Consumers and farmers, electronic weighing machines, रांची : बटखरेवाले पारंपरिक तराजू की जगह अब इलेक्ट्रॉनिक वेइंग मशीन (इलेक्ट्रॉनिक तराजू) ने ले ली है. लोगों को लगता है कि इसमें कम वजन की गुंजाइश नहीं है. हालांकि, मुनाफाखोरों (profiteers) ने इसका रास्ता भी निकाल लिया है. वे इलेक्ट्रॉनिक वेइंग मशीन (electronic weighing machines ) में छेड़छाड़ कर बड़ी आसानी से किसी भी सामान का वजन कम और ज्यादा दिखा देते हैं. बीते शुक्रवार को बेड़ो सब्जी बाजार में ऐसा ही एक मामला सामने आया था. एक थोक सब्जी विक्रेता ने एक किसान की 60 किलो मटर को तौल में 42 किलो कर दिया, इसके बाद जम कर हंगामा हुआ. एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भी हुई. प्रभात खबर ने इस हेराफेरी की पड़ताल करने की कोशिश की.
माप-तौल में गड़बड़ी पर एक साल की जेल हो सकती है. माप-तौल में गड़बड़ी करनेवाले के लिए एक साल की जेल का दंड निर्धारित है. कानूनन ऐसे मामले में सुलह नहीं हो सकती. राज्य माप-तौल नियंत्रक केसी चौधरी ने बताया कि प्रावधान के तहत बटखरे को हर दो साल और इलेक्ट्रॉनिक मशीन को प्रति एक साल में इंस्पेक्टर माप तौल कार्यालय से सत्यापित व सील कराना है. इसके बाद ही कोई व्यापारी या विक्रेता इसका इस्तेमाल कर सकता है. अगर मशीन पर सील न हो या सत्यापन की अवधि लैप्स कर गयी हो, तो यह दंडात्मक मामला है.
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मापतौल इकाई में मैन पावर की कमी है. माप-तौल जैसे जरूरी महकमे में कार्यबल की कमी है. इंस्पेक्टर के कुल सृजित 37 पदों के विरुद्ध आठ इंस्पेक्टर ही कार्यरत हैं. इसका सीधा असर तौल मशीन, बटखरा, मीटर व अन्य माप उपकरणों के सत्यापन व इसकी जांच पर पड़ता है. बाजार में असत्यापित बटखरों व इलेक्ट्रॉनिक वेइंग मशीन की भरमार है. दुकानदार ऐसी मशीनों को हाथ से ठोंक कर संचालित करते हैं. ऐसी मशीनें शायद ही सही वजन बताती हैं. इससे उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी की संभावना बनी रहती है. खाद्य आपूर्ति विभाग के साथ संबद्ध मापतौल इकाई में क्लर्क के 41 पदों के विरुद्ध 12 तथा राजपत्रित कर्मचारियों के 12 पदों के विरुद्ध सिर्फ पांच लोग कार्यरत हैं. इससे इकाई का काम-काज प्रभावित होता है. गौरतलब है कि इसी इकाई के जिम्मे राज्य के सभी पेट्रोल पंप व वेइंग ब्रिज सहित मापतौल से जुड़े सभी उपकरणों की निगरानी का काम है.
इलेक्ट्रॉनिक वेइंग मशीन में रिमोट से वजन को कम ज्यादा किया जा सकता है. इलेक्ट्रॉनिक्स के जानकार बताते हैं कि मशीन की मेन सर्किट में छेड़छाड़ करके यह गड़बड़ी की जाती है. इसमें छेड़छाड़ करके एक चिप लगा दी जाती है. यह किसी भी वजन को घटा कर या बढ़ा कर दिखा सकता है. चिप लगाने के बाद रिमोट से इसे कंट्रोल किया जाता है. नॉन ब्रांडेड कंपनियोंवाली मशीन में ही यह संभव है. ब्रांडेड में छेड़छाड़ करना मुश्किल है.
Posted By : Guru Swarup Mishra