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Coronavirus In Jharkhand : बोकारो में 185 प्राइवेट हॉस्पिटल, लेकिन किसी में नहीं होता कोरोना का इलाज, पढ़िए ये रिपोर्ट

Coronavirus In Jharkhand : बोकारो (रंजीत कुमार) : बोकारो जिले में 185 निबंधित निजी अस्पताल व नर्सिंग होम हैं. इनमें करीब 310 डॉक्टर एवं 700 स्वास्थकर्मी हैं. सामान्य दिनों में अधिकतर मरीज इन्हीं अस्पतालों व नर्सिंग होम की ओर रूख करते हैं. आर्थिक रूप से कमजोर लोग ही सरकारी अस्पतालों में जाते हैं, लेकिन कोरोना काल में जिले में एक भी प्राइवेट हॉस्पिटल व नर्सिंग होम में अभी तक कोरोना का इलाज शुरू नहीं हो सका है. 

Coronavirus In Jharkhand : बोकारो (रंजीत कुमार) : बोकारो जिले में 185 निबंधित निजी अस्पताल व नर्सिंग होम हैं. इनमें करीब 310 डॉक्टर एवं 700 स्वास्थकर्मी हैं. सामान्य दिनों में अधिकतर मरीज इन्हीं अस्पतालों व नर्सिंग होम की ओर रूख करते हैं. आर्थिक रूप से कमजोर लोग ही सरकारी अस्पतालों में जाते हैं, लेकिन कोरोना काल में जिले में एक भी प्राइवेट हॉस्पिटल व नर्सिंग होम में अभी तक कोरोना का इलाज शुरू नहीं हो सका है.

कोरोना पीड़ित या तो सरकारी अस्पताल या बोकारो जेनरल अस्पताल में जा रहे हैं या दूसरे शहरों की ओर रूख कर रहे हैं. जिला प्रशासन ने निजी अस्पतालों को कोरोना के इलाज की अनुमति नहीं दी है. अस्पताल की जांच आइसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के मापदंड के अनुसार करने की बात कही जा रही है. बोकारो के अधिकतर गंभीर कोरोना संक्रमित मरीज रांची के निजी अस्पताल में इलाज कराने को मजबूर हैं.

बोकारो में तो आलम यह है कि कोरोना संक्रमित मरीजों को स्वास्थ्य विभाग अब अस्पताल में एडमिट भी नहीं करा रहा है. संक्रमित मरीजों को घर में ही आइसोलेशन में रहने को कहा जा रहा है. संक्रमित के घर के आसपास घेराबंदी भी नहीं की जा रही है. 15 दिन पूरा होने पर मरीज को स्वत: ठीक घोषित कर दिया जा रहा है. घरों में रहने वाले मरीज 15 दिन बाद निगेटिव हैं या पॉजिटिव जांच के लिए स्वाब सैंपल तक नहीं लिया जा रहा है.

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घर में रहनेवाले मरीज के स्वाब जांच के लिए सैंपल नहीं लेने से संक्रमित मरीज के घर के सदस्य भी परेशान हैं. बोकारो में फिलहाल 1410 एक्टिव (होम आइसोलेशन व अस्पताल में इलाजरत) मरीज हैं. स्वास्थ्य विभाग एक्टिव मरीजों की संख्या केवल 435 ही मान रहा है. घर में रहने वालों को 15 दिन बाद ठीक बताया जा रहा है.

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सिविल सर्जन डॉ एके पाठक ने बताया कि किसी भी अस्पताल को कोई गाइडलाइन नहीं दिया गया है. न ही कोरोना संक्रमित व्यक्ति के इलाज के लिए दिशा निर्देश जारी किया गया है. जिले में संचालित सभी 185 निबंधन निजी अस्पताल व निजी नर्सिंग होम और 36 आयुष्मान भारत योजना से जुड़े निजी अस्पतालों को सभी मरीज के इलाज का निर्देश दिया गया है. यदि किसी मरीज में कोरोना संक्रमण का लक्षण मिले, तो सूचित करने को कहा गया है.

