बोकारो : केंद्र व राज्य सरकार की एडवाइजरी के बाद कोरोना संक्रमण से जंग में सोशल डिस्टेंसिंग पर फोकस करते हुए बोकारो इस्पात संयंत्र भी बड़े कदम उठा सकता है. नॉन वर्क्स एरिया में रोस्टर प्लान के बाद अब संयंत्र के भीतर मैन पावर रिड्यूज करने की तैयारी है. इसके लिए प्रोड्क्शन डाउन पर मंथन चल रहा है. वैसे भी देश व राज्यों की सीमा सील करने व परिवहन सेवाएं ठप होने के बाद रॉ मटेरियल की कमी होने लगी है. इसलिए उत्पादन कटौती पर विचार हो रहा है.
लगातार बदलते हालात को देखते हुए अब सोशल डिस्टेंसिंग (सामाजिक दूरियां) के माध्यम से कोरोना संक्रमण के चैनल को तोड़ने पर फोकस किया जा रहा है. बोकारो इस्पात संयंत्र में लगभग 20 हजार से अधिक कार्मिक व ठेका श्रमिक कुल चार शिफ्ट में कार्यरत हैं. इस लिहाज से यहां भी कोरोना संक्रमण का खतरा कम नहीं है. इसे देखते हुए सेल-बीएसएल प्रबंधन भी अब बड़े निर्णय लेने वाला है. हर पहलू पर चर्चा व लगातार मॉनीटरिंग हो रही है.
सेल प्रबंधन ने कोयला, आयरन ओर सहित अन्य रॉ-मटेरियल की कमी व ट्रांसपोर्ट की सुचारु व्यवस्था नहीं होने की वजह से स्टॉक एक्सचेंज को उत्पादन में कटौती की विधिवत सूचना दे दी है. इससे यह संभावना और प्रबल हो गयी है कि बीएसएल-सेल में मैन पावर की कटौती होगा. विश्वव्यापी महामारी से निबटने के लिए बीएसएल सहित सेल के सभी यूनिटों में केंद्र सरकार व स्थानीय राज्य सरकार की एडवाइजरी पर अमल किया जा रहा है.
महामारी के रूप में फैल रहे कोरोना की वजह से देश व राज्यों की सीमाएं सील कर दी गयी हैं. इसका असर परिवहन सेवाओं पर भी पड़ा है. बोकारो स्टील प्लांट में आने वाले कोक सहित रॉ मटेरियल्स की सप्लाई भी इससे अब प्रभावित होने लगी है. हालांकि, बीएसएल के पास वर्तमान में रॉ मटेरियल का पर्याप्त स्टॉक है. लेकिन, यही स्थिति बनी रही, तो आगे दिक्कत आ सकती है. इसे देखते हुए सेल-बीएसएल प्रबंधन के माथे पर बल पड़ने लगा है.
रॉ मटेरियल की कमी के चलते प्रोडक्शन डाउन करना सेल-बीएसएल की विवशता हो जायेगी. वहीं, फिलहाल की स्थिति में कर्मचारियों के बीच सामाजिक दूरियां लाने के लिए उनकी संख्या भी कम से कम करनी है. इसे देखते हुए उच्च प्रबंधन ने मंथन का दौर शुरू कर दिया है. जानकारी के अनुसार, वर्तमान व भविष्य की स्थिति को देखते हुए उच्च प्रबंधन सभी पहलुओं व विकल्पों पर विचार कर रहा है. इसके लिए बाकायदा एक उच्चस्तरीय कमेटी भी बनायी गयी है.
बीएसएल संयंत्र प्रबंधन रॉ मटेरियल की कमी की स्थिति में एक-दो ब्लास्ट फर्नेस बंद कर सकता है. यही हाल मिल का भी हो सकता है. कोक-ओवन, पावर प्लांट को हर हाल में चालू रखना मजबूरी है. यह सारी व्यवस्थाएं हालात पर ही निर्भर करेंगी. इसके लिए एक कमेटी भी बनायी गयी है, जिसमें मान्यताप्राप्त यूनियन को भी प्रतिनिधित्व दिया गया है. यह कमेटी देश व राज्य में हर दिन उपजे हालात व मिलने वाले एडवाइजरी पर संयंत्र के लिहाज से समीक्षा करेगी.
कोरोना वायरस संकट के बीच घरेलू इस्पात कंपनियां अपना उत्पादन घटा सकती हैं. इसमें निजी व सार्वजनिक क्षेत्र दोनों की कंपनियां शामिल हैं. निजी क्षेत्र की जेएसडब्ल्यू स्टील पहले ही अपने संयंत्रों में उत्पादन घटाने का निर्णय कर चुकी है. देशव्यापी लॉकडाउन से इस्पात विनिर्माण में लगने वाले कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित हुई है. उद्योग से जुड़े कर्मचारियों को अपने कार्यालय पहुंचने में दिक्कत आ रही है. इसलिए उत्पादन कटौती पर विचार किया जा रहा है.
देशव्यापी लॉक डाउन में विनिर्माता जब तक उत्पादन करते रहेंगे, तब तक उत्पाद का ढेर लगता रहेगा. वह भट्ठियों को बंद नहीं कर सकते हैं, क्योंकि उनका लगातार काम करते रहना जरूरी है. लेकिन, वह उत्पादन को घटा सकते हैं. इस्पात कारखानों में लगी भट्ठियां 30 मीटर ऊंची होती हैं, जो विशेष तरह की ईंटों से बनी होती हैं. इसका तापमान 2,000 डिग्री सेल्सियस तक होता है. यदि इन्हें एक बार बंद कर दिया गया, तो इन्हें दोबारा गर्म करने में महीनों लग जायेंगे.
बीएसएल ने आवश्यक ड्यूटी वाले कर्मियों को पास निर्गत किया है. यह पास 14 अप्रैल 2020 तक मान्य है. प्रबंधन की ओर से हर दिन प्रचार गाड़ी निकाली जा रही है, जो कोरोना के प्रति जागरूक कर रही है. सामान्य पाली में बीएसएल के विभिन्न कार्यालयों (प्लांट और अस्पताल को छोड़कर) में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों को एक-एक दिन के अंतराल पर ऑफिस आने व शेष दिन अपने घरों से ही कार्य करने से संबंधित सर्कुलर भी निर्गत किया गया है.
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