बेकार पड़ा है करोड़ों का सीसीटी, आधा से ज्यादा लोहे की हो गयी चोरी

80 के दशक में बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल के बीएंडके एरिया में बना सीसीटी (कोल कन्वेयर ट्रांसपोर्ट) पिछले तीन दशक से बेकार पड़ा है. सीसीएल के करगली वाशरी से जरीडीह बाजार वे ब्रिज तक करीब तीन किलोमीटर लंबा इस सीसीटी के करीब आधे लोहे की चोरी कर हो गयी

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 17, 2020 6:35 AM

राकेश वर्मा, बेरमो : 80 के दशक में बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल के बीएंडके एरिया में बना सीसीटी (कोल कन्वेयर ट्रांसपोर्ट) पिछले तीन दशक से बेकार पड़ा है. सीसीएल के करगली वाशरी से जरीडीह बाजार वे ब्रिज तक करीब तीन किलोमीटर लंबा इस सीसीटी के करीब आधे लोहे की चोरी कर हो गयी. करगली से बेरमो रेलवे स्टेशन तक मुख्य सड़क के ऊपर से होकर गुजरने वाले इस सीसीटी का लोहे का भाग कई जगहों से टूटकर लटक रहा है. इससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. बेकार पड़े इस सीसीटी का अगर सीसीएल ऑक्शन करा दे तो कंपनी को करोड़ों का राजस्व प्राप्त हो सकता है.

नीलामी की आवाज उठती रही है : बीएंडके एरिया जीएम एम कोटेश्वर राव ने इसे काफी गंभीरता से लिया है. उन्होंने इसका मूल्य आकलन कर एरिया से इंडेंट बनाकर मंगलवार को सीसीएल मुख्यालय, रांची भेजा है. बताते चलें कि बीएंडके एरिया स्तर पर अक्सर होने वाली क्षेत्रीय सलाहकार समिति तथा वेलफेयर कमेटी की बैठक में मजदूर संगठन सीसीटी का ऑक्शन कराने का मामला उठाते रहे हैं.

करोड़ों की लागत बना था सीसीटी : वर्ष 1982-83 में बीएंडके एरिया में करोड़ों की लागत से सीसीटी बनाया गया था. करगली वाशरी के कोकिंग कोल वाशरी होने के कारण इसकी जरूरत थी. इस वाशरी से कोकिंग कोल को वॉश करने के बाद स्टील प्लाटों को धुले कोयले की आपूर्ति होती थी. उस वक्त एरिया की बोकारो कोलियरी से कोकिंग कोल का प्रचुर उत्पादन होता था.

कुछ जानकार बताते हैं कि जिस समय सीसीटी योजना को बीएंडके एरिया में लाने की बात हुई उस वक्त बोकारो कोलियरी से कोकिंग कोल का उत्पादन बहुत अच्छा था. इस योजना को धरातल पर आने में काफी वक्त लग गया. तब तक बोकारो कोलियरी का उत्पादन ग्राफ भी काफी गिर चुका था.

ऐसे करता था काम

इस योजना के तहत करगली वाशरी से लेकर बोकारो कोलियरी के पांच नंबर खदान (जरीडीह बाजार) से सटे वे-ब्रीज तक सीमेंट बड़े-बड़े पिलर के ऊपर लोहे का ढांचा बनाकर उसके अंदर कन्वेयर बेल्ट बिछाया गया. इसके अलावा जरीडीह बाजार के निकट वे-ब्रीज के पास बडा बंकर बनाया गया. इस बंकर में बोकारो कोलियरी से उत्पादित कोकिंग कोल को ट्रांसपोर्टिंग के जरिये गिराया जाता था. यहां से उक्त कोयला सीसीटी के कन्वेयर बेल्ट के जरिये करगली वाशरी के बंकर में गिरता था. यहां धुले कोयले का उत्पादन होता था.

कीमती लोहे को तस्कर उठा ले गये

मुश्किल से तीन-चार साल सीसीटी के चलने के बाद 1990 के बाद से यह बंद हो गया. सीसीटी के बंद होने के बाद तस्करों की चांदी हो गयी. धीरे-धीरे कई स्थानों से लोहे के एंगल को लोहा तस्कर ट्रक लगाकर तो लोहा चोर छोटे-मोटे वाहनों से ले गये. स्थिति यह है कि करगली गेट से लेकर राम बिलास उच्च विद्यालय तक तथा बेरमो रेलवे स्टेशन से बेरमो रेलवे गेट तक कई स्थानों से इसमें लगे लोहे के एंगल की चोरी हो गयी.

बंद हुई करगली वाशरी तो बदहाल हुई कोलियरी : करगली वाशरी पिछले डेढ़ साल से बंद है. अब आधे-अधूरे सीसीटी का किसी तरह का उपयोग नहीं होगा. बोकारो कोलियरी सालाना मुश्किल से दो लाख टन उत्पादन कर रही है, जबकि करगली वाशरी से उत्पादन पूर्णत: ठप है. यहां के कर्मियों को भी अब एरिया की दूसरी परियोजनाओं में समायोजित किया जा रहा है.

इंडेंट भेजा गया है सीसीएल हेड क्वार्टर : जीएम

सीसीएल बीएंडके एरिया के महाप्रबंधक एम कोटेश्वर राव ने कहा कि कोल कन्वेयर ट्रांसपोर्ट (सीसीटी) का मूल्य आकलन के बाद मंगलवार को ही इंडेंट बनाकर मुख्यालय भेजा गया है. जल्द ही इसके ऑक्शन का टेंडर होगा.

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