12.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पेयजल को लेकर कोल इंडिया के एग्रीमेंट का भी नहीं होता है पालन

पेयजल को लेकर कोल इंडिया के एग्रीमेंट का भी नहीं होता है पालन

बेरमो. कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के करीब पांच दशक के बाद भी आज तक कोयला मजदूरों को उनके क्वार्टरों व धौड़ों में दो वक्त शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में प्रबंधन नाकाम रहा है. जबकि हर वर्ष सीसीएल के एक एरिया में पेयजल मद में करोड़ों रुपये का बजट आता है. कई बार गिरिडीह के तात्कालीन सांसद कोल कंसल्टेटिव कमेटी की बैठक में इस मामले को उठाते रहे हैं. कई मजदूर नेताओं को कहना है कि कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद से आज तक कोल इंडिया में पेयजल मद में जितनी राशि खर्च दिखायी गयी है, अगर सीबीआइ से उसकी निष्पक्ष जांच करायी जाये तो एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश होगा. हर वर्ष गरमी के मौसम में ही नहीं, बल्कि सालों भर सीसीएल की आवासीय कॉलोनियों सहित मजदूर धौड़ों में पेयजल के लिए हाहाकार मचता है. मजदूर धौड़ो में तो माइंस से काम कर लौटने के बाद मजदूरों को नहाने तक का पानी नसीब नहीं होता है. वहीं घर की महिलाएं किसी मेन पाइप स्थल पर जाकर अपने माथे पर डेकची लेकर ढोकर पानी लाने को विवश हैं. बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल के बीएंडके, ढोरी व कथारा एरिया की शायद ही किसी आवासीय कॉलोनी में रोजाना पाइप लाइन द्वारा जलापूर्ति की व्यवस्था है. कहीं दो दिन पर, कहीं चार दिन पर तो कहीं 10-15 दिनों पर पेयजलापूर्ति की जाती है. वहीं मजदूर धौड़ों व कई आवासीय कॉलोनी में तो आज तक पाइप लाइन व नल से जलापूर्ति व्यवस्था नहीं की गयी. एक और जहां कोल इंडिया को अरबों रुपये का मुनाफा दिलाने वाले मजदूरों को पानी नसीब नहीं होता है. वहीं बेरमो कोयलांचल में सीसीएल के सैकड़ों ऐसे क्वार्टर हैं, जिन पर दंबगों, रिटायरकर्मियों व नेताओं का कब्जा है. उनके घरों में मेन पाइप से पानी की सुविधा है.

पहले 12 गैलन पानी दिये जाने का था प्रावधान :

वेज बोर्ड-9 के पहले हर वेज बोर्ड में कोयला मजदूरों के लिए रोजाना 12 गैलन पानी दिये जाने का प्रावधान था. वेज बोर्ड-9 में कर्मियों को रोजाना 18 गैलन पानी दिये जाने का एग्रीमेंट हुआ. इसके बाद के बेज बोर्ड में भी पानी दिये जाने का एग्रीमेंट होता रहा, लेकिन आज तक इस एग्रीमेंट का पालन कोल इंडिया की किसी कंपनी व किसी एरिया में नहीं होता है. सीसीएल के सेवानिवृत्त सीएमडी गोपाल सिंह ने वर्ष 2011 में पदभार ग्रहण करने के बाद जलसंकट को प्राथमिकता देते हुए हर मजदूर को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की दिशा में ठोस पहल शुरू की. लेकिन हर एरिया में लूट-खसोट व लचर व्यवस्था ने उनकी इस मंशा को पूरा होने नहीं दिया. बताते चले कि बेरमो के तीनों एरिया में पेयजलापूर्ति का मुख्य स्रोत दामोदर नदी है. यहां तीनों एरिया में दर्जनों बंद खदानें हैं, जिसमें लाखों गैलन पानी भरा पड़ा है. अगर वाटर ट्रिटमेंट प्लांट लगाकर इस पानी का उपयोग किया जाता तो काफी हद तक जल संकट की समस्या से निपटा जा सकता था. लेकिन इन खदानों में डीवीसी के बीटीपीएस व सीटीपीएस से उत्सर्जित छाई को लाकर भरा जाता रहा है.

जेसीएसी की बैठक में मजदूर नेता उठाते रहे है जलसंकट का मामला :

सीसीएल मुख्यालय में संयुक्त सलाहकार संचालन समिति (जेसीएसी) की बैठक में समय-समय पर वेज बोर्ड के एग्रीमेंट के तहत रोजाना 18 गैलन पानी कोयला मजदूरों को उपलब्ध कराने की बात मजदूर संगठनों के नेता सीएमडी के समक्ष उठाते रहे हैं. जब सीसीएल के सीएमडी पद पर गोपाल सिंह थे, उस वक्त एटक नेता रमेंद्र कुमार व लखनलाल महतो ने जेसीएसी की बैठक में कहा था झारखंड के घाटशिला में हिंदुस्तान कॉपर में वर्करों ने खुद एक को-ऑपरेटिव बना कर एक वाटर ट्रिटमेंट प्लांट बैठाया है. यहां से 20 लीटर शुद्ध पानी का जार 15 रुपये में सप्लाई किया जाता है. सीसीएल में भी इस तरह की व्यवस्था चालू की जाये. सीएमडी ने आश्वस्त किया कि जल्द ही कंपनी के डीपी व डीएफ से बात कर इस दिशा में पहल करेंगे. इसके बाद सीएमडी ने प्रयोग के तौर पर कथारा एरिया को चुना था. बोकारो की एक निजी कंपनी पाइनियर स्टार, एक्वाफ्रेश के साथ पांच वर्षों का अनुबंध किया गया. इस कंपनी को यहां के सीसीएलकर्मियों को 90 पैसे प्रति लीटर मिनरल वाटर मुहैया कराना था. अगले चरण में सीसीएल के रजरप्पा व पिपरवार में कंपनी द्वारा पानी सप्लाई का काम शुरू करने की बात कही गयी थी. बाद में सारी योजना खटाई में पड़ गयी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें