Chitragupta Puja: बोकारो के बेरमो क्षेत्र में 6 दशक पुराना है चित्रगुप्त पूजा का इतिहास, जानें खासियत

बोकारो के बेरमो कोयलांचल में चित्रगुप्त पूजा का इतिहास छह दशक से अधिक पुराना है. कहीं मंदिर स्थापित कर चित्रगुप्त की पूजा होती है, तो कहीं घर-घर कायस्थ जाति के लोग इसकी आराधना कर रहे हैं.

By Samir Ranjan | October 26, 2022 11:48 PM

Chitragupta Puja 2022: बोकारो जिला अंतर्गत बेरमो अनुमंडल में कलम-दवात के देवता चित्रगुप्त पूजा का इतिहास छह दशक से अधिक पुराना है. बेरमो अनुमंडल के तहत बेरमो और गोमिया प्रखंड को मिलाकर लगभग एक दर्जन स्थानों पर हर साल भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा स्थापित कर काफी धूमधाम से आराधना की जाती है. इस पूजा के माध्यम से कायस्थ जाति से जुड़े लोग सपरिवार पूजा की शाम आयोजित सामूहिक भोज में जुटते हैं. सामूहिक भोज के माध्यम से भाईचारे के प्रचलन को आज भी जीवित रखने का काम किया जाता है. इसके अलावा कई स्थानों पर बच्चे एवं महिलाओं के बीच कई तरह की प्रतियोगिता सहित रंगारंग सांस्कृतिक कायर्क्रम भी आयोजित किये जाते हैं. हर साल यहां के पूजा स्थलों में पूर्व मंत्री स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद सिंह के अलावा पूर्व सांसद रवींद्र कुमार पांडेय, पूर्व मंत्री माधवलाल सिंह सहित अन्य जनप्रतिनिधि शरीक होते रहे. आज भी जनप्रतिनिधियों के शामिल होने का परंपरा कायम है.

तेनुघाट : पहले तेनुघाट एक व दो नंबर कॉलोनी में अलग-अलग चित्रगुप्त पूजा किया जाता था. 1980 के बाद से 2 नंबर कॉलोनी में पूजा बंद हो गया तथा तेनुघाट एक नंबर कॉलोनी में ही दो स्थानों पर पूजा होने लगा.बाद में चित्रगुप्त  महापरिवार बेरमो और बोकारो के संयुक्त प्रयास से एक जगह तेनुघाट एक नंबर कॉलोनी में पूजा होने लगा. पहले यहां सिंचाई विभाग के कार्यालय में पूजा होता था. 2010 से तेनुघाट एफ टाइप चौक दुर्गा मंडप के बगल स्थित चित्रगुप्त मंदिर में विधिवत रूप से पूजा होने लगा. पुराने लोग बताते हैं कि तेनुघाट में 1965 से चित्रगुप्त पूजा किये जाने की शुरुआत हुई. पूजा शुरू कराने में लाला लाल मोहन लाल, अशोक कुमार सिन्हा, राजेश्वर प्रसाद का अहम योगदान रहा. बाद में इस पूजा को संपन्न कराने में कुमार अनंत मोहन सिन्हा, हरिशंकर प्रसाद, मोहन प्रसाद श्रीवास्तव, वैंकट हरि विश्वनाथन, विजय कुमार अम्बष्ठ, सुभाष कटरियार, एसके वर्मा, अजीत कुमार लाल, रामचंद्र प्रसाद सहित कई लोग सक्रिय रूप से लगे रहे. यहां पूजा की शाम सामूहिक भोज के अलावा बच्चों के बीच प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है.

सुभाषनगर : चित्रगुप्त भवन, सुभाषनगर में करगली बेरमो समिति की ओर से हर साल चित्रगुप्त पूजा किया जाता है. यहां 1985 में स्वर्गीय मदन प्रसाद सिन्हा, अवधेश प्रसाद, पपन, सुनील कुमार सहित कई लोगों ने सीसीएल के सामुदायिक भवन में पूजा की शुरुआत की. बाद में संजय सिन्हा, रतन लाल, जितेंद्र प्रसाद, संजय कुमार सिन्हा, जय प्रकाश सिन्हा, जितेंद्र सिन्हा, शंभू नाथ वर्मा आदि ने सामुदायिक भवन के बगल में ही निर्मित भवन में 1987 से पूजा शुरू की. गिरिडीह के पूर्व सांसद स्वर्गीय टेकलाल महतो ने यहां सांसद मद से एक भवन दिया, जबकि पूर्व मंत्री स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद सिंह ने सुसज्जित भवन और एसी दिया. यहां भी हर साल सामूहिक भोज के अलावा भजन संध्या का आयोजन किया जाता है.

