेपी के चिन्ह पर लड़कर 35834 वोट प्राप्त किया. जबकि एलकेडी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़कर अकलूराम महतो को 17467 वोट मिला. इसके बाद 1990 के चुनाव में समरेश सिंह को भाजपा ने फिर एक बार उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में समरेश सिंह ने 49739 वोट प्राप्त किया. इस चुनाव में अकलू राम महतो निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए 45400 वोट प्राप्त कर दूसरे स्थान पर रहे.
2005 में स्व इजरायल अंसारी ने बदला चुनावी समीकरण
वर्ष 2005 में बोकारो का चुनावी समीकरण बदला. 1977 से बारी-बारी से चुनाव जीतते आ रहे समरेश सिंह व अकलू राम महतो को बोकारो में पहली बार चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी इजरायल अंसारी के हाथों हारना पड़ा. यहां तक कि दोनों मुख्य मुकाबले में भी नहीं रहे. जदयू के अशोक चौधरी दूसरे स्थान पर रहे, जबकि अन्य प्रमुख उम्मीदवारों में बच्चा सिंह, गुलाबचंद्र, राजेंद्र महतो, साधु शरण गोप, एनके राय आदि शामिल थे.
पाला बदलने में समरेश सिंह व अकलू महतो आगे
समरेश सिंह व अकलू राम महतो राजनीतिक रूप से एक दूसरे के विरोधी रहे. लेकिन, दोनों में एक समानता रही. दोनों ने समय के साथ पाला बदला. समरेश सिंह दो बार भाजपा, दो बार निर्दलीय व एक बार झारखंड विकास मोर्चा के विधायक रह चुके थे. वहीं, अकलू राम महतो जेएनपीएससी, जनता दल, राजद, झामुमो सहित कई दलों से चुनाव लड़ चुके थे. समरेश सिंह वर्ष 2010 में झाविमो के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2014 में स्व सिंह फिर से भाजपा में वापसी की, लेकिन टिकट नहीं मिलने पर फिर से निर्दलीय चुनाव लड़े.
बिरंची नारायण ने पहले ही चुनाव में बनाया रिकॉर्ड
2014 में भारतीय जनता पार्टी ने बिरंची नारायण को बोकारो विधानसभा से उम्मीदवार बनाया. पहले ही चुनाव में बिरंची नारायण ने रिकॉर्ड स्थापित किया. बिरंची नारायण को इस चुनाव में 114321 वोट मिला. उन्होने निर्दलीय उम्मीदवार समरेश सिंह को 72643 वोट से हराया, जो कि पूरे प्रदेश में सबसे अधिक था. चुनाव में स्व सिंह को 41678 वोट मिले थे. इसके बाद 2019 में बिरंची नारायण को भाजपा ने फिर से उम्मीदवार बनाया. 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार से उन्हें टक्कर जरूर मिली, फिर भी श्री नारायण कांग्रेस उम्मीदवार को 13313 वोट से पराजित किया. 2024 को लेकर अभी तक किसी दल की ओर से उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गयी है.
बोकारो विधानसभा के अबतक के विधायक
नाम वर्ष
समरेश सिंह 1977अकलू राम महतो 1980
समरेश सिंह 1985समरेश सिंह 1990
अकलू राम महतो 1995समरेश सिंह 2000इजरायल अंसारी 2005समरेश सिंह 2009बिरंची नारायण 2014बिरंची नारायण 2019 से अबतक
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है