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बोकारो : तीन माह से बंद है कारो ओसीपी से कोयला उत्पादन, कंपनी को 135 करोड का नुकसान

कारो ओसीसी में कोयला उत्पादन ठप होने से अभी तक तीन माह में लगभग पांच लाख टन कोयला उत्पादन तथा पांच लाख टन ओबी निस्तारण का कार्य प्रभावित हुआ है.

By Nutan kumari | September 12, 2023 2:04 PM
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बेरमो, राकेश वर्मा : सीसीएल के बीएंडके एरिया अंर्तगत कारो ओसीपी से गत 17 जून से कोयला उत्पादन व ओबी निस्तारण का काम पूर्ण रुप से ठप है. जिसके कारण सीसीएल को अभी तक लगभग 135 करोड का नुकसान हो चुका है. साथ ही राज्य सरकार को करीब 45 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है. माइंस खोले जाने को लेकर पिछले तीन माह से प्रबंधन लगातार कवायद कर रहा है लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है. फिलहाल, कारो माइंस के कारो बस्ती के विस्थापित-ग्रामीण व बीएंडके क्षेत्रीय प्रबंधन आमने सामने है. हालांकि विस्थापित-ग्रामीण भी दो खेमे में बंट गये हैं.

एक गुट प्रबंधन के पक्ष में है तो दूसरा प्रबंधन के विरोध में. इस बीच कुछ ग्रामीणों पर किये गये प्रबंधकीय कार्रवाई से क्षुब्ध विस्थापित-ग्रामीणों ने गोमिया के पूर्व विधायक योगेंद्र महतो से मिलकर उनसे न्याय की गुहार लगाई. जिसके बाद गत 7 सितंबर को महतो ने कारो माइंस आकर निरीक्षण किया तथा विस्थापित-ग्रामीणों की समस्या से रुबरु हुए. इसके बाद 10 सितंबर को बेरमो विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह ने प्रबंधन व प्रशासन की उपस्थिति में विस्थापित-ग्रामीणों से बात की. जिसमें तय हुआ कि 11 सितंबर को कारो बस्ती स्थित पुराने मंदिर का विर्सजन कर दिया जायेगा. लेकिन आज दिनभर तानातानी की स्थिति बनी रही और अंतत: प्रबंधन को मंदिर विसर्जन में सफलता नहीं मिली.

अबतक पांच लाख कोयला उत्पादन प्रभावित

कारो ओसीसी में कोयला उत्पादन ठप होने से अभी तक तीन माह में लगभग पांच लाख टन कोयला उत्पादन तथा पांच लाख टन ओबी निस्तारण का कार्य प्रभावित हुआ है. मालूम हो कि माइंस के बंद होने से पूर्व रोजाना पांच से साढे पांच हजार मैट्रिक टन कोयला तथा इतना ही ओबी निस्तारण किया जा रहा था. चालू वित्तीय वर्ष में परियोजना का उत्पादन लक्ष्य 30 लाख टन निर्धारित है. काम बंद हो जाने के बाद यहां काम कर रही आउटसोर्स कंपनी बेरमो की बीकेबी ने कारो माइंस से अपने सभी मशीनों को गत 17 जून से समेट लिया था. जिसमें माइंस में कोयला उत्पादन व ओबी निस्तारण के कार्य में लगी 4 एक्सकेभेटर (पोकलेन), 20 टीपर, 20 हाइवा, 02 डोजर, 02 ग्रेडर एवं 02 सरफेस माइनर मशीन को हटा लिया गया था.

वहीं, काम बंद हो जाने के बाद आउटसोर्स कंपनी बीकेबी के मातहत कार्यरत लगभग 180 ऑपरेटर व चालक काम से बैठ गये. बीएंडके क्षेत्रीय प्रबंधन के अनुसार कारो माइंस में अब काम करने के लिए जगह नही है. फिलहाल अगर मंदिर भी शिफ्ट हो जाता तो आगामी 6-7 माह तक कोल प्रोडक्शन व ओबी रिमूवल का काम चलता. बाद में फिर कारो बस्ती के शिफ्ट होने के बाद कार्य को गति मिलती. मालूम हो कि आउटसोर्स कंपनी बीकेबी को कारो परियोजना में सात साल के लिए कोयला उत्पादन व ओबी निस्तारण का काम मिला है. सात साल में उक्त कंपनी को 21 मिलियन टन कोयला तथा 21 मिलियन घन मीटर टन ओबी का निस्तारण करना है.