करगली बाजार : करगली बाजार में वर्ष 2017-18 से करगली बाजार, फुसरो समिति की ओर से चित्रगुप्त पूजा किया जाता है. पहले इस कमेटी के लोग सुभाषनगर पूजा समिति से ही जुडे हुए थे. बाद में वहां से अलग होकर करगली बाजार में स्वतंत्र रूप से पूजा करने लगे. यहां पूजा शुरू कराने में संजय सिन्हा, लव कुमार अम्बष्ठ, अनिल श्रीवास्तव, डॉ शंकुतला कुमार, नंद किशोर प्रसाद, रमेश सिन्हा सहित कई लोगों का अहम योगदान रहा. यहां भी हर साल सामूहिक प्रीति भोज का आयोजन किया जाता है.

ढोरी स्टॉफ क्वार्टर : ढोरी स्टॉफ क्वार्टर से पहले करगली बाजार में ही सीपीओ में बडा बाबू के पद पर कार्यरत सीसीएलकर्मी विजय सिन्हा अपने आवास में 1967 के आसपास चित्रगुप्त पूजा किया करते थे. 70 के दशक में ढोरी स्टॉफ क्वार्टर में पूजा किया जाने लगा. यहां पूजा शुरू कराने में रघू बाबू, चाकू बाबू, ध्रुवदेव प्रसाद, आरके रंजन, केपी सिन्हा, बेरमो इंस्पेक्टर लाल साहब, केएम प्रसाद, सुबोध सिन्हा आदि का सक्रिय योगदान रहा. 1988 में यहां चित्रगुप्त मंदिर का नर्मिाण हुआ. 17 नवंबर, 2001 को चित्रगुप्त पूजा के दिन ही पूर्व सांसद रवींद्र कुमार पांडेय द्वारा प्रदत्त भवन का उदघाटन हुआ था.

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कथारा : कथारा में 80 के दशक से चित्रगुप्त पूजा किया जा रहा है. पहले यहां मध्य विद्यालय, कथारा के निकट पूजा किया जाता था. बाद में कथारा स्टॉफ रिक्रिएशन क्लब में पूजा किया जाने लगा. यहां पूजा शुरू कराने में यूपी सहाय, एसएस दत्ता, ओबी नारायण, शशि भूषण प्रसाद, केपी वर्मा संत, विनय सिन्हा, संजीत सहाय, मदन सिन्हा, रंजीत लाल, शंकर लाल, उपेंद्र प्रसाद सहित कई लोगों की अहम भूमिका रही. यहां भी हर वर्ष पूजा के अवसर पर सामूहिक प्रीति भोज का आयोजन किया जाता है.

संडे बाजार : संडे बाजार बडा क्वार्टर स्थित दुर्गा मंडप के प्रांगण में वर्ष 1969 से विधिवत रूप से कायस्थ महापरिवार द्वारा चित्रगुप्त पूजा की शुरुआत की गई. यहां पूजा शुरू कराने में राम लखन प्रसाद, ब्रजकिशोर प्रसाद, नरेश प्रसाद सिन्हा, नंद किशोर प्रसाद, हरि शंकर प्रसाद (हरिश भईया), श्यामाकांत झा का सक्रिय योगदान रहा. बाद के वर्षों में पूजा की बागडोर गौरख प्रसाद सिन्हा, मोहन प्रसाद सिन्हा, स्वर्गीय उदय शंकर सिन्हा, मनोज सिन्हा, शेखर सिन्हा सहित कई लोगों ने संभाली. यहां भी हर साल पूजा के अवसर पर बड़े स्तर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के अलावा सामूहिक भोज कराए जाने का प्रचलन रहा है.

