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43 साल पुराना भवन हो चुका है जर्जर, कहां कौन ढांचा गिर जाये, किसी को पता नहीं
रंजीत कुमार, बोकारो : चास अनुमंडल अस्पताल को खुद इलाज की जरूरत है. यहां काम करनेवाले चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी और इलाज के लिए आनेवाले मरीजों की जान हर वक्त आफत में रहती है. अस्पताल का कब कौन सा ढांचा गिर जाये, किसी को पता नहीं चलेगा. भवन काफी पुराना हो चुका है. थोड़ी सी बारिश के बाद स्थिति और भी बदतर हो जाती है. बारिश के बाद पानी का असर कई माह तक रहता है. हर कमरे के दीवार से बदबू निकलती है. इलाज करनेवाले चिकित्सक व मरीज के बीमार होने का खतरा बराबर बना रहता है. वर्ष 1980 में चास अनुमंडल अस्पताल का निर्माण हुआ था.
फिलहाल 15 कमरों के अस्पताल में कई विभाग चल रहे हैं. निचले तल पर बरामदे में निबंधन काउंटर, ओपीडी, दवा वितरण कक्ष, पैथोलॉजी सेंटर, ऑपरेशन थियेटर, लेबर रूम, मरीज के इलाज के लिए इनडोर वार्ड, एनआइसीयू कक्ष, चिकित्सक रेस्ट रूम, मरीजों के लिए शौचालय-बाथरूम है. ऊपरी तल्ले पर प्रशासनिक कार्यालय कक्ष, नर्स आवासीय कक्ष उपलब्ध है. विडंबना है कि अस्पताल के अनुपयोगी सामान को अस्पताल की ही छत पर डाल दिया गया है. कचरा होने से छत की स्थिति और भी खराब हो गयी है. अस्पताल में लगभग 60 की संख्या में मानव बल कार्यरत हैं. इसमें चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी आदि शामिल हैं. कैंपस में बने आवास की स्थिति काफी जर्जर है. किसी तरह कुछ कर्मचारी आवास का उपयोग करते है. जान जोखिम में डालकर रह रहे है. कई आवास का उपयोग डर से नहीं किया जा रहा है. अस्पताल कैंपस में ही पोस्टमार्टम हाउस बना हुआ है. जहां रोजाना शव का पोस्टमार्टम किया जा रहा है. विडंबना है कि स्वास्थ्य विभाग अपने कार्यरत चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी व इलाज के लिए आनेवाले मरीजों के लिए भवन तक नहीं बनवा पा रहा है. कार्यालय की ओर से कई बार जर्जर भवन को देखते हुए पूर्व डीएस डॉ विकास कुमार ने नये भवन के लिए पत्राचार किया. कुछ नहीं हुआ.
अस्पताल की स्थिति की जानकारी लेने के बाद नये भवन के लिए अविलंब मुख्यालय से पत्राचार करेंगे. फिलहाल सभी को सावधानी के साथ काम करने की जरूरत है.
डॉ दिनेश कुमार, सिविल सर्जन, बोकारो