झारखंड में राजनीतिक अस्थिरता के बीच निर्दलीय भी बने मुख्यमंत्री, 20 साल में बनीं 11 सरकारें, पढ़िए कैसा रहा सियासी सफर

रांची (आनंद मोहन/सतीश कुमार) : झारखंड की राजनीति के अजब-गजब किस्से हैं. एक से बढ़कर एक प्रयोगों की वजह से 14 वर्षों तक राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का दौर रहा. आलम यह था कि विधानसभा के एक टर्म में चार मुख्यमंत्री बने. इस राज्य ने 20 वर्षों में 11 सरकारें देखीं, जबकि तीन बार राष्ट्रपति शासन लगा. झारखंड में ही अनूठा प्रयोग हुआ, जब 18 सितंबर 2006 को झामुमो, कांग्रेस, राजद और निर्दलीयों की मदद से निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा मुख्यमंत्री बन गये. यह पूरे देश की राजनीति में चौंकानेवाली घटना थी. 14 वर्षों तक झारखंड में निर्दलीयों का कुनबा सरकार बनाने-गिराने की ताकत में रहा और राजनीति की धुरी बना रहा.

By Prabhat Khabar News Desk | December 5, 2020 8:39 AM

रांची (आनंद मोहन/सतीश कुमार) : झारखंड की राजनीति के अजब-गजब किस्से हैं. एक से बढ़कर एक प्रयोगों की वजह से 14 वर्षों तक राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का दौर रहा. आलम यह था कि विधानसभा के एक टर्म में चार मुख्यमंत्री बने. इस राज्य ने 20 वर्षों में 11 सरकारें देखीं, जबकि तीन बार राष्ट्रपति शासन लगा. झारखंड में ही अनूठा प्रयोग हुआ, जब 18 सितंबर 2006 को झामुमो, कांग्रेस, राजद और निर्दलीयों की मदद से निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा मुख्यमंत्री बन गये. यह पूरे देश की राजनीति में चौंकानेवाली घटना थी. 14 वर्षों तक झारखंड में निर्दलीयों का कुनबा सरकार बनाने-गिराने की ताकत में रहा और राजनीति की धुरी बना रहा.

राज्य गठन के बाद वर्ष 2005 में पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ, जिसमें यूपीए-एनडीए किसी को बहुमत नहीं मिला. झारखंड की राजनीति में कुर्सी के लिए जोड़-तोड़ का नया अध्याय यहीं से शुरू हुआ. इस विधानसभा कार्यकाल में चार सरकारें बनीं. बहुमत का आंकड़ा नहीं होने के बावजूद झामुमो नेता शिबू सोरेन ने दावा ठोक दिया और मुख्यमंत्री भी बने. हालांकि, 10 दिन में शिबू की सरकार गिर गयी. फिर अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री बने. इसके बाद निर्दलीय मधु कोड़ा को कांग्रेस, झामुमो और राजद ने हवा देकर मुख्यमंत्री बना दिया. मधु कोड़ा दो वर्ष का कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सके, फिर शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने. इसके बाद राष्ट्रपति शासन लगा.

Also Read: झारखंड के पड़ोसी राज्यों बिहार-बंगाल से जुड़ेगा बोकारो, पटना व कोलकाता के लिए जल्द शुरू होगी उड़ान सेवा

वर्ष 2009 की विधानसभा के कार्यकाल में बनी तीन सरकारें : राष्ट्रपति शासन में ही वर्ष 2009 में चुनाव हुआ, लेकिन राजनीतिक स्थिरता नहीं आयी. इस विधानसभा के कार्यकाल में तीन सरकारें बदलीं. भाजपा के सहयोग से शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने. तब वे सांसद थे. लेकिन, संसद में उन्होंने यूपीए को वोट कर दिया, जिससे नाराज भाजपा ने नाता तोड़ लिया. झारखंड में फिर राष्ट्रपति शासन लगा. पांच माह बाद झामुमो-भाजपा साथ आये. 28-28 महीने का समझौता हुआ. झारखंड की राजनीति में फिर एक प्रयोग था. अर्जुन मुंडा के नेतृत्व को झामुमो ने समर्थन दिया, लेकिन वह 28 महीना पूरा नहीं कर सके. झामुमो ने सरकार गिरा दी. फिर राष्ट्रपति शासन लगा. राष्ट्रपति शासन के क्रम में ही झामुमो के साथ यूपीए फोल्डर साथ आया. इसके बाद हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी.

Also Read: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 29 दिसंबर को देंगे कई सौगातें, खुलेगी ट्राइबल व ओपन यूनिवर्सिटी, नयी खेल नीति की भी करेंगे घोषणा

वर्ष 2014 से राज्य को मिली स्थिर सरकार : वर्ष 2014 में झारखंड में तीसरा विधानसभा चुनाव हुआ. 14 वर्ष बाद झारखंड स्थिरता के रास्ते पर चला और एनडीए को पूर्ण बहुमत मिला. भाजपा-आजसू ने मिल कर सरकार बनायी. मुख्यमंत्री रघुवर दास बने और पहली बार किसी सरकार ने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में भी झारखंड राजनीतिक स्थिरता की राह पकड़ कर चला. इस बार यूपीए को पूर्ण बहुमत मिला और हेमंत सोरेन के नेतृत्व में दूसरी बार राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी.

Also Read: झारखंड के सभी प्रमंडलों में खुलेंगे सीबीएसइ स्कूल, जानिए किस सत्र से शुरू होगी पढ़ाई

Posted By : Guru Swarup Mishra

Next Article

Exit mobile version