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शिफ्टिंग समस्या ने बंदी के कगार पर ला खड़ा किया कारो परियोजना को

हाल के कुछ वर्षो में शिफ्टिंग समस्या ने कारो परियोजना का उत्पादन ग्राफ को काफी नीचे पायदान पर लाकर खडा कर दिया है. पिछले एक-दो साल से कारो माइंस का विस्तारीकरण में शिफ्टिंग समस्या ही मूलत: आडे आ रही है. प्रबंधन के अनुसार पूरा कारो बस्ती गांव शफ्टि हो जाने के बाद यहां से लगभग 40 मिलियन टन कोयला मिलेगा. जबकि कारो परियोजना के क्वायरी-टू में करीब 60 मिलियन टन कोल रिजर्व है. यह पूरा एरिया फोरेस्ट लैंड है. इसका वन एवं पर्यावरण मंत्रालय,भारत सरकार से स्टेज-वन क्लीयर हो गया है. अब स्टेज दो क्लीयर होना है.

नौ अगस्त को कोयला मंत्रालय से मिला था एप्रुवल

नौ अगस्त को कारो ओसीपी के कारो बस्ती के नये पुर्नवास स्थल (आरआरसाइट) को कोयला मंत्रालय का एप्रुवल मिला था. जिसके तहत पुर्नवास स्थल जो 12.897 एकड कोल बियरिंग लैंड है उसके आरआर साइट के दो लोकेशन में एक स्लरी पौंड करगली वाशरी के कुल 7.847 एकड तथा दूसरा डीआएंडआरडी के घुटियाटांड साइट के 5.050 एकड में कारो ओसीपी के कारो बस्ती के ग्रामीणों को पुर्नवास किये जाने पर सहमति प्रदान की गई है.

कारो बस्ती में है लगभग 480 पीएएफ

कारो ओसीपी के कारो बस्ती में करीब 490 प्रोजेक्ट एफेक्टेड फैमली (पीएएफ) है. प्रबंधन के अनुसार इनमें से लगभग 240 परियोजना प्रभावित परिवार ने जमीन के बदले जमीन के बजाय जमीन के एवज में पैसा लिये जाने का ऑप्शन दिया है. शेष लगभग 240 परिवार में कुछ लोग इधर-उधर बस गये है. करीब 200 परिवार नये पुर्नवास स्थल पर जाना चाहते है. ये लोग मंत्रालय से ए्रुवल मिलने का इंतजार कर रहे थे. इस नये पुर्नवास स्थल पर बसने वाले एक परिवार के एक व्यस्क जिनकी उम्र 18 साल हो गई है, उस परिवार में प्रति व्यक्ति को पांच डसमिल जमीन का प्रबंधन नये पुर्नवास स्थल पर प्लोंटिंग करके देगी. प्रभावित परिवार के घर का नापी व सर्वे का काम पूरा हो चुका है. साथ ही जो व्यक्ति इस जगह पर शफ्टि नही होना चाहते है उन 18 साल से ऊपर प्रति व्यस्क को 6 लाख रुपये दिये जायेंगे.

नये पुर्नवास स्थल पर फिलहाल मंदिर का निर्माण कार्य शुरु है. इसके अलावा यहां बिजली, पानी, सड़क, तालाब आदि की सुविधा मुहैया करायी जायेगी. दो सामुदायिक भवन बनाना है. हाल के कुछ माह में क्षेत्रीय प्रबंधन ने कारो बस्ती करीब आधा दर्जन ग्रामीणों को आवास की क्षतिपूर्ती (कंपनसेशन) राशि का चेक भुगतान भी कर दिया है. इसके अलावा माइंस विस्तारीकरण के क्रम में सामुदायिक भवन के शिफ्टिंग के एवज में 11 लाख 62 हजार 960 रुपया तथा विवाह मंडप के शिफ्टिंग के एवज में 6 लाख 23 हजार 138 रुपये उपायुक्त कार्यालय, बोकारो में जमा कराया है.

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