राकेश वर्मा, बेरमो : वर्ष 1995 का चुनाव में बेरमो विधानसभा क्षेत्र में मुकाबला रोमांचक हुआ था. उस समय बैलेट पेपर से चुनाव होता था तो मतगणना में भी काफी समय लगता था. 1995 के चुनाव में बेरमो विस की मतगणना रिकाॅर्ड तीन दिनों तक चली थी. वर्तमान का तेनुघाट उपकारा में उस वक्त मतगणना केंद्र बनाया गया था. बेरमो के एसडीओ उस समय रवि परमार थे. चुनाव में एक तरफ कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र प्रसाद सिंह थे तो उनके प्रतिद्वंदी भाकपा प्रत्याशी शफीक खान थे. शफीक खान को 39,550 और राजेंद्र प्रसाद सिंह को 40,361 मत मिले थे. मात्र 811 वोट से शफीक खान चुनाव हार गये थे. इस चुनाव में भाकपा के साथ राष्ट्रीय जनता दल के नेता स्व रामाधार सिंह, बसंत सिंह सहित अन्य कई नेताओं का भी समर्थन शफीक खान को प्राप्त था. भाकपा की ओर से सीएस झा, सुजीत कुमार घोष, लखनलाल महतो सहित सहित कई नेताओं ने चुनाव की कमान संभाल रखी थी. मतगणना केंद्र में भाकपा के चुनावी एजेंटों ने मतगणना में गड़बड़ी की शिकायत करते हुए हंगामा किया. तत्कालीन डीसी के निर्देश पर पूरे काउंटिग टेबल के कर्मियों को बदल कर बोकारो से आये कर्मचरियों को बैठा कर अंतिम कुछ मतों की फिर से गिनती करायी गयी थी. अंतत: राजेंद्र प्रसाद सिंह की 811 मतों से जीत की घोषणा की गयी. मतगणना केंद्र से बाहर निकलने के बाद भाकपा नेताओं व कार्यकर्ताओं ने फिर से हंगामा किया. शफीक खान ने उन्हें शांत कराया. बाद में भाकपा नेताओं के आग्रह पर उन्होंने पूर्ण मतगणना को लेकर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. पांच साल तक केस चलता रहे और वर्ष 2000 का चुनाव आ गया. मामला ठंडे बस्ते में चला गया. इस चुनाव में भी शफीक खान उतरे, लेकिन उन्हें 16,788 वोट मिले तथा तीसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस के राजेंद्र प्रसाद सिंह फिर जीत गये. इसके बाद 2005 के विधानसभा चुनाव में सीपीआइ ने स्व शफीक खान के पुत्र आफताब आलम खान को बेरमो सीट से प्रत्याशी बनाया. वह 29,116 मत लाकर तीसरे स्थान पर रहे. 2009 के चुनाव में भी वह तीसरे स्थान पर रहे तथा उन्हें 20549 मत मिले. 2014 के चुनाव में सीपीआइ ने फिर से चंद्रशेखर झा को प्रत्याशी बनाया. लेकिन मात्र 3137 वोट से संतोष करना पड़ा. 2019 के चुनाव में आफताब आलम खान को प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह 5695 मत लाकर चौथे स्थान पर रहे. 2019 में ही हुए उप चुनाव में सीपीआइ ने बैजनाथ महतो को प्रत्याशी बनाया, जिन्हें मात्र 2,643 मत मिले.
1962 में शफीक खान ने बेरमो विधानसभा का पहला चुनाव लड़ा
1962 में शफीक खान ने बेरमो विधानसभा का पहला चुनाव लड़ा था. वह तीसरे स्थान पर रहे तथा उन्हें 2741 मत मिले. 1957 में जब बेरमो विधानसभा अस्तित्व में आया तो सीपीआइ ने पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री चतुरानन मिश्र को पार्टी का प्रत्याशी बनाया, उन्हें कुल 13.56 फीसदी वोट मिले थे तथा वह तीसरे स्थान पर रहे थे. इस चुनाव में कांग्रेस के बिंदश्वरी दुबे जीते थे. इसके बाद 1967 के चुनाव में फिर से शफीक खान प्रत्याशी बने. उन्हें 4097 मत मिले तथा चौथे स्थान पर रहे. 1969 के चुनाव में कैलाश महतो प्रत्याशी बने. उन्हें 2191 मत मिले तथा चौथे स्थान पर रहे.
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