बोकारो के गोमिया का ऐसा गांव जहां 75 सालों से नहीं है सड़क, झुमरा एक्शन प्लान का भी नहीं मिला लाभ

आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी बोकारो जिले के नक्सल प्रभावित पंचायत गोमिया का रेडियाम गांव सड़क का इंतजार कर रहा है. यहां रहने वाले लोग हर साल बारिश के बाद सड़क बनाते हैं, जो अगली बारिश तक चलता है. जबकि यह क्षेत्र झुमरा एक्शन प्लान के तहत आता है. इस एक्शन प्लान का उद्देश्य की विकास करना है.

By Rahul Kumar | October 1, 2022 9:22 AM
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Bokaro News: क्या आपके जेहन में यह सवाल उठता है कि गांवों की तरक्की के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकार की ओर से चलायी जाने वाली तमाम योजनाओं के बाद भी राज्य में ऐसा गांव है जहां सड़क नहीं है. ऐसा तब है, जब हम आजादी के 75 साल होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. जी, हां आपके सवाल का जवाब है. राज्य के बोकारो जिले के गोमिया में रेडियाम नाम का गांव है, जहां आज तक सड़क नहीं पहुंची है. सड़क कब तक आएगी, इसकी जानकारी न ग्रामीणों को है, न पदाधिकारियों को और न ही जनता के प्रतिनिधियों को.

हर साल ग्रामीण श्रमदान कर बनाते हैं सड़क

गोमिया प्रखंड के पचमो पंचायत के झुमरा पहाड़ की तलहटी के इस रेडियाम गांव में आने-जाने के लिए लोग खुद से श्रमदान कर सड़क बनाते हैं. ऐसा वे बीते 75 साल से कर रहे हैं. हर साल बारिश के बाद गांव के महिला-पुरुष सड़क बनाते हैं, जो अगले साल की बारिश तक चलता है. इस वर्ष भी ग्रामीण इसी सड़क को ठीक करने में जुटे हुए हैं. इस काम में सुखदेव महतो, नरेश महतो, मुन्नी महतो, चमन महतो, हीरामनी देबी, मोहनी देबी, सहोदा देबी, बानो देबी, सीमा देवी, तेजनी देबी आदि ग्रामीण लगे हुए हैं. ऐसा भी नहीं है कि यह गांव झुमरा लिंक रोड से बहुत भीतर है. ग्रामीणों के मुताबिक, इस गांव की दूरी लिंक रोड से महज एक किलोमीटर है.

गांव तक नहीं पहुंचा झूमरा एक्शन प्लान

बताते चलें कि नक्सल प्रभावित इस झुमरा और उसके आसपास के गांव की प्रगति के लिए सरकार की ओर से झुमरा एक्शन प्लान चलाया जाता है. इसके लिए अगल से बजट का प्रावधान है. इसके बाद भी रेडियाम गांव तक झुमरा एक्शन प्लान का लाभ नहीं पहुंच पाया है. यही वजह है कि सड़क के अभाव में बीमार पड़ने पर लगभग एक किलोमीटर दूरी खटिया में सुलाकर इलाज के लिए झुमरा पहाड़ लिंक पथ आना‌ पड़ता है. तब वहां से फिर इलाज के लिये बाहर जाना संभव हो पाता है.

उपायुक्त को पत्र लिख बीडीओ ने निभा दी जिम्मेदारी

ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों को इस परेशानी से बाहर निकालने के प्रयास नहीं किए गए हैं. प्रखंड के बीडीओ कपिल कुमार दो साल पहले गांव आये थे. ग्रामीणों की परेशानी के बारे में जाना था. इसके बाद उन्होंने आज से दो साल पहले साल 2020 में उपायुक्त को पत्र लिखा. पत्र में डीएमएफटी फंड से सड़क बनाने के लिए जिला प्रसासन का ध्यान आकृष्ट किया. लेकिन, दो साल बीत जाने के बाद भी उपायुक्त ने ग्रामीणों की इस परेशानी पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा.

सांसद विधायक भी जरूरी नहीं समझते सड़क बनाना

ग्रामीणों की इस समस्या को स्थानीय सांसद और विधायक ने भी सुनना जरूरी नहीं समझा है. ग्रामीणों का कहना है कि विधायक, सांसद व पूर्व विधायक को ग्रामीणों की ओर से रास्ता नहीं रहने की जानकारी दी गयी है. साथ ही उनसे पथ निर्माण का आग्रह किया गया है. बताते चलें कि झुमरा एक्सन प्लान के तहत झुमरा और झुमरा पहाड़ की तलहटी में सड़क निर्माण का कार्य चल रहा है.

रिपोर्ट : नागेश्वर कुमार, ललपनिया

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