BOKARO NEWS : कारो ओसीपी में मात्र एक-डेढ़ माह के लिए बची है कोयला उत्पादन की जगह
BOKARO NEWS : शिफ्टिंग समस्या ने बेरमो कारो ओसीपी को उत्पादन ग्राफ के मामले में नीचे के पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया है. फिलहाल एक से डेढ़ माह के लिए ही कोयला उत्पादन की जगह बची है.
राकेशी वर्मा, बेरमो : शिफ्टिंग समस्या ने कोल इंडिया की मेगा प्रोजेक्ट कारो ओसीपी को उत्पादन ग्राफ के मामले में नीचे के पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया है. माइंस विस्तारीकरण में शिफ्टिंग समस्या आड़े आ रही है. प्रबंधन के अनुसार पूरा कारो बस्ती गांव शिफ्ट हो जाने के बाद यहां से लगभग 40 मिलियन टन कोयला मिलेगा. जबकि कारो परियोजना के क्वायरी-टू में करीब 60 मिलियन टन कोल रिजर्व है. यह पूरा एरिया फॉरेस्ट लैंड है. इसका वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार से स्टेज-वन के बाद स्टेज दो भी क्लीयर हो गया है. प्रबंधन के अनुसार फिलहाल कारो माइंस में अगले एक से डेढ़ माह के लिए ही कोयला उत्पादन की जगह बची है. इसके बाद माइंस से कोयला उत्पादन व ओबी निस्तारण का काम एक बार फिर बंद हो सकता है. वर्तमान में रोजाना 12-13 हजार टन कोयला उत्पादन किया जा रहा है. फिलहाल माइंस विस्तारीकरण के लिए कम से कम छह घरों को खाली कराना जरूरी है. इसके बाद लगभग 15 लाख टन कोयला मिल जायेगा, जिसके एक साल तक काम चलेगा. मालूम हो कि आउटसोर्स कंपनी बीकेबी को कारो परियोजना में सात साल के लिए कोयला उत्पादन व ओबी निस्तारण का काम मिला है. इसमें से चार साल का काम पूरा हो गया है. इन चार सालों में कंपनी ने पांच मिलियन ओबी तथा नौ मिलियन कोयला निकाला है. यानि चार साल में ओबी निस्तारण व कोयला उत्पादन 50 फीसदी से भी कम हुआ है. कंपनी प्रबंधन के अनुसार जगह नहीं मिलने के कारण काफी समय तक उत्पादन प्रभावित हुआ है.
नये पुनर्वास स्थल को मिला था एप्रुवल
मालूम हो कि कारो बस्ती के नये पुनर्वास स्थल (आरआर साइट) को कोयला मंत्रालय का एप्रुवल मिला था. जिसके तहत पुनर्वास स्थल जो 12.897 एकड कोल बियरिंग लैंड है, उसके आरआर साइट के दो लोकेशन में एक स्लरी पौंड करगली वाशरी के कुल 7.847 एकड़ तथा दूसरा डीआरएंडआरडी के घुटियाटांड़ साइट के 5.050 एकड में कारो ओसीपी के कारो बस्ती के ग्रामीणों को पुनर्वास किये जाने पर सहमति प्रदान की गयी है.
कारो बस्ती में है लगभग 480 पीएएफ
कारो बस्ती में करीब 490 प्रोजेक्ट एफेक्टेड फैमली (पीएएफ) हैं. प्रबंधन के अनुसार इनमें से लगभग 240 परियोजना प्रभावित परिवार ने जमीन के बदले जमीन के बजाय जमीन के एवज में पैसा लिये जाने का ऑप्शन दिया है. शेष लगभग 240 परिवार में कुछ लोग इधर-उधर बस गये हैं. करीब 200 परिवार नये पुनर्वास स्थल पर जाना चाहते हैं. नये पुनर्वास स्थल में फिलहाल मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो गया है. इसके अलावा यहां बिजली, पानी, सड़क, तालाब आदि की सुविधा मुहैया करायी जायेगी. क्षेत्रीय प्रबंधन ने कारो बस्ती के करीब आधा दर्जन ग्रामीणों को आवास की क्षतिपूर्ति (कंपनसेशन) राशि का चेक भुगतान भी कर दिया है. इसके अलावा माइंस विस्तारीकरण के क्रम में सामुदायिक भवन के शिफ्टिंग के एवज में 11 लाख 62 हजार 960 रुपया तथा विवाह मंडप के शिफ्टिंग के एवज में 6 लाख 23 हजार 138 रुपये उपायुक्त कार्यालय, बोकारो में काफी पहले जमा करा दिया गया है.कारो ओसीपी के हित में है चार प्रमुख समस्याओं का निराकरण
ओसीपी की चार प्रमुख समस्याओं का निराकरण करने में प्रबंधन विफल साबित हो रहा है, जबकि माइंस विस्तारीकरण के हित में इन समस्याओं का निराकरण जरूरी है. जिसमें मुख्य रूप से विस्थापित अजय गंझू को दोबारा से नौकरी में पदस्थापना देना, विस्थापित संजय गंझू व मेघलाव गंझू को नौकरी देना, विस्थापित अशोक महतो के परिवार को तीन नौकरी देना. कारो के खुदी गंझू और मोदी गंझू के परिवार का वंशावली सत्यापन के बाद उनके परिवार को अधिकार देना आदि शामिल हैं. गत 29 जून को सीसीएल के सीएमडी बीएंडके एरिया के दौरे के क्रम में कारो सीसीएल के बीएंडके क्षेत्र का दौरे पर आये सीएमडी नीलेंदु कुमार सिंह कारो देवी मंदिर पूजा करने पहुंचे. जहां कारो के विस्थापितों ने जमीन के बदले नौकरी मुआवजा पुनर्वास नहीं दिये जाने के बावजूद उनकी जमीन पर कोयला उत्पादन किये जाने पर विरोध जताया था. कहा कि वाजिब अधिकार नहीं मिलेगा तो माइंस नहीं चलने देंगे. सीएमडी ने कहा था कि विस्थापितों को वाजिब हक देने में पूरा सहयोग करूंगा. सीएमडी के बातचीत से असंतोष व्यक्त करते हुए विस्थापितों ने कहा था कि मांगों को लेकर 30 जून से कारो माइंस बंद करेंगे. तय तिथि को विस्थापितों ने कारो माइंस को बंद भी कर दिया. अब सवाल उठता है कि पिछले तीन साल से बंद, वार्ता व आश्वासन के मकड़जाल में आखिर कब तक विस्थापित ग्रामीण फंसे रहेंगे. पिछले तीन साल से इन विस्थापित समस्याओं के कारण कारो ओसीपी का उत्पादन-उत्पाकता का ग्राफ काफी गिरा है. अगर चालू वित्तीय वर्ष में भी पूर्ववत स्थिति बनी रही तो पुन: इस वर्ष में कोयला उत्पादन, ओबी निस्तारण के अलावा कोल डिस्पैच पर गहरा असर पड़ेगा. पिछले तीन-चार साल से कारो के विस्थापित अपने हक के लिए लगातार आंदोलनरत है. कारो माइंस के विस्तारीकरण व शिफ्टिंग में बाधक बनने वाले कई विस्थापितों पर भी प्रबंधन का डंडा भी समय-समय पर चलता रहा.क्या कहना है परियोजना पदाधिकारी का
कारो ओसीपी के परियोजना पदाधिकारी एसके सिन्हा ने कहा कि माइंस विस्तारीकरण के लिए फिलहाल छह घरों को खाली कराना है, जिसके लिए प्रबंधकीय प्रयास जारी है. इन घरों को खाली होने के बाद 15 लाख टन कोयला मिलेगा. इधर स्टेज दो का क्लीयरेंस मिलने के बाद अन्य प्रक्रिया चल रही है. माइंस में फिलहाल एक से डेढ़ माह तक कोयला उत्पादन की जगह है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है