ढोरी केंद्रीय अस्पताल में शोभा बढ़ा रही 9.5 लाख की Dialysis Machine, किडनी मरीजों को जाना पड़ रहा बाहर
Jharkhand News : बोकारो के बेरमो स्थित सीसीएल के ढोरी सेंट्रल अस्पताल में एक साल पहले लगी डायलिसिस मशीन शोभा की वस्तु बन गयी है. युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमार गौरव ने निजी मद से लगभग साढ़े नौ लाख रुपये खर्च कर यह मशीन दी थी, लेकिन टेक्निशियन के अभाव में उपयोग नहीं किया जा सका.
Jharkhand News : बोकारो के बेरमो स्थित सीसीएल के ढोरी सेंट्रल अस्पताल में एक साल पहले लगी डायलिसिस मशीन मात्र शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमार गौरव ने निजी मद से लगभग साढ़े नौ लाख रुपये खर्च कर अस्पताल को चार जून 2021 को यह मशीन दी थी, लेकिन टेक्निशियन के अभाव में इस मशाीन का उपयोग अस्पताल प्रबंधन द्वारा नहीं किया जा सका. इस मशीन को लगाने के पीछे सोच थी कि गरीब मरीज जो किडनी रोग से ग्रसित हैं, उन्हें यहां डायलिसिस की सुविधा मिलेगी.
लापरवाही के कारण क्षेत्र के किडनी मरीजों को 50 किमी दूर बोकारो या 120 किमी दूर रांची जाकर डायलिसिस कराना पड़ता है. ऐसे में गरीबों को काफी परेशानी होती है. जानकारी के अनुसार सीसीएल के किसी अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा नहीं है. सीसीएल के सबसे बड़े गांधीनगर अस्पताल में भी नहीं. कहीं भी ना नेफ्रोलॉजी विभाग से संबंधित चिकित्सक हैं और ना ही टेक्निशियन. पिछले दिनों बेरमो आये सीसीएल के सीएमएस डॉ डीकेएल चौहान ने कहा था कि पूरे कोल इंडिया में डायलिसिस टेक्नीशियन का कहीं पोस्ट नहीं है. तत्कालीन चिकित्सा प्रभारी को यह समझना चाहिए था कि इसे हमलोग कैसे चलायेंगे? हमें पता होता तो डायलिसिस मशीन कभी स्वीकार नहीं करते.
एटक नेता लखनलाल महतो का कहना है कि सीसीएल इतना कमजोर नहीं है, बावजूद इसके क्यों डायलिसिस मशीन ली गयी. जिन्होंने डायलिसिस मशीन दी, उन्होंने भी इसकी उपयोगिता की प्रोपर मॉनिटरिंग नही की. ढोरी केंद्रीय अस्पताल सिर्फ नाम का रह गया है. यहां डॉक्टर, पारा मेडिकल स्टाफ, टेक्निशियन व नर्स की कमी है.
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Posted By : Guru Swarup Mishra