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उन्होंने कहा कि संसाधन के अभाव में इलाज से संक्रमित व्यक्ति को परेशानी हो सकती है. इस कारण स्वास्थ विभाग द्वारा बनाये गये कोविड 19 वार्ड में ही व्यक्ति का इलाज किया जा रहा है. घरों में रहने वाले संक्रमित मरीजों को 15 दिनों के बाद मुक्त कर दिया जा रहा है. अधिक परेशानी नहीं होने पर उन्हें 15 दिन बाद आइसोलेशन से मुक्त माना जाता है. अधिक परेशानी होने पर सूचना मिलने पर कोविड 19 अस्पताल में एडमिट कराया जा रहा है. फिलहाल जिले में 435 एक्टिव मरीज है. होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीज 15 दिन बाद ठीक हो जाते हैं. इसलिए समय के अनुसार वे मुक्त माने जाते हैं.

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आइएमए चास की अध्यक्ष डॉ मीता सिन्हा कहती हैं कि निजी अस्पतालों को सरकार को विशेष व्यवस्था उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि निजी अस्पताल कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में सहभागी बन सकें. इससे न केवल मरीजों को राहत मिलेगी, बल्कि स्वास्थ्य विभाग को भी सहयोग मिलेगा. समय बीत रहा है. मरीज परेशान हो रहे हैं.

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झासा उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के कार्यकारिणी सदस्य डॉ रणधीर कुमार सिंह कहते हैं कि कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस संकेत को सभी को समझने की जरूरत है. निजी अस्पतालों को संसाधन से लैस रखने की जरूरत है. गंभीर मरीजों को बाहर जाने में परेशानी हो रही है. स्थानीय स्तर पर निजी अस्पतालों में इलाज शुरू होना चाहिए.

चास स्थित केएम मेमोरियल अस्पताल के जीएम सह पीआरओ बीएन बनर्जी का कहना है कि कोविड 19 से संक्रमित लोगों के इलाज से संबंधित कोई दिशा निर्देश नहीं मिला है. अनुमति मिलने के बाद ही इलाज शुरू किया जा सकता है. फिलहाल 10 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है.

को-ऑपरेटिव कॉलोनी स्थित कृष्णा नर्सिंग होम के संचालक जितेंद्र कुमार का कहना है कि हर मरीज का अस्पताल में इलाज किया जा रहा है. कोरोना संक्रमितों के इलाज से संबंधित किसी भी तरह का कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है. जिला प्रशासन व स्वास्थ विभाग ने अब तक कोई निर्देश जारी नहीं किया है.

झारखंड के निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों का इलाज करना होगा. वे अपने मरीज को कोरोना संक्रमित होने के बाद रेफर नहीं कर सकते है. स्वास्थ्य विभाग ने जून में ही निजी अस्पतालों के लिए नया स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी किया था. राज्य के सभी सिविल सर्जनों को इसकी जानकारी सभी निजी अस्पतालों को देने व उसका अनुपालन कराने का निर्देश दिया गया था.

एसओपी में लिखा गया है कि प्राय: देखा जा रहा है कि निजी अस्पताल कोविड 19 के मरीजों के इलाज के लिए इच्छुक नहीं है. जैसे ही मरीज पॉजिटिव पाये जाते हैं, उन्हें राज्य के सार्वजनिक अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है. अस्पताल मरीजों की पसंद के अस्पताल की अनदेखी कर उनके अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं. कई बार ऐसा देखा जाता है कि कोविड 19 के संदिग्ध मरीज को जिला प्रशासन को सूचना दिये बिना ही डिस्चार्ज कर दिया जाता है.

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– निजी अस्पतालों को अपने यहां आइसोलेशन वार्ड बनाना होगा. 30 से 50 बेड के अस्पताल को पांच बेड व 50 बेड से अधिक के अस्पताल को 10 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाना होगा. कम से कम दो वेंटिलेटर, पीपीई किट और एन 95 मास्क की व्यवस्था करनी होगी

– मरीज किसी अन्य बीमारी के इलाज के लिए भर्ती हुआ है और कोरोना संक्रमित पाया जाता है, तब भी उसका इलाज उसी अस्पताल में होगा.

– यदि किसी मरीज को रेफर करना जरूरी है, तो अस्पताल प्रबंधन को आवश्यक कारण बनाना होगा.

– आयुष्मान भारत में सूचीबद्ध अस्पतालों को हर हाल में आइसोलेशन वार्ड बनाना होगा.

– किसी मरीज को यदि सांस की तकलीफ है, तो तत्काल कोविड 19 जांच के लिए कहें. उसकी जानकारी जिला प्रशासन को दें.

– ओपीडी में अलग से स्क्रीनिंग की व्यवस्था हो. कोई मरीज पॉजिटिव पाया जाता है या निगेटिव. इसकी जानकारी जिला प्रशासन को दें.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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