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Bokaro News : 1.31 करोड़ रुपये से बने टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स का नहीं हो सका कोई उपयोग

बेरमो अनुमंडल के जारंगडीह स्थित ढोरी माता तीर्थालय परिसर में 1.31 करोड़ रुपये से बने दो मंजिला टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स का उपयोग इसके उद्घाटन के एक दशक बाद बाद भी नहीं हो पाया.

राकेश वर्मा, बेरमो : बेरमो अनुमंडल के जारंगडीह स्थित ढोरी माता तीर्थालय परिसर में 1.31 करोड़ रुपये से बने दो मंजिला टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स का उपयोग इसके उद्घाटन के एक दशक बाद बाद भी नहीं हो पाया. यह अब जर्जर हो गया है. ढोरी माता तीर्थालय समिति का कहना है कि यह भवन श्रद्धालुओं के लिए उपयोग के लायक शुरू से नहीं रहा. यहां शौचालय और पानी की व्यवस्था भी नहीं है. अब तो इसके कई दरवाजे और खिड़कियां टूट गये हैं. भवन के अंदर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. सीढ़ी में कचड़े का ढेर लगा है.

इस भवन में 12 बड़े-बड़े कमरों के अलावा दो बड़े हॉल हैं. सभी कमरों के साथ शौचालय हैं. मालूम हो कि विश्व प्रसिद्ध इस तीर्थालय में हर वर्ष अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में भव्य रूप से ढोरी माता का वार्षिकोत्सव समारोह होता है. इसमें देश-विदेश से ईसाई समुदाय के लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. इनके ठहरने के लिए ढोरी माता तीर्थालय परिसर में कई स्थानों पर अस्थायी टेंट बनाये जाते हैं. तीर्थालय परिसर के संत अंथोनी मध्य व उच्च विद्यालय में भी श्रद्धालु ठहरते हैं. काफी संख्या में लोगों को जारंगडीह, बेरमो, बोकारो थर्मल व गोमिया रेलवे स्टेशन परिसर में ठहरना पड़ता है. श्रद्धालुओं की परेशानी को देखते हुए पर्यटन विभाग, झारखंड सरकार द्वारा यह टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना बनायी गयी. तत्कालीन वित्त, वाणिज्यकर, ऊर्जा, स्वास्थ्य एवं संसदीय कार्य मंत्री स्व राजेंद्र प्रसाद सिंह तथा गोमिया विधायक सह पूर्व मंत्री माधवलाल सिंह ने संयुक्त रूप से 26 अगस्त 2014 को इसका उद्घाटन किया था.

संवेदक ने आधा-अधूरा काम किया : विल्सन

इस भवन का निर्माण गोमिया के संवेदक मेसर्स गणपत यादव ने किया था. ढोरी माता तीर्थालय कमेटी से जुड़े आरसीएमयू के कथारा एरिया सचिव विल्सन फ्रांसिस कहते हैं कि उस वक्त संवेदक ने आधा-अधूरा काम कर 2014 में समिति के फादर को भवन की चाबी दे दी. जबकि नियमत: संवेदक को पूर्ण निर्माण कर ग्रामीण विकास विभाग को इसे हैंड ओवर करना चाहिए था. खिड़कियों में घटिया फ्रेम लगा था, जो तेज हवा में उड़ गये. कच्ची लकड़ी के दरवाजे लगाये जाने के कारण अधिकतर टेढ़े हो गये. सेनेटरी पाइप व पानी का कनेक्शन नहीं दिया गया. भवन के अंदर लाइट, पंखे और वायरिंग जहां-तहां से कबड़ गये. भवन के बाहर चारों ओर लगी स्ट्रीट लाइट उद्घाटन के बाद दो माह भी नहीं चली. भवन के ऊपर टंकी लगाये गये थे. इसमें से दो चोरी हो गये. एक टंकी को समिति ने सुरक्षित रखवा दिया.

इधर, संवेदक का कहना है कि निर्माण में गुणवत्ता का ख्याल रखा गया था. ग्रामीण विकास विभाग, विशेष प्रमंडल के निर्देश पर ही इस भवन को ढोरी माता तीर्थालय समिति को हैंड ओवर किया था. तीर्थालय के फादर ने इसका पत्र भी दिया था. इधर, पूर्व में ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता से पूछे जाने पर उनका कहना था कि मुझे इस भवन के बारे में जानकारी नहीं है. विभाग से पता करने के बाद ही कुछ बता पायेंगे.

माइंस विस्तार के लिए शिफ्ट होना है तीर्थालय

मालूम हो कि सीसीएल कथारा प्रक्षेत्र अंतर्गत जारंगडीह परियोजना की माइंस के विस्तार के लिए ढोरी माता तीर्थालय सहित तीर्थालय परिसर में बने संत अंथोनी उच्च व मध्य विद्यालय तथा खेल मैदान के अंदर बने स्टेज को शिफ्ट किया जाना है. इसके अलावा तीर्थालय परिसर के गेस्ट हाउस, सिस्टर के करीब 12 कमरें, शौचालय कॉम्प्लेक्स, बड़ा रसोईघर, यात्रियों के ठहरने के लिए बने लॉज, प्रार्थना भवन, डिस्पैंसरी को भी शिफ्ट किया जाना है. इसके लिए जारंगडीह 16 नंबर में पुराना फुटबॉल मैदान के समीप करीब 28 करोड़ रुपये से नया ढोरी माता तीर्थालय का निर्माण सीसीएल करवा रहा है. जारंगडीह- कथारा मुख्य पीडब्ल्यूडी सड़क से 50 मीटर के बाद ही माइनिंग किया जाना है. ऐसी स्थिति में यह टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स बच जायेगा, क्योंकि यह मुख्य सड़क से सटा हुआ है. स्थानीय लोगों के अनुसार अभी भी विभाग इस पर गंभीरता से पहल करे तो इस भवन का उपयोग श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए किया जा सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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