गोमिया : गोमिया में चित्रगुप्त पूजा 1990 से शुरू हुई थी. उस दौरान स्वांग वाशरी में कार्यरत श्यामसुंदर प्रसाद, बीके श्रीवास्तव, पी कुमार, बीएन प्रसाद, एनके चन्द्रा आदि ने हजारी मोड़ स्थित मनोरंजन केंद्र में चित्रगुप्त पूजा की शुरुआत की थी. इस पूजा में गोमिया, स्वांग एवं IEL क्षेत्र के लगभग 75 परिवार शामिल हुए थे. श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होने के कारण वर्ष 2005 से स्वांग ऑफिसर क्लब में चित्रगुप्त पूजा होने लगा और पूजा में अनूप कुमार सिन्हा, ललन सिन्हा, प्रशांत सिन्हा, अभय सिन्हा आदि के सराहनीय प्रयास से पूजा धूमधाम से कराया जाने लगा. इस दौरान स्वांग एवं IEL के लोग मिलजुलकर कर पूजा करने लगे, जो पूजा 2020 तक किया गया. इसके बाद स्वांग कोलियरी से कई चित्रांश परिवार के लोग सेवानिवृत्त होने लगे और वे अपने गांव चले गए. वहीं, कोरोना के कारण दो वर्ष तक पूजा स्थगित रहा. फिलहाल दो वर्षों से लोग अपने अपने घरों में ही चित्रगुप्त भगवान की पूजा अर्चना कर रहे हैं.

चंद्रपुरा : चंद्रपुरा में वर्ष 1965 से सामूहिक रूप से चित्रगुप्त पूजा मनाया जा रहा है़  1960 के करीब जब चंद्रपुरा प्लांट बनाया जा रहा था तभी यहां विभिन्न प्रदेशों से चित्रांश (कायस्थ) बिरादरी के इंजीनियर अौर अधिकारी आये थे. प्लांट बनने के बाद यहां काफी संख्या में इस वर्ग के लोग आये तथा सामूहिक रूप से आयोजन करने का निर्णय लिया. वर्तमान में हिंदी साहित्य परिषद में उस समय डीवीसी का विद्यालय चलता था जहां वर्ष 1965 में पहली बार सामूहिक पूजा की गयी़  इस पूजा के आयोजन में इंजीनियर विजय सिन्हा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. इसके अलावा जो लोग यहां सक्रिय थे उसमें जमुना प्रसाद, आरपी सिन्हा, डॉ मुनेश्वर प्रसाद सिन्हा, एएम सहाय, शत्रुजीत सहाय आदि थे. लगभग दस वर्षों तक इसी स्थान में मनाया गया. बाद में वेलफेयर सेंटर बनने पर यह पूजा वहां शुरू हुआ. पूजा में विभिन्न तरह के प्रतियोगिता एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है. जिसमें चित्रांश परिवार के बच्चे-बच्चियां इसमें भाग लेते हैं.

बोकारो थर्मल : बोकारो थर्मल में एशिया के प्रथम डीवीसी के पावर प्लांट का उद्घाटन फरवरी 1952 में किया गया था. पावर प्लांट के उद्घाटन के पहले स्थानीय चित्रांश परिवार के सदस्य अपने घरों में ही चित्रगुप्त पूजा किया करते थे़ बाद में सामूहिक रूप से चित्रगुप्त पूजन का कार्यक्रम वर्ष 1953 से डीवीसी सिविल के अभियंता पांडेय, कुंज बिहारी प्रसाद, बीपी कर्ण द्वारा शुरू किया गया था. इनके कार्यकाल में ही बोकारो थर्मल-कथारा ब्रिज का निर्माण कोनार नदी पर करवाया गया था. वर्ष 1975 में सामूहिक रूप से चित्रगुप्त पूजन का कार्यक्रम स्थानीय बेसिक स्कूल में मूर्ति बनाकर की जाने लगी और वहां दिन में ही सामूहिक पूजन, प्रीतिभोज और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होता था. वर्ष 1981 में सामूहिक पूजन का कार्यक्रम बेसिक स्कूल के बगल में स्थित त्रयोदश मंदिर में चित्रगुप्त महाराज की स्थायी प्रतिमा स्थापति कर प्रत्येक वर्ष की जाने लगी. प्रतिमा स्थापित करने में स्थानीय चित्रांशों में मुख्य अभियंता केबी सिन्हा, कुंदन प्रसाद, जीएन सिन्हा (सुरक्षा अधिकारी), उपेंद्र प्रसाद वर्मा, सुधांशु कुमार वर्मा, अरुण कुमार वर्मा, एमपी कर्ण, कपलेश्वर नारायण, कामेश्वर प्रसाद, एसएस सिन्हा, रंजीत प्रसाद सिन्हा, केसीएल कर्ण, विश्वनाथ लाल श्रीवास्तव, बिपिन बिहारी कर्ण, पीपी श्रीवास्तव, आनंद प्रकाश मेहता, अजय सिन्हा, अजीत सिन्हा का अहम योगदान रहा था. वर्ष 1981 से त्रयोदश मन्दिर में चित्रगुप्त महाराज की पूजा अर्चना की जाती है.

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रिपोर्ट : राकेश वर्मा, बेरमो, बोकारो.

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