रंजीत कुमार, बोकारो, कामकाजी महिलाएं परिवार व कार्यालय के बीच तालमेल बैठाने के चक्कर में खुद के सेहत का ख्याल नहीं रख पाती है. भाग-दौड़ व अनियमित खानपान स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है. कामकाजी महिलाओं के बीच आस्टियोपोरोसिस तेजी से बढ़ रहा है. स्थिति यह है कि 75 प्रतिशत महिलाएं किसी ना किसी प्रकार से लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर की शिकार हो रही है. जो ऑस्टियोपोरोसिस की ओर ले जा रही है. ऑस्टियोपोरोसिस पर ध्यान नहीं देने की वजह से परिणाम गंभीर हो जाते हैं. महिलाओं में इसके प्रति जागरूकता के उद्देश्य से 20 अक्तूबर को विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जाता है. महिलाएं लाइफ स्टाइल को ध्यान में रख कर कार्य करें. साथ ही सेहत के प्रति सचेत रहें.
10 में से चार महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस : डॉ रश्मि
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ रश्मि मेधा ने कहा कि हर 10 में से चार महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या है. इसमें हड्डियां कमजोर हो जाती है. फ्रैक्चर की आशंका बढ़ने लगती है. हड्डी रातोंरात कमजोर नहीं होती. उम्र के साथ-साथ शरीर में कई बदलाव होते हैं. मांसपेशियां मजबूत नहीं रहतीं, आंखें कमजोर होने लगती हैं. त्वचा चमक खोने लगती है. ऐसे में हड्डियां भी कमजोर होती है. महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस ज्यादा परेशान करता है. मीनोपोज के बाद हड्डियों में कैल्शियम, विटामिन डी व मिनरल्स कम होने लगती है. इससे हड्डियों की डेंसिटी कम होती है. ऐसे में शरीर को कैलशियम युक्त भोजन जरूरी है. ऑस्टियोपोरोसिस होने पर हड्डियों का कमजोर होना, दर्द व टूटने का खतरा प्रमुख है. इसके रोकथाम के लिए नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, धूम्रपान व अल्कोहल से बचना जरूरी है.
हड्डियों का कमजोर होना है ऑस्टियोपोरोसिस : डॉ अनन्या
डॉ अनन्या प्रसाद ने कहा कि हड्डियों का कमजोर होना ऑस्टियोपोरोसिस कहलाता है. इस स्थिति में बोन मास डेंसिटी कम हो जाती है. इससे हड्डियों के फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है. डेंसिटी लॉस होने के पहले लेवल को ‘ऑस्टियोपेनिया’ के रूप में जाना जाता है. यदि समय पर निदान करके इलाज ना शुरू किया गया, तो ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है. ऑस्टियोपोरोसिस 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में अधिक होता है, लेकिन अब पुरुषों के साथ ही कम उम्र के लोगों को भी होने लगा है. ऑस्टियोपोरोसिस सिर्फ कैल्शियम की कमी के कारण ही नहीं होता है. महिलाओं में एस्ट्रोजन बीएमडी लेवल को बनाये रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. रजोनिवृत्ति के बाद शरीर में एस्ट्रोजन लेवल कम होने से बीएमडी में तेजी से गिरावट आती है. बदलती जीवनशैली, खराब खान-पान, अनुवांशिकता के साथ एक्सरसाइज में कमी ऑस्टियोपोरोसिस होने के मुख्य कारक हैं.
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