Jharkhand news, Bokaro news : बोकारो (सुनील तिवारी) : बोकारो स्टील प्लांट (Bokaro Steel plant) का इस्पात इंडियन नेवी (Indian Navy) की शक्ति बढ़ा रहा है. बीएसएल में बना ‘फौलाद’ भारतीय नौसेना की पहली पसंद बन चुका है. नौसेना के बेड़े में शामिल देश में बना पहला स्वदेशी युद्धपोत INS (इंडियन नेवल शिप) विक्रांत हो या फिर युद्धपोत आईएनएस कवरत्ती. दोनों में बीएसएल के इस्पात का उपयोग किया गया है. इसके अलावे नौसेना के पनडुब्बी (Submarine) एवं डाइविंग सपोर्ट व्हेकिल (डीएसभी) के निर्माण के लिए भी नियमित रूप से बोकारो के इस्पात की आपूर्ति की जा रही है.
भारतीय नौसेना के लिए बोकारो स्टील प्लांट में 2 विशेष प्रकार के इस्पात का निर्माण किया जाता है. पहला है डीएमआर 249 ए एवं दूसरा आईआरएस ग्रेड. इसका उपयोग नौसेना के युद्धपोत, पनडुब्बी व डीएसभी में किया जाता है. झारखंड सहित बोकारो के लिए यह गौरव की बात है कि INS विक्रांत व स्वदेशी युद्धपोत INS कवरत्ती में बोकारो स्टील प्लांट के इस्पात का उपयोग किया गया है. हर साल नौसेना एवं आयुध कारखानों को लगभग 5000 टन विशेष इस्पात की आपूर्ति बोकारो स्टील से हो रही है. बोकारो स्टील प्लांट ने युद्धपोत निर्माण के लिए नौसेना को डीएमआर प्लेटों की आपूर्ति की है.
बोकारो स्टील प्लांट को आत्मनिर्भर भारत में योगदान देने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. बोकारो स्टील प्लांट सहित संपूर्ण सेल बिरादरी के लिए यह गर्व का विषय है. देश में बने पहले स्वदेशी युद्धपोत INS विक्रांत में बोकारो स्टील का इस्पात लगा है. इसको विशेष प्रकार के डीएमआर 249 ए इस्पात से बनाया गया है, जो खारे पानी में भी यथावत रहेगा. इस इस्पात के लिए पहले भारत पड़ोसी देश सोवियत रूस एवं यूक्रेन पर निर्भर था. पर, INS विक्रांत के निर्माण की सफलता के बाद अब हर स्वदेशी युद्धपोत एवं जहाज में सेल-बीएसएल के इस्पात का उपयोग हो रहा है.
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वर्ष 1999 में भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (Indian Defense Research Organization) ने सेल को 249 ए स्टील बनाने का प्रस्ताव दिया. वर्ष 2002 में सेल के इंजीनियर्स ने इसे कड़ी मेहनत कर तैयार कर लिया. राउरकेला व भिलाई में इसका उत्पादन शुरू हुआ. वर्ष 2009 में INS विक्रांत के लिए इसका आर्डर बोकारो स्टील को दिया गया. वर्ष 2012 में बीएसएल ने डीएमआर 249 ए श्रेणी के इस्पात की आपूर्ति कर दी. 2013 में बीएसएल के इस्पात से बने INS विक्रांत का जलावतरण हुआ. सेल- बीएसएल दुनिया का सबसे ताकतवर स्टील डीएमआर 292 ए है, जिसे परमाणु पनडुब्बी के बनाने में प्रयोग किया जाता है.
देश में बने पहले स्वदेशी युद्धपोत INS विक्रांत में बोकारो स्टील का इस्पात लगा है. डीएमआर 249 ए कई विशेषताओं से लैस डीएमआर 249 ए श्रेणी का स्टील है, जो जितना कठोर है उतना ही लचीला भी. शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस कम ताप पर भी 80 जूल की ताकत का प्रहार सह सकता है. इस फौलाद में मैगनीज, कार्बन और सल्फर की मात्रा कम करके निकल की मात्रा बढ़ायी गयी. साथ ही वेनेडियम, नियोबियम, मोलिब्डेनम, क्रोमियम जैसे तत्व मिलाये गये. इसकी प्लेट बनाकर हीट ट्रीटमेंट दिया गया. महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसका वजन कम होता है, जो किसी भी विमानवाहक पोत के लिए जरूरी है.
भारत का स्वदेशी युद्धपोत INS कवरत्ती, जिसे समंदर का बाहुबली भी कह सकते हैं, भारतीय नौसेना में (22 अक्तूबर को) शामिल हुआ. इस युद्धपोत में बोकारो स्टील प्लांट का लगभग 1000 टन डीएमआर प्लेट लगा है, जबकि भिलाई का 4700 टन एवं राउरकेला का 865 टन. INS कवरत्ती की खासियत है कि यह रडार की पकड़ में नहीं आता. कवरत्ती के बेड़े में शामिल होने से नौसेना की ताकत में और भी अधिक इजाफा हुआ है. इसमें 90 फीसद चीजें स्वदेशी हैं. INS कवरत्ती का कमीशन देश के समुद्री सीमाओं की सुरक्षा में एक और महत्वपूर्ण कदम है. इसमें अत्याधुनिक हथियार प्रणाली है.
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बोकारे स्टील प्लांट के संचार प्रमुख मणिकांत धान कहते हैं कि भारत का समुद्री इतिहास काफी समृद्ध है. गौरव से भरा है. देश के समुद्री व सैन्य इतिहास का गौरव बढ़ाने में नौसेना के पोतों का अहम योगदान रहा है. बीएसएल आत्मनिर्भर भारत में योगदान दे रहा है. INS विक्रांत एवं कवरत्ती में बीएसएल का इस्पात लगा है. पनडुब्बी एवं डीएसभी के निर्माण के लिए भी नियमित रूप से इस्पात की आपूर्ति की जाती है. बीएसएल में विशेष प्रकार के इस्पात का उत्पादन रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए हो रहा है. जितना आर्डर मिलता है, उसकी आपूर्ति हम कर रहे हैं. INS विक्रांत एवं INS कवरत्ती के निर्माण में लगे इस्पात का बड़ा हिस्सा बीएसएल ने आपूर्ति किया है.
Posted By : Samir Ranjan.