Bokaro News: बीएसएल वन भूमि की रक्षा करें या पिलरिंग करा विभाग को जमीन वापस करे
Bokaro News: बोकारो वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार ने बीएसएल के निदेशक प्रभारी बीके तिवारी को पत्र लिख वन भूमि वापस करने को कहा है. पत्र एक फरवरी को लिखा गया. श्री कुमार ने कहा है कि बोकारो इस्पात संयंत्र वन भूमि की रक्षा करे या फिर भूमि की पिलरिंग कराने के बाद विभाग को वापस कर दे.
रजनीश कुमार ने बताया कि 18 नवंबर 2024 को राज्य के वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. इसमें वन भूमि की रक्षा संबंधी मसलों पर चर्चा की गयी थी. साथ ही, 26 दिसंबर को इस मसले पर अपना पक्ष रखने के लिए बीएसएल पदाधिकारी को बुलाया गया था. लेकिन बैठक में बीएसएल की ओर से कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं हुआ.
इससे पहले 20 दिसंबर 2024, 17 जुलाई 2023 को विभिन्न पत्रों का भी उल्लेख किया गया है. आठ फरवरी 2024 को वन प्रमंडल पदाधिकारी ने वन संरक्षक, प्रादेशिक अंचल को पत्र लिखकर इस मसले से अवगत कराया था.बीएसएल के दावे पर क्या कहना है वन विभाग का
एक फरवरी को लिखे पत्र में कहा गया है कि 2007 के बाद से बीएसएल ने यह दावा करना शुरू कर दिया कि उसके प्रस्तावित डीड ऑफ कन्वेयंस एंड ग्रांट के अनुसार केवल 778.46 एकड़ जमीन पर उसका स्वामित्व है. 15 जनवरी 2025 को लिखे पत्र- टीए/एलआरए/2025/3670 बीएसएल के नगर प्रशासन के महाप्रबंधक एके सिंह ने इस दावे के समर्थन में झारखंड सरकार के राजस्व विभाग के प्रधान सचिव के चौधरी द्वारा जारी पत्र संख्या-400 (24.04.2007) का हवाला दिया.इस पत्र में स्पष्ट है कि कन्वेयंस और अनुदान का प्रस्तावित विलेख एक भविष्य का दस्तावेज बना हुआ है, जिसे अभी तक सक्षम अधिकारियों द्वारा निष्पादित नहीं किया गया है. पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि चूंकि वन भूमि का मामला शुरू से ही वन विभाग द्वारा अलग से निबटाया जाता रहा है, इसलिए इसके हस्तांतरण के लिए एक अलग डीड तैयार किया जाना चाहिए.
नगर प्रशासन के जीएम एके सिंह पर झूठी और भ्रामक जानकारी देने का आरोप
निदेशक प्रभारी को लिखे पत्र में कहा गया है कि बीएसएल ने कभी भी वन विभाग के सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अलग डीड के लिए ऐसा कोई प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया है. ऐसा कोई भी कार्य यदि भविष्य में प्रस्तावित और निष्पादित किया जाता है, तो कानूनी जांच के अधीन होगा और क्षेत्र को बीएसएल व वन विभाग के अधिकारियों द्वारा अंतिम रूप दिया जायेगा. लेकिन अभी मामला अप्रयुक्त वन भूमि की वापसी से संबंधित है, जिसे 1962 में स्थानांतरित कर दिया गया था.
इसलिए 1962 में वन भूमि के हस्तांतरण को अभी तक निष्पादित होने वाले भविष्य के दस्तावेज के साथ जोड़ना भ्रामक है. पत्र में एके सिंह के खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू करने की बात कही गयी है. साफ तौर पर कहा गया है कि श्री सिंह पर जानबूझकर झूठी और भ्रामक जानकारी देने का आरोप है.वन भूमि की अवैध बिक्री और अतिक्रमण के संबंध में विश्वसनीय जानकारी
पत्र में कहा गया है कि जाली दस्तावेजों के आधार पर बीएसएल को हस्तांतरित वन भूमि की अवैध बिक्री और अतिक्रमण के संबंध में विश्वसनीय जानकारी है. इसमें बीएसएल के कुछ अधिकारियों की संलिप्तता सामने आयी है, जिस कारण सेक्टर 12 पुलिस स्टेशन में एफआइआर-32/2024 दर्ज की गयी है, जो वर्तमान में सीआइडी जांच के अधीन है. इसके अतिरिक्त, वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 के उल्लंघन का पता चला है और इन उल्लंघनों के संबंध में पूर्व सूचना देने की बात कही गयी है.इससे पहले रांची में 18 नवंबर 2024 को वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग की बैठक में वन भूमि को लेकर बीएसएल के सुस्त व गैर-जिम्मेदाराना रवैया को भी इंगित किया गया था. बैठक में बोकारो वन प्रमंडल की ओर से बीएसएल को हस्तांतरित वन भूमि का पीपीटी प्रजेंटेशन दिखाया गया. इसमें 1960 के दशक में बीएसएल को हस्तांतरित वनभूमि का मौजावार रकबा से अवगत कराया गया. साथ ही, उस पत्र को भी दिखाया गया है, जिसमें तेतुलिया व सतनपुर मौजा के वनभूमि को वापस करने के लिए 1968 से 1978 के बीच लिखा गया.
वन भूमि पर अतिक्रमण व हो रही है अवैध खरीद-बिक्री :
पूर्व के पत्र में साफ तौर पर लिखा है कि बीएसएल को हस्तांतरित वनभूमि के डीड ऑफ कन्वेयंस में वन विभाग की ओर से हस्तांतरित सभी 18 गांवों के 1535.40 एकड़ भूमि को शामिल किया जाये, जो उनके प्रशासनिक नियंत्रण में रहेगा व उसके सुरक्षा का दायित्व उन्हीं का रहेगा. यदि उक्त वनभूमि पर कोई अतिक्रमण होता है तो उसकी सारी जवाबदेही बीएसएल की होगी. या फिर जो वनभूमि बीएसएल द्वारा उपयोग में नहीं लायी गयी है, उसे विधिवत रूप से बीएसएल द्वारा पिलरिंग करवा कर नक्शा सहित वन विभाग को वापस कर दिया जाये, ताकि विभाग द्वारा बहुमूल्य सुरक्षित वनभूमि को बचाया जा सके.1962 में वन विभाग की ओर से बोकारो इस्पात संयंत्र को चास वन प्रक्षेत्र व पेटरवार वन प्रक्षेत्र के अंतर्गत 18 मौजा के 1580.17 एकड़ वनभूमि हस्तांतरित की गयी थी. बाद में 44.77 एकड़ वन भूमि को शामिल नहीं किया गया. यानी बीएसएल को शुद्ध रूप से 1535.40 एकड़ वनभूमि का हस्तांतरण वन विभाग की ओर से किया गया. हाल के वर्षों में बीएसएल 09 मौजा के 778.46 एकड़ भूमि ही अधीन होने की बात कर रहा है. पत्रांक 1136 (28 फरवरी 2023) के अनुसार बीएसएल ने स्वीकार किया है. वहीं 759.94 एकड़ वनभूमि की सुरक्षा को लेकर कोई जिम्मेदारी बीएसएल नहीं ले रहा है. इससे वनभूमि पर अतिक्रमण व अवैध खरीद-बिक्री की जा रही है.
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