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बेरमो अनुमंडल में कई जगह वर्षों से हो रही चैती दुर्गा पूजा

बेरमो अनुमंडल में कई जगह वर्षों से हो रही चैती दुर्गा पूजा

राकेश वर्मा, बेरमो : बेरमो अनुमंडल में लगभग एक दर्जन जगह वर्षों से चैती दुर्गा पूजा का आयोजन होता आ रहा है. गोमिया में चार, बेरमो में तीन, नावाडीह में दो तथा चंद्रपुरा में एक स्थान में भव्य आयोजन होता है. गोमिया बस्ती के काली मंडप एवं मध्य दुर्गा मंदिर (गंधुनिया आहरा) में वर्ष 1865 से ही पूजा हो रही है. बाद के वर्षों में मंदिर को भव्य व आकर्षक बनाया गया और धूमधाम से पूजा का आयोजन किया जाने लगा. गोमिया के हजारी पंचायत के खुदगड़ा ग्राम में भी चैती दुर्गा पूजा का आयोजन प्राचीन काल से किया जा रहा है. इस दौरान कई धार्मिक कार्यक्रम व स्थानीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. गोमिया स्थित आइइएल गवर्मेन्ट कॉलोनी में चैती दुर्गा पूजा 12 वर्षों से की जा रही है. इस दौरान पूजा अर्चना व दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की तांता लग जाता है. पांच दिनों का मेला भी लगता है. नावाडीह प्रखंड अंतर्गत नारायणपुर पंचायत के पार लहिया के घटवार टोला में 175 वर्षों से चैती काली दुर्गा की पूजा की जा रही है. मान्यता है कि यहां संतान के इच्छुक हर दंपति की मनोकामना पूर्ण होती है, इच्छा पूरी होने पर लोग बकरे की बलि देते हैं. यहां एक दिवसीय मेला भी लगता है. स्थानीय ग्रामीण बताते हैं कि गांव के ही फतकु सिंह की कोई संतान नहीं थी. उन्होंने पने गुरु के साथ वर्ष 1845 में कोलकाता स्थित काली दुर्गा की पूजा कर मन्नत मांगी थी. इसके बाद पुत्र की प्राप्ति हुई तो 1847 में उन्होंने पार लहिया के घटवार टोला में चैती काली दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पांच साल तक पूजा की. इसके बाद ग्रामीणों ने हर साल पूजा करने का निर्णय लिया. स्थायी मंडप का निर्माण किया गया और पूजा की जाने लगी. आहारडीह पंचायत के जुनोडीह गांव में पूर्व सरपंच दीपनारायण महतो संतान प्राप्ति की कामना को लेकर 1980 में प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू की. कामना पूरी हुई तो मंडप में हर वर्ष प्रतिमा स्थापित कर पूजा करते आ रहे हैं. तुपकाडीह चौक बाजार से सटे वासंतिक दुर्गा मंदिर में भी हर साल पूजा का आयोजन किया जाता है. पहले यह मंदिर बोकारो इस्पात संयंत्र के स्लैग रेगुलेशन प्लांट (एसजीपी) क्षेत्र के अड्डाकुवारी नामक बस्ती में था. वर्ष 1960-62 में बोकारो प्लांट निर्माण की योजना आयी तो ग्रामीणों ने अपनी जमीन दे दी. यहां के परिवारों को तांतरी पुर्नावास क्षेत्र तुपकाडीह में जमीन देकर पुनर्वासित किया गया. तब लोगों ने मां दुर्गा की प्रतिमा लाकर यहां स्थापित की और पूजा शुरू की. शुरुआत में लोग तिरपाल डालकर जैसे-तैसे पूजा करते थे, लेकिन समय के साथ चंदा व श्रमदान कर मंदिर निर्माण करवाया गया. यहां चैती नवरात्र में तुपकाडीह समेत मानगो, तांतरी, बुटनााडीह, जैनामोड़, पिछरी, कनारी, शिबूटांड व आसपास से भक्त यहां पहुंचते हैं. भव्य मेला लगता था. बेरमो प्रखंड के जरीडीह बस्ती स्थित चैती दुर्गा मंदिर में वर्ष 1963 से पूजा हो रही है. यहां पूजा की शुरुआत भोली महतो, स्व युगल किशोर महतो, स्व बरियार महतो, स्व काली ठाकुर, स्व नागेश्वर रविदास आदि ने करायी थी. बाद में जनसहयोग से मंदिर का निर्माण हुआ. कुरपनियां चैती दुर्गा मंदिर में वर्ष 1982 से पूजा हो रही है. उस वक्त मजदूर नेता स्व रामाधार सिंह के मार्गदर्शन में दीपक राम, स्व नारायण सिंह, स्व कारू, स्व कन्हाई पासवान, स्व हरि बोल आदि ने तिरपाल का टेंट बना कर पूजा की शुरुआत की थी. बाद में मंडप बना. चंद्रपुरा प्रखंड के इ टाइप में हिंदू मिलन मंदिर में 50 वर्षों से प्रतिमा स्थापित कर पूजा का आयोजन हो रहा है. यहां बांग्ला विधि विधान से पूजा की जाती है.

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