2030 तक इस्पात उत्पादन क्षमता 300 मिलियन टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने का लक्ष्य, बोले अमरेंदु
Bokaro News: बोकारो में ‘फ्लैट स्टील उत्पादों की प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी में प्रगति’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हो गया है. 2 दिन के आयोजन में कई बातें सामने आई हैं.
Bokaro News: बोकारो स्टील प्लांट के ज्ञानार्जन एवं विकास केंद्र में शुक्रवार से ‘फ्लैट स्टील उत्पादों की प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी में प्रगति’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन एपीटी-एफएस 2024 शुरू हुआ. बीएसएल व इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स, बोकारो चैप्टर दो दिवसीय आयोजन कर रहे हैं.
उद्घाटन सत्र को ऑनलाइन संबोधित करते हुए सेल अध्यक्ष अमरेंदु प्रकाश ने कहा कि पिछले 6-7 वर्षों में देश में प्रति व्यक्ति इस्पात खपत लगभग 50 किलोग्राम प्रति व्यक्ति से बढ़कर वर्तमान में लगभग 95 किलोग्राम प्रति व्यक्ति के स्तर पर पहुंच गयी है. वर्ष 2030 तक देश की इस्पात उत्पादन क्षमता 300 मिलियन टन प्रति वर्ष के स्तर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है.
ऐसे में भारतीय इस्पात उद्योग के क्षमता विस्तार के साथ ही कार्बन उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य को हासिल करना भी उद्योग के लिए एक बड़ी प्राथमिकता व चुनौती है. उन्होंने सम्मेलन की सफलता की शुभकामना देते हुए इस्पात उद्योग की सस्टेनेबिलिटी के लिए ग्रीन स्टील उत्पादन से संबंधित तकनीकी पहलुओं पर भी विशेषज्ञों को मंथन करने का आह्वान किया.
मौके पर मुख्य अतिथि बीएसएल के निदेशक प्रभारी बीरेंद्र कुमार तिवारी, विशिष्ट अतिथि अधिशासी निदेशक (परियोजनाएं एवं अतिरिक्त प्रभार सामग्री प्रबंधन) सीआर महापात्रा, अधिशासी निदेशक (वित्त एवं लेखा) सुरेश रंगानी, अधिशासी निदेशक (आरडीसीआइएस) एसके कार, अधिशासी निदेशक (माइंस) जयदीप दासगुप्ता, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स-कोलकाता के टी गोस्वामी विशिष्ट के अलावा बीएसएल के मुख्य महाप्रबंधक (क्वालिटी) मनोहर लाल सहित व अन्य मुख्य महाप्रबंधक और अधिकारी उपस्थित थे.
इस्पात के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक : बीरेंद्र
भारतीय धातु संस्थान के अध्यक्ष सज्जन जिंदल के संबोधन की वीडियो रिकॉर्डिंग दिखायी गयी. टी गोस्वामी-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स, कोलकाता ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स की गतिविधियों व योगदान पर चर्चा की. मुख्य अतिथि निदेशक प्रभारी बोकारो स्टील प्लांट बीरेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि देश की प्रगति में इस्पात की बड़ी भूमिका है, इसलिए इस्पात के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक है.
उन्होंने सम्मेलन को प्रासंगिक बताते हुए कहा कि ऐसे सम्मेलन शोधकर्ताओं, अभियंताओं व एक्सपर्ट्स को इस्पात उत्पादन से जुड़ी नवीनतम प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करते हैं. उन्होंने विश्वास जताया कि दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान फ्लैट स्टील प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी पर जानकारी का आदान-प्रदान इस्पात उद्योग के डी-कार्बोनाइजेशन लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में भी उपयोगी साबित होगा.
फ्लैट स्टील उत्पादों की प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी की जरूरत बढ़ी : राजन प्रसाद
अधिशासी निदेशक (मानव संसाधन एवं अतिरिक्त प्रभार संकार्य) राजन प्रसाद ने अपने स्वागत भाषण में फ्लैट स्टील उत्पादों की प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी की बढ़ती जरूरतों व इससे संबंधित पहलुओं पर चर्चा की. उद्घाटन सत्र में सम्मेलन की स्मारिका का लोकार्पण भी किया गया. शुक्रवार को तकनीकी सत्र के दौरान नाइओबियम के साथ फ्लैट स्टील उत्पादों की प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी को बढ़ाने, हरित इस्पात उत्पादन में पुनर्चक्रीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने, उन्नत तकनीक के माध्यम से लोहे और इस्पात में जीएचसी की कमी, हाई स्ट्रेंथ और लचीलापन लाने के उद्देश्य से मध्यम मैग्नीशियम स्टील का उत्पादन, जलमग्न प्रवेश नोजल में रुकावट का पता लगाने और उसका विश्लेषण, स्लैग मुक्त एसेंट्रिक बॉटम टैपिंग, गैर धात्विक समावेशन के निर्माण और नियंत्रण पर सेरियम का प्रभाव जैसे विषयों पर तकनीकी पेपर प्रस्तुत किया गया. सम्मेलन के पहले दिन मुख्य महाप्रबंधक (क्वालिटी) मनोहर लाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
देश की सामरिक आवश्यकताओं से जुड़े फ्लैट स्टील उत्पादों पर आज होगी चर्चा
शनिवार को हॉट फॉर्मिंग अनुप्रयोग के लिए एडवांस्ड हॉट रोल्ड स्टील शीट का उत्पादन, हॉट रोल्ड कॉइल्स में डबल एज दोष का निवारण, देश की सामरिक आवश्यकताओं से जुड़े फ्लैट स्टील उत्पादों के लिए माइक्रोस्ट्रक्चर स्थापित करने व कम लागत व उच्च गुणवत्ता वाले फ्लैट इस्पात के निर्माण से संबंधित सभी बिंदुओं पर गहन मंथन कर भविष्य के लिए रोड मैप तैयार किया जायेगा.
सेल विभिन्न संयंत्र व इकाइयों के अलावा टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू (बेल्लारी), जेएसडब्ल्यू (डोलवी), मेटकोंस, सोजिटज इंडिया, मेकॉन, नेशनल मेटलर्जिकल लेबोरेटरी (जमशेदपुर), आइआइटी (बीएचयू), आइआइटी (रोपड़), आइआइटी (हैदराबाद), जाधवपुर विश्विद्यालय, सीएमइआरआइ, एनआइएएमटी (रांची), पार्कर हनीफिन इंडिया, क्वैकर हूटन, सीबीएमएम (ब्राजील) आदि से प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं. संचालन वरीय प्रबंधक (सीआरएम-3) परिचय भट्टाचार्य, वरीय प्रबंधक (आरडीसीआइएस) स्मिता टोप्पो व प्रबंधक (आरसीएल) निकिता गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया.
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