बोकारो, विजयादशमी के दिन परम जी ने संन्यास ग्रहण किया था. यह दिन उनके भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है. इसलिये हर साल विजयादशमी के दिन परम जी का संन्यास दिवस मनाया जाता है. ये कहना है परम योग साधना केंद्र की मुख्य प्रचारक सुशीला सिंह का. वह रविवार को सेक्टर वन सी-181 में संन्यास दिवस पर आयोजित प्रार्थना सभा में भक्तों को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा : परम जी ने संन्यास ग्रहण करने के बाद पाप, दु:ख, कष्ट, रोग आदि से मुक्ति के लिए संसार को 11 पवित्र सूत्र वरदान स्वरूप दिये.
किसी भी जाति-धर्म के लोग अपना सकते हैं
श्रीमती सिंह ने पप्र से लाभ लेने के लिए श्रद्धालुओं को 11 पवित्र सूत्रों की जानकारी देते हुए कहा कि इन्हें किसी भी जाति-धर्म के लोग अपना सकते हैं. परम योग करने के लिए जाति, धर्म, गुरु, परंपरा और खान-पान की बाध्यता नहीं है. इन्हें कोई भी अपनाकर लाभ प्राप्त कर सकता है. पप्र करने वालों के जीवन में सुख-शांति आती है. दु:ख और रोग का नाश होता है. पप्र व परम योग से मनुष्य जीवन की सभी सुखद इच्छाएं पूर्ण होती हैं. दुखों व कष्टों से मुक्ति मिलती है. रोग का निवारण होता है.
ध्यान से जीवन में आती है सुख-शांति
श्रीमती सिंह ने कहा कि परम जी की कृपा से उनका ध्यान करने वालों के दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख-शांति आती है. परमं शरणं गच्छामि, हंसम शरणं गच्छामि, अद्वैतं शरणं गच्छामि, आनंदम शरणं गच्छामि, चरणं शरणं गच्छामि…आदि का जाप किया गया. समारोह में एनकेपी सिंह, अन्विका सिंह, वर्णिका सिंह, प्रियंका सिंह, यश आनंद, शशि प्रकाश, आम प्रकाश, माेहित राज, सौरभ सरीन, आशा रानी, डॉ. वर्षा, श्वेता श्रीवास्तव, सोहन प्रसाद, प्रवीण कुमार आदि श्रद्धालु उपस्थित थे.
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