Bokaro News : तीन विधायक व दो सांसदों ने किया पुल का शिलान्यास, पर शुरू नहीं हुआ काम
Bokaro News : वर्ष 2017 व 2024 में दाे बार हुआ शिलान्यास के बाद भी ग्रामीणों की मांग नहीं हुई पूरी, तीन करोड़ 59 लाख की लागत से बनना है पुल, जरीडीह व कसमार प्रखंड को मिलती कनेक्टिविटी
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सीपी सिंह, बोकारो, जरीडीह प्रखंड के भस्की पंचायत का रोरिया गांव आज भी मुलभूत सुविधा से वंचित है. तीन ओर से नदी व एक ओर से पहाड़ से घिरे गांव में आवागमन के लिए आज भी सुविधा नहीं है. रोरिया गांव से कसमार प्रखंड के नजदीकी गांव कोतोगढ़ा जाने के लिए गवई नदी पार करना पड़ता है. नदी पर पुल बनाने के लिए सात साल में दो बार पहल हुई. लेकिन, कुछ हासिल नहीं हुआ. आम दिनों में तो काम चल जाता है, लेकिन बरसात में गांव दूसरे जगह से कट जाता है. बरसात के दिन में तो जान आफत में डालकर आना-जाना करते हैं. कारण है कि रोरिया भले ही जरीडीह प्रखंड में पड़ता है, लेकिन यहां की हर जरूरत कसमार प्रखंड के गौराचातर बाजार से पूरी होती है. 12 नवंबर 2017 को ग्रामीण विकास (ग्रामीण कार्य मामले) विभाग की ओर से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत नदी पर पुल निर्माण का शिलान्यास तत्कालीन सांसद रवींद्र कुमार पांडेय व तत्कालीन विधायक योगेश्वर प्रसाद महतो ने किया था. लेकिन, बजटीय कारण निर्माण पूरा नहीं हो सका. ग्रामीण बताते हैं कि बजटीय प्रावधान कम होने के कारण 2.45 किमी ही सड़क बनी. पुल का काम नहीं हुआ. ग्रामीणों ने तत्कालीन जनप्रतिनिधि योगेश्वर प्रसाद महतो से गुहार लगायी, लेकिन कुछ नहीं हुआ. इसके बाद 12 सितंबर 2022 को बेरमो विधायक कुमार जयमंगल व 18 सितंबर 2022 को गोमिया के पूर्व तत्कालीन विधायक लंबोदर महतो से गुहार लगायी गयी. आश्वासन मिला. इसके बाद सात अक्तूबर 2024 को पूल निर्माण का शिलान्यास गिरिडीह के सांसद सीपी चौधरी समेत बेरमो विधायक कुमार जयमंगल व पूर्व गोमिया विधायक लंबोदर महतो ने किया. शिलान्यास के क्रम में ग्रामीणों का उत्साह देखते ही बन रहा था.
एक अन्य पुल पर नहीं है संपर्क पथ
रोरिया से अन्य गांवों तक जाने के लिए कोतोगड़ा गांव के गटीगढ़ा टोला से होकर गुजरना पड़ता है. इन दोनों के बीच नदी है, जिस पर छोटा सा पुल है. जो जर्जर है. बावजूद इसी पुल का इस्तेमाल करना मजबूरी है, क्योंकि यही गाड़ी लाने के लिए यही एकमात्र जरिया भी है. लेकिन, पुल के लिए संपर्क पथ नहीं है. गांव की जनसख्या एक हजार के करीब है. इनमें से ज्यादातर कुर्मी, मुंडा व अन्य जाति के है. जो खेती-बाड़ी व मजदूरी करते हैं.उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को जाना पड़ता है कसमार
गांव में पढ़ाई के लिए मध्य विद्यालय टोडरा (जरीडीड) व उसके आगे की पढ़ाई के लिए कसमार प्रखंड के उवि- पिरगल, उवि मुरहूल व उवि-हरनाद जाना पड़ता है. इन स्कूलों तक जाने के लिए नदी पार करनी पड़ती है. ठंड व गर्मी में, तो बच्चे नदी पार कर जाते हैं, लेकिन बरसात में जलस्तर बढ़ने पर करीब तीन माह तक पढ़ाई छूट जाती है. इतना नहीं किसी के बीमार पड़ने पर डोली या खटिया के सहारे नदी पार करना पड़ता है. यहां तक की जुलाई से सितंबर तक ग्रामीणों को मवेशी चराने में भी परेशानी होती है.इन्होंने कहा
ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल बोकारो के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर राजू मरांडी ने कहा कि पुल का शिलान्यास हुआ है. आने वाले कुछ दिनों में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी. उम्मीद है कि मार्च के शुरुआती सप्ताह में काम शुरू हो जायेगा. वहीं बेरमो विधायक कुमार जयमंगल सिंह ने कहा कि सारी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. टेंडर एग्रीमेंट से 18 माह के अंदर निर्माण कार्य पूरा होगा. मार्च से काम शुरू हो जायेगा. पूल निर्माण ग्रामीणों की मांग तो है ही, साथ में मेरा कमिटमेंट भी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है