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BOKARO NEWS : सीसीएल कथारा की गोविंदपुर यूजी माइंस होगी बंद

सीसीएल कथारा की गोविंदपुर यूजी माइंस बंद होगी. यह कोल इंडिया की एकमात्र मैनुअल लोडिंग माइंस है.

राकेश वर्मा, बेरमो : सीसीएल कथारा की गोविंदपुर यूजी माइंस बंद होगी. यह कोल इंडिया की एकमात्र मैनुअल लोडिंग माइंस है. इसे बंद करने का निर्णय सीसीएल मुख्यालय के अलावा क्षेत्रीय प्रबंधन ने लिया है. हालांकि अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं की गयी है. तीन दिन पूर्व कथारा क्षेत्रीय प्रबंधन ने एरिया के एसीसी सदस्यों के साथ बैठक कर यह स्पष्ट कह दिया कि इस माइंस को सुरक्षा के दृष्टिकोण से अब चलाना मुश्किल है. जानकारी के अनुसार प्रबंधन तीन कारणों से इस माइंस को हमेशा के लिए बंद करना चाहता है. पहला कारण कई साल से इस माइंस का करोड़ों के घाटे में चलना, दूसरा कारण इस माइंस में पिछले साल से मैनुअल लोडिंग का पूरी तरह से बंद हो जाना और तीसरा कारण माइंस का ग्रेडियेंट और कोयला सीम की मोटाई मैकेनाइज्ड तरीके से उत्पादन करने के योग्य नहीं होना है. क्षेत्रीय प्रबंधन के साथ हुई बैठक में जेसीएमयू, सीएमयू, एचएमकेयू एवं जमसं के प्रतिनिधियें ने सुरक्षा के दृष्टिकोण के साथ-साथ कोयला निकासी में अत्यधिक खर्च आने पर माइंस को बंद कर देना उचित बताया. हालांकि सीसीएल सीकेएस, एटक, आरकेएमयू व एक्टू के प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रबंधन को पहले हर स्तर पर विचार करते हुए इस माइंस को बंद होने बचाने पर चिंतन करना चाहिए.

माइंस में है चार मिलियन टन कोयला

प्रबंधन के अनुसार गोविंदपुर भूमिगत खदान में अभी भी लगभग चार मिलियन टन कोयला का रिजर्व है. लेकिन मैकेनाइज्ड खनन करना भी चुनौती भरा काम है. प्रबंधन ने इसके लिए हर प्रयास किया. इस माइंस के कोयला का ग्रेड वाशरी ग्रेड-4 है. माइंस का थिकनेस 1.8 मीटर है. माइंस का ग्रेडियेंट वर्तमान में 1 गुणा 3 है, जबकि यह 1 गुणा 6 या 1 गुआ 8 तक होना चाहिए. कोयला के सीम का मोटाई 1.8 मीटर है, जबकि 2.2 या 2.4 होना चाहिए. मालूम हो कि पिछले साल से इस माइंस में मैनुअल लोडिंग को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. यहां के 199 पीआर मजदूरों को पिछले साल टीआर किया गया था. प्रबंधन इस माइंस में एसडीएल मशीन लगाना चाहता है, लेकिन माइंस का ग्रेडियेंट व थिकनेस इसके अनुकूल नहीं है. जानकारी के अनुसार इस माइंस को मैकेनाइजेशन के तहत कोयला खनन के लिए सीसीएल मुख्यालय आउटसोर्सिंग कंपनी को भी देने का पहल कर चुका है. लेकिन माइंस की स्थिति को देख कर कोई भी कंपनी इस माइंस में कोयला खनन नहीं करना चाहती है. प्रबंधन के अनुसार सीसीएल मुख्यालय में इस माइंस को एमडीओ मोड में चलाने के लिए दो-तीन बार बीडिंग भी कर चुका है, लेकिन किसी प्राइवेट पार्टी ने बीडिंग में हिस्सा नहीं लिया. इसके बाद हेडक्वार्टर ने वीडियो क्राॅन्फ्रेंसिंग के जरीये देश-विदेश के प्राइवेट पार्टियों को इस माइंस से कोयला खनन के लिए आमंत्रित किया. लेकिन माइंस की भौगोलिक स्थिति की जानकारी होने के बाद यहां से कोयला खनन करने से इंकार कर दिया.

एरिया का सालाना घाटा में 75 फीसदी योगदान इस माइंस का

कथारा एरिया को पिछले कई साल से जो सालाना घाटा हो रहा है, उसमें 75 फीसदी योगदान गोविंदपुर यूजी माइंस का है. सालाना मात्र 20-30 हजार टन इस माइंस से कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा जाता है. यहां से उत्पादित कोयला का सेलिंग प्राइस प्रति टन 2408 रुपये है, जबकि प्रोडक्शन कॉस्ट प्रति टन 85 हजार रुपये है. गत वित्तीय वर्ष में इस माइंस का घाटा 135 करोड़ का था. जबकि चालू वित्तीय वर्ष में अप्रैल से जुलाई तक का घाटा 36.92 करोड़ रुपये है. माइंस का मैन पावर 524 है, जिसमें 400 यूजी माइंस में तथा शेष सरफेस में कार्यरत हैं.

पूर्व सीएमडी ने किया था चार सदस्यों की टीम का गठन

सीसीएल के पूर्व सीएमडी डॉ बी वीरा रेड्डी ने इस माइंस को चलाने के लिए चार सदस्यों की एक टीम का गठन कर सिंगरैनी की एक यूजी माइंस का निरीक्षण करने भेजा था. इस टीम में एटक नेता लखनलाल महतो भी शामिल थे. प्रबंधन का कहना था कि गोविंदपुर यूजी माइंस की ही तरह सिंगरैनी में एक यूजी माइंस है जहां लो-हाइट पर एसडीएल मशीन लगा है, जिसका ग्रेडियेंट भी इसी माइंस की तरह था. टीम ने निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट सीसीएल मुख्यालय को सौंपी, इसके बाद फाइल मूव हुआ. स्कीम बनकर सीएमपीडीआइ गयी, लेकिन बाद में सारा मामला ठंडे बस्ते में चला गया. मालूम हो कि इस माइंस में माइनिंग सर्वे की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को ट्रेनिंग भी दी जाती थी. इसके अलावा पीडीपीटी, ओरियनटेंशन, माइिंग सरदार, ओवरमैन का फर्स्ट क्लास, सेकेंड क्लास, माइनिंग सर्वयर आदि की भी ट्रेनिंग दी जाती रही है.

क्या कहता है डीजीएमएस एक्ट

डीजीएमएस एक्ट के अनुसार किसी भी यूजी माइंस से मासिक कम से कम एक हजार टन कोयला का रेजिंग करना होगा तथा अंडर ग्राउंड का सारा नियम कानून यहां लागू होगा. साथ ही डीजीएमएस का सार्टिफिकेट का वेल्यू होगा. पूर्व में यहां से रोजाना 40-50 टन कोयला का खनन हो रहा था, जो बंद हो गया. बताते चले कि पिछले माह भारी बारिश के बाद इस माइंस के सरफेस में पोर्ट होल हो गया था और माइंस में पानी भर गया था. इसके बाद डीजीएमएस ने निरीक्षण कर इस माइंस को सुरक्षा के दृष्टिकोण से बंद करने का निर्देश दिया था.

कहना है प्रबंधन का

कथारा एरिया के महाप्रबंधक संजय कुमार का कहना है कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से इस माइंस को चलाना उचित नहीं है. गोविंदपुर-स्वांग परियोजना के पीओ एके तिवारी ने कहा कि इस माइंस को बंद करना ही एकमात्र रास्ता है.

क्या कहते हैं एटक नेता

एटक नेता व जेबीसीसीआइ सदस्य लखनलाल महतो ने कहा कि सेमी मैकेनाइज्ड कर या ओपेन कास्ट कर छोटे पैच के माध्यम से इस माइंस को चलाया जा सकता है. लेकिन प्रबंधन इस माइंस को चलाना नहीं चाहता. माइंस के बंद हो जाने से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोग प्रभावित होंगे.

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