Bokaro News : चास-बोकारो की गंदगी ढो रही है गरगा व सिंगारीजोरिया
Bokaro News : 35 किमी लंबी नदी शहरी क्षेत्र में आते ही हो जाती है मैली
Bokaro News : सीपी सिंह, बोकारो.
कहते हैं कि नदियां जहां से गुजरती है, वहां संस्कृति का विकास हो जाता है. लेकिन, विकसित संस्कृति अति की राह पर चल पड़े. तो नदियां विलुप्त हो जाती हैं. सरस्वती नदी को लेकर यह उदाहरण दिया जाता है, लेकिन बोकारो जिला में बहने वाली गरगा नदी भी इस उदाहरण को सही साबित करने के करीब है. कारण है गरगा नदी का मानव जनित प्रदूषण. 35 किमी की यह नदी मैली हो चुकी है. इतनी मैली कि नदी के पानी से स्नान करना तो दूर की बात, आचमन करना भी संभव नहीं है. नदी अब नाला का रूप ले चुकी है. वहीं चास का शृंगार करने वाली सिंगारीजोरिया की स्थिति तो बद से बदतर हो चुकी है. प्रदूषण के साथ-साथ अतिक्रमण का भी दंश झेल रही गरगा नदी : लगभग 35 किलोमीटर लंबी गरगा नदी ना सिर्फ प्रदूषण की मार झेल रही है, बल्कि अतिक्रमण से भी मर रही है. कई जगह गरगा नदी की चौड़ाई 25-30 फीट ही रह गयी है. बताते चलें कि कलौंदीबांध से गरगा नदी की धारा निकल कर कसमार, जरीडीह और चास प्रखंड के दर्जनों गांवों से गुजरते हुए दामोदर में मिलती है. गरगा नदी कसमार के गर्री और तेलमुंगा गांव होते हुए जरीडीह के वनचास होते हुए बाराडीह पहुंचने के दौरान गरगा में कई छोटी-छोटी जोरिया समाहित होती है. गांगजोरी से चिलगड्डा स्थित आशा विहार अस्पताल के बगल में चास प्रखंड के राधागांव होते हुए बालीडीह पहुंचती है. गरगा डैम के पानी का उपयोग बीएसएल करता है. यहां से बारी को-ऑपरेटिव, चास शहर, भर्रा होते हुए पुपुनकी के पास गरगा नदी का दामोदर में संगम होता है.गरगा की सफाई के लिए दशकों से दौड़ रहा है कागजी घोड़ा : गरगा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने की बात दशकों से हो रही है. फाइल में टेंडर-टेंडर भी खेला गया. 2017-18 में नागपुर के फाइन एंड फाइन कंपनी की टीम ने गरगा नदी का निरीक्षण किया. इसके बाद अगस्त 2020 में एनजीटी के आदेश के बाद जिला प्रशासन ने गरगा की सेहत सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाया, लेकिन अभी तक गरगा की स्थिति जस-की-तस बनी हुई है. नमामि गंगे योजना के तहत गंगा में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से मिलने वाली नदियों की सफाई के लिए संबंधित नगर निगम को ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का निर्देश दिया गया, लेकिन, इस दिशा में कागजी घोड़ा दौड़ने के अलावा कुछ खास नहीं हुआ.
चास के बीचोंबीच से गुजरती है सिंगारीजोरिया, लेकिन नजर किसी की नहींचास के बीचों-बीच से सिंगारी जोरिया गुजरती है. लेकिन, जोरिया की बद से बदत्तर होती स्थिति पर किसी की नजर नहीं गयी. जोरिया पर अतिक्रमण की मार इस हद तक पड़ी है कि यह सिमट कर नाला से भी छोटी हो गयी है. जबकि इसकी असली चौड़ाई 50 फीट है. जिला प्रशासन के निर्देश पर चास अंचलाधिकारी ने जोरिया को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए कई बार मापी करायी. इसके बाद रिपोर्ट भी सौंपी. लेकिन, कोई फायदा नहीं हुआ. बोकारो के उपायुक्त विमल कीर्ति सिंह ने जनता की आवाज पर कड़ा रुख अपनाते हुए जोरिया की मापी करायी थी. अतिक्रमणकारियों को नोटिस दिया गया. लेकिन हासिल कुछ खास नहीं हुआ. इसके बाद भी कई उपायुक्तों ने इस संबंध में कार्रवाई की बात तो की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई.2012 व 2021 में दिखा था भयावह रूप : सिंगारीजोरिया पर हुए अतिक्रमण का भयावह रूप चास को कई बार देखने को मिला है. 06 जून 2012 को अचानक बारिश होने के कारण पूरा चास लबालब हो गया था. जोरिया का स्वरूप बिगड़ने के कारण चास में बाढ़ आ गयी थी. लोगों को धर्मशाला मोड़ से चेक पोस्ट जाने के लिए सोचना पड़ रहा था. इसी तरह 2021 में सिंगारीजोरिया में अतिक्रमण के कारण चीराचास ने बाढ़ का आलम देखा गया था. कई नामी-गिरामी सोसाइटी में बाढ़ का कहर देखने को मिला था. लाखों का नुकसान लोगों को उठाना पड़ा था.
कोटसिंगारीजोरिया को अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए अभियान जल्द ही शुरू होगा. चिह्नित जगह को अतिक्रमण मुक्त किया जायेगा. वहीं गरगा नदी की सफाई को लेकर भी योजना तैयार हो रही है. आने वाले दिन में गरगा को प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में बड़ी कार्रवाई होगी.-संजीव कुमार, अपर नगर आयुक्त, चास नगर निगम
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