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स्कूलों में प्रतिदिन 2300 गिफ्ट मिल्क पैक बच्चों को देगा बीएसएल

बीएसएल और एनडीडीबी के बीच समझौता, सीएसआर-सहायता प्राप्त विभिन्न स्कूलों व सरकारी स्कूलों के लिए योजना

By Prabhat Khabar News Desk | August 29, 2024 11:41 PM

बोकारो, बोकारो स्टील प्लांट (बीएसएल) और एनडीडीबी फाउंडेशन फॉर न्यूट्रिशन (एनएफएन) के बीच गुरुवार को इस्पात भवन में एक समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किया गया. इस समझौते के तहत सीएसआर-सहायता प्राप्त विभिन्न स्कूलों और सरकारी स्कूलों में प्रतिदिन 2300 गिफ्ट मिल्क पैक बच्चों को नि: शुल्क वितरित किए जाएंगे. यह पहल एनएफएन के फ्लैगशिप ‘गिफ्ट मिल्क प्रोग्राम’ का हिस्सा है. वर्ष 2015 में स्थापित एनडीडीबी फाउंडेशन फॉर न्यूट्रिशन का लक्ष्य बच्चों और जरूरतमंद व्यक्तियों को दूध और अन्य पौष्टिक उत्पादों के माध्यम से पोषण सहायता प्रदान करना है. समझौते के तहत 200 एमएल फ्लेवर्ड दूध, जो विटामिन ए और डी से भरपूर होगा. छह डीएवी-इस्पात विद्यालयों, बोकारो महिला समिति द्वारा संचालित दो स्कूलों और 13 सरकारी स्कूलों में वितरित किये जायेंगे. यह कार्यक्रम अगले नौ महीनों तक चलेगा, जिसमें कुल 150 वितरण दिवस शामिल होंगे. इस दौरान समझौता ज्ञापन कार्यक्रम में बीएसएल के अधिशासी निदेशक (वित्त एवं लेखा) सुरेश रंगानी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी (बीजीएच) डॉक्टर बीबी करुणामय, मुख्य महाप्रबंधक (एचआर-एलएंडडी) मनीष जलोटा, मुख्य महाप्रबंधक (नगर प्रशासन) कुंदन कुमार, संचार प्रमुख मणिकांत धान, महाप्रबंधक (सीएसआर) अर्धेंदु शेखर नंदी, जिला सीएसआर नोडल अधिकारी (झारखंड सरकार) शक्ति कुमार, एनएफएन के पदाधिकारी उपस्थित थे.

पहल की सफलता के लिए लाभार्थियों की सतत मॉनिटरिंग जरूरी : सुरेश रंगानी

अधिशासी निदेशक (वित्त एवं लेखा) सुरेश रंगानी ने इस समझौता ज्ञापन की सराहना करते हुए इस पहल की सफलता के लिए लाभार्थियों की सतत मॉनिटरिंग और संसाधनों के प्रभावी उपयोग पर जोर दिया. मुख्य चिकित्सा अधिकारी श्री करुणामय ने बताया कि यह पहल स्कूल जाने वाले बच्चों में कुपोषण से निपटने के लिए एक उपयोगी कदम है. शक्ति कुमार ने बोकारो जिला में गिफ्ट मिल्क वितरण कार्यक्रम पर प्रकाश डाला. साथ ही बीएसएल द्वारा इस दिशा में सबसे पहले पहल किए जाने की सराहना की. एनएफएन के पदाधिकारियों ने गिफ्ट मिल्क वितरण के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी दी. नीरज कुमार त्रिपाठी, वरीय प्रबंधक (सीएसआर) और उनकी टीम ने कